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राजहरा मुस्लिम समुदाय ने धूमधाम से मनाई ईद उल अज़हा ,नमाज अदा कर मांगी अमन-भाईचारे की दुआ

दल्ली राजहरा
शनिवार 7 जून 2025
भोज राम साहू 9893765541
दल्ली राजहरा जामा मस्जिद रेल्वे कॉलोनी में इमाम हाफ़िज़ अब्दुल बशीर नायब इमाम अकीक नूरी ने पढ़ाई नमाज़ ए ईद उल अजहा हाफ़िज़ नसीम रज़ा ने बताया-कुर्बानी के पीछे मकसद- बेशक अल्लाह दिलों के हाल जानता है और वह खूब समझता है कि बंदा जो कुर्बानी दे रहा है, उसके पीछे उसकी क्या नीयत है। जब बंदा अल्लाह का हुक्म मानकर महज अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करेगा तो यकीनन वह अल्लाह की रजा हासिल करेगा, लेकिन अगर कुर्बानी करने में दिखावा या तकब्बुर आ गया तो उसका सवाब जाता रहेगा। कुर्बानी इज्जत के लिए नहीं की जाए, बल्कि इसे अल्लाह की इबादत समझकर किया जाए। अल्लाह हमें और आपको कहने से ज्यादा अमल की तौफीक दे।
क्या है कुर्बानी का इतिहास- इब्राहीम अलैहिस्स्लाम एक पैगंबर गुजरे हैं, जिन्हें ख्वाब में अल्लाह का हुक्म हुआ कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माईल अलैहिस्स्लाम को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दें। यह इब्राहीम अलैहिस्स्लाम के लिए एक इम्तिहान था, जिसमें एक तरफ थी अपने बेटे से मुहब्बत और एक तरफ था अल्लाह का हुक्म। इब्राहीम अलैहिस्स्लाम ने सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के हुक्म को पूरा किया और अल्लाह को राजी करने की नीयत से अपने लख्ते जिगर इस्माईल अलैहिस्स्लाम की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।
कुर्बानी का मतलब समझया ईद उल अजहा पर कुर्बानी दी जाती है। यह एक जरिया है जिससे बंदा अल्लाह की रजा हासिल करता है। बेशक अल्लाह को कुर्बानी का गोश्त नहीं पहुँचता है, बल्कि वह तो केवल कुर्बानी के पीछे बंदों की नीयत को देखता है। अल्लाह को पसंद है कि बंदा उसकी राह में अपना हलाल तरीके से कमाया हुआ धन खर्च करे। कुर्बानी का सिलसिला ईद के दिन को मिलाकर तीन दिनों तक चलता है।