दल्ली राजहरा सोमवार 29 सितंबर 2025 भोज राम साहू 9893765541
शहीद भगत सिंह देश में शोषणविहीन समाज का निर्माण करना चाहते थे। भगत सिंग जयंती के अवसर पर दल्ली राजहरा में भारतीय युवा मंच के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में वामपंथी विचारक सुखरंजन नंदी ने उक्त विचार व्यक्त किए।
आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर चार्ली वर्गिस ने कहा कि शहीद भगत सिंह के जयंती के अवसर पर कल दल्ली राजहरा में क्रांतिकारी विचार मंच की ओर से एक संगोष्ठी आयोजित की गई थी।
संगोष्ठी को मुख्य रूप से वामपंथी विचारक सुखरंजन नंदी ने शहीद भगत सिंह के जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगत सिंह देश को आजाद करने के साथ ही देश में क्रांति के जरिए समाजवाद स्थापित करना चाहते थे।भगत सिंह का मानना था उस व्यवस्था को ही उखाड़ फेंकने की आवश्यकता है जो व्यवस्था गुलाम पैदा करता है।
नंदी ने कहा कि भगत सिंह द्वारा गठित की गई युवा संगठन”नौजवान भारत सभा” सिर्फ देश का ही नहीं बल्कि एशिया महादेश का पहला युवा संगठन था।उन्होंने अपनी पार्टी का नाम हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ रखा था l जिससे स्पष्ट है कि वे समाजवाद के पक्षधर रहे।
श्री नंदी ने कहा कि सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के बाद” इंकलाब जिंदाबाद”और साम्राज्यवाद मुर्दाबाद” का जो नारा वे लगाए थे वो देश के क्रांतिकारी आंदोलन का अभिन्न अंग बन गया था और इस बम कांड ने भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन को विश्व क्रांतिकारी के साथ जोड़ दिया,फ्रांसीसी क्रांतिकारी वलेया के क्रांतिकारी उदघोष “बहारों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है l ” को भगत सिंह ने भारत में दोहराकर उन्होंने यह स्थापित किया कि दुनिया के तमाम क्रांतिकारी एक तरफ है और तमाम प्रतिक्रियावादी शक्ति एक तरफ है । इसके साथ ही इस बम कांड ने क्रांतिकारी आंदोलन को एक स्पष्ट वर्गीय दिशा भी प्रदान किया। मजदूर वर्ग को कुचलने के विरोध में यह बम फेंककर क्रांतिकारी आंदोलन के वर्गीय दृष्टि प्रदान की।
श्री नंदी ने आज के तथाकथित स्वयंभु राष्ट्रभक्त लोग भगत सिंह के शहादत और जेल यात्रा को किस तरह देखते थे l उसका खुलासा करते हुए बताया कि वे लोग उस समय शहीदों के बारे में कहते थे कि भारतीय परंपरा में शहादत कभी उच्च आदर्श नहीं हो सकता है क्योंकि यह शहीद लोग अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए है और अगर वे लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए तो इसका अर्थ है कि उनसे कोई गंभीर त्रुटि हुई है। शहीदों के प्रति इस तरह के आलोचना,अपमान और उनकी देशभक्ति पर इस तरह का तुच्छ नजरिया आज के तथाकथित राष्ट्रभक्त रखते थे। सिर्फ इतना ही नहीं उन हिन्दू सांप्रदायिक शक्तियों का यह भी मानना था कि आजादी की आंदोलन में हिस्सेदारी के लिए जेल यात्रा से कोई देशभक्त कि हो जाता और इस तरह से दिखावटी देशभक्ति से हमे बचना चाहिए।इस तरीके से यह तथाकथित राष्ट्रभक्त स्वतंत्रता सेनानियों का खुले आम अपमान करते थे।
उन्होंने भगत सिंह के धर्म, जाति समस्या,और सांप्रदायिक समस्या पर लेखों पर भी विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि 23 वर्ष के उम्र में आजादी हासिल करने और समाज में समाजवाद कायम करने के लिए महज 23 वर्ष के आयु में वे हंसते हंसते फांसी के फंदा को चूम लिए। उन्होंने आज की वर्तमान दौर में भगत सिंह की विचारधारा को अपनाने पर बल दिया।
संगोष्ठी में इसके अलावा मजदूर नेता कमल रॉय ,प्रमोद कावले, रामाधीन, शेखर भूरे, सतीश दूपारे, अनीश वशबाघमारे ने भी संबोधित किया। गोष्ठी को चार्ली वर्गिस ने संचालन किया।