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संडे मेघा स्टोरी में आज रविवार 13 जुलाई 2025 को पढ़िए दल्ली राजहरा के छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार गायक, माटी पुत्र और अनेक सम्मानों से सम्मानित आदरणीय परमानंद करियारे जी की कहानी !

 दल्ली राजहरा रविवार 13 जुलाई 2025 भोज राम साहू 9893 765541

 

संडे मेघा स्टोरी में आज पढ़िए दल्ली राजहरा के छत्तीसगढ़ के माटी पुत्र गायक कलाकार और विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किए गए बीएसपी कर्मचारी परमानंद करियारे की कहानी !

  लौह नगरी दल्ली राजहरा में परमानंद करियारे कोई नया नाम नहीं है जहां छत्तीसगढ़ संस्कृति और परंपरा की बात आती हो तो सर्वप्रथम उनके संस्कृतिक कला मंच लोक धरोहर का नाम आता है उनके संगीत मंडली जो की छत्तीसगढ़ की अस्मिता और गायन को जन-जन तक पहुंचने पहुंचा रहे हैं l

 वर्तमान समय में देखें तो पाश्चात्य संगीत के साथ हिन्दी और छत्तीसगढ़ी फिल्म भी  फुहड़ता लाने में लगे हुए हैं l उसके विपरीत परमानंद करियारे अपने संस्कृति को बचाए रखने के लिए प्रयासरत हैं l 

पारिवारिक पृष्ठभूमि में बताएं तो भगवान जाज्वल्य देव की नगरी जांजगीर में पिता स्व. गनपत करियारे व माता स्व. कचरा बाई के यहां 2 मई सन् 1969 को उनका एक मजदूर परिवार में जन्म हुआ था उनके परिवार में , वो, उनकी पत्नि, बड़े भईया भाभी व उनके बच्चे सभी एक सांथ संयुक्त परिवार में रहते थे l

जब वो 5 साल के थे तो उस समय गरीबी परीस्थिति होने के कारण उनके माता पिता को काम की तलाश में जम्मू कश्मीर जाना पड़ा, सांथ में वो उन्हें भी ले गए, 8-10 माह काम करने के बाद कुछ पैसा बचाकर वापस गांव आए, फिर उन्हें गांव में छोड़कर दुबारा काम करने दिल्ली चले गए l करियारे जी को गांव के स्कूल में भर्ती कर दिये, उस समय में वे बड़े पिता जी के सांथ रहते थे l

उनके बड़े पिताजी कबीर दास जी के भजनो को गाया करते थे l उन्ही को गाते देख सुनकर उन्हें भी गीतों के प्रति अभिरुचि पैदा हुई और वो भी गीत गाना शुरु कर दिये, पढाई के दौरान कक्षा चौंथी में उन्हें एक नाटक में गीत गाने का मौका मिला l

उनके गाए गीत लोगों को बहुत पसंद आया और बहुत तालियां भी मिली जिससे उनका हौसला बढ़ते गया l उनके पिता जी ने अपनी कमाई में से कुछ पैसे बचाकर 6 दिल्ली से एक रेडियो लेकर आए, उस समय रेडियो में आकाशवाणी रायपुर में छत्तीसगढ़ी गीतों का फरमाईसी कार्यकम “आप मन के गीत” व “सुर सिंगार” नामक कार्यकम दिया करता था l उस समय वे अपने पसंद के गीत को पोस्ट कार्ड में फरमाईश भेजा करता थे, और फरमाईशी गीत के प्रसारण के पहले उनका नाम लिया जाता था तब उनको बहुत खुशी मिलती फिर छत्तीसगढी के उन्ही सब गीतों को सुनकर उन्होंने भी गीत गाना शुरु किया, और स्कूल के हर छोटे बड़े कार्यक्रमों में भाग लिया करता था और लोगों का दिल जीत लेता था l

एक दिन उन्होंने सोचा कि मेरा भी गीत रेडियो में बजता तो कितना अच्छा होता, इसी सपना को संजोकर तैयारी शुरु कर दिया, और फिर आकाशवाणी रायपुर में स्वर परिक्षण के लिए फार्म भर दिया, फिर एक दिन आकाशवाणी रायपुर से स्वर परिक्षण के लिए कागज मिला, पुरी तैयारी के सांथ रायपुर जाकर उन्होंने आकाशवाणी में स्वर परिक्षण दिलाया, और तब उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा जब आकाशवाणी में वे स्वर परीक्षण में पास हो गये l यह थी उनकी साधारण व्यक्ति से गायक बनने की कहानी उसके बाद में पीछे मुड़कर नहीं देखे l

आकाशवाणी रायपुर से गीतों का रिकार्डिंग व प्रसारण रेडियो में हुआ, उनके गांव, मुहल्ला के लोग बहुत खुश हुऐ, तब जाकर उनके सपने की नई शुरुआत हुई और वे निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते गए l कहते हैं की सफलता मेहनत करने वाले की कदम चूमती है l रेडियो में गाने के बाद उन्हें दूरदर्शन रायपुर से रिकार्डिंग के लिये कागज मिला, फिर उनके गीतों का दूरदर्शन रायपुर में रिकार्डिंग व प्रसारण हुआ l उनके गीतों व आवाज को सुनकर निजी चैनल वाले भी उन्हें अपने प्रोग्राम का हिस्सा बनाया, जी/ 24 घंटा टीवी रायपुर व ईटीवी छत्तीसगढ़ / मध्यप्रदेश भोपाल में कार्यक्रम गुंजन व “फोक झमाझम” में अपनी कला प्रस्तुत करने के लिये आमंत्रित किये, उसके बाद उन्होंने दल्लीराजहरा में “लोक धरोहर” नाम से एक सांस्कृतिक संस्था का गठन किया और फिर पुरा छत्तीसगढ़ के गांव से लेकर शहरों तक अनेको जगहों पर अपने कार्यकमों की प्रस्तुति दिया l उनके द्वारा गाये हुए गीतों का अनेकों आडियो / विडियो सीडी कैसेट भी निकल चुका है l 

पंथी गीत में “सतनाम् पुजारी नंबर 1”, बिहाव गीत में “समधिन छिनरिया”, देवी जस गीत में “चला जाबो हिंगुलाज” जैसे अनेकों एलबम निकाल चुके हैं । उन्होंने बताया कि वे पारंपरिक, करमा, ददरिया, पंथी, भरथरी, बिहाव, देवी जस गीत जैसे हर विधा मे गीत गा चुके हैं

गायन के साथ-साथ समाज सुधार के लिए भी करियारे जी ने बहुत कार्य किये उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिला के 172 गांव, जांजगीर जिला के 135 गांव व कोरबा जिला के 40 गांव मिलाकर लगभग जनसंख्या 8 से 9 लाख के करीब है, जो बहुत ही पिछड़ा व सोया हुआ समाज था, वे अपनी 40-50 जागृति गीतों के माध्यम से पूरे समाज को जगाने का अथक प्रयास किया l

और अपने सोए हुए समाज को जगाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का भरसक प्रयत्न किया, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली, कई सालों से पिछड़ा उनका समाज आखिरकार कुंभकर्णी नींद से जाग गया और आज अन्य समाज की तरह समानता, बंधुता, भाईचारा, से ओतप्रोत शिक्षित व नशामुक्त समाज बन गया है l

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि अनेकों राज्य के अनेकों संस्थाओं से उपलब्धि / सम्मान प्राप्त हुआ है जिसमें मुख्यरुप से”लोक कला सम्मान”, धरती पुत्र सम्मान, सांस्कृतिक दूत अवार्ड, कला-रत्न सम्मान, काव्य रत्न सम्मान जालंधर (पंजाब), काव्य-सम्राट सम्मान पठानकोट (पंजाब), डा. अम्बेडकर नेशनल फैलोशिप अवार्ड (नई दिल्ली), काव्य शिखर सम्मान जालन्धर ( पंजाब), मुंशी प्रेमचंद साहित्य अलंकरण कुम्हारी (छत्तीसगढ़), त्रिवेणी साहित्य सम्मान ( छत्तीसगढ़), उत्कृष्ट कार्य एवं मानव सेवा सम्मान वायडीसी (छत्तीसगढ़), काव्य दूत सम्मान (छत्तीसगढ़), गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर साहित्य सम्मान (छत्तीसगढ़), छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग 2014/2015/2016 छत्तीसगढ़ शासन, कला श्री सम्मान, डा. बी. आर. अंबेडकर नेशनल सम्मान पदक 2016 ( नई दिल्ली), तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेकों सम्मान मिल चुके हैं l उन्होंने नवलदास मानिकपुरी कृत छत्तिसगढ़ी फिल्म “मन के बात मने मा रहिगे” व छत्तिसगढ़ी फिल्म “गुंईया” मे काम किया है..l

करियारे जी ने कहा कि- मैं छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा काम करते रहूँगा और मैं उन कलाकारों के प्रति विरोध प्रकट करता हूँ l जो हमारे छत्तीसगढ़ की कला व संस्कृति के विपरीत द्वीअर्थी , फुहड़पन व अश्लील गीत लिखते व गाते हैं, और हमारे छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को धूमिल कर रहे हैं l

वे भिलाई इस्पात संयन्त्र के दल्ली राजहरा माईंस के दूरसंचार विभाग में सन 1997 से नियमित बीएसपी कर्मचारियों के रूप में कार्यरत हैं l

दल्ली राजहरा की प्रतिभाओं को सम्मान देनेऔर उनके बारे में जानकारी देने का “हमारा दल्ली राजहरा -एक निष्पक्ष समाचार चैनल” के संडे मेघा स्टोरी के माध्यम से मेरा छोटा सा प्रयास है l आपके आस पास भी ऐसी कोई प्रतिभा है तो अवश्य बताएं ताकि संडे मेघा स्टोरी के माध्यम से लोगों तक आपकी प्रतिभा को निःशुल्क पहुंचाया जा सके l

 भोजराम साहू 9893 765541

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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