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लौह नगरी दल्ली राजहरा में भाई-बहन के आपसी प्रेम का महापर्व रक्षाबंधन बड़े धूमधाम से मनाया गया

दल्ली राजहरा रविवार 10 अगस्त 2025

भोज राम साहू 9893 765541

लौह नगरी दल्ली राजहरा में भाई बहन का आपसी प्रेम का पर्व रक्षाबंधन बड़े धूम धाम से मनाया गया l इस त्यौहार का भाई और बहन बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं l घर में भाई बहनों के बीच अकसर नोक झोक होती रहती है लेकिन रक्षाबंधन के यह पर्व नोंकझोंंक के बीच भाई और बहनों के आपसी प्रेम को दर्शाता है l भाई बहन के बचपन के प्रेम का यह रिश्ता जब बहन ससुराल जाती है तो अपने पीहर मायके मम्मी पापा और भाई भैया भाभी से मिलने का भी रक्षाबंधन एक बहाना बनता है l 

बहनों को भी भाइयों से यह उम्मीद रहती है की भाई मेरा जीवन भर रक्षा करें l दल्ली राजहरा में पिछले दो-तीन दिनों से बाजारों में रक्षाबंधन के कारण रौनक बनी हुई थी क्योंकि बहने राखी और मिठाइयां खरीदने दुकानों में गए तो भाइयों भी उनके लिए गिफ्ट खरीदने गए थे l

 

➡️🔥🌺क्या है रक्षाबंधन की कहानी🌺🔥⬅️

रक्षाबंधन से संबंधित इस तरह की अनेकों कथाएं हैं कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध किया था तो युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली से खून बहने लगा था. तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया. इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी l

जब कौरवों ने द्रौपदी का भरी सभा में अपमान करने की कोशिश की, तो कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से द्रौपदी की लाज बचाई। उन्होंने द्रौपदी को अनंत वस्त्र प्रदान किए, जिससे दुशासन उनकी चीरहरण नहीं कर पाये थे।

  दूसरी कहानी में कहा जाता है कि राजा बलि ने जब राजसूर्य यज्ञ किया तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर उनके पास गए और तीन पैर जमीन की मांग की l गुरुदेव शुक्राचार्य के मना करने के बावजूद राजा बलि ने अपने वचन अनुसार उन्हें तीन पग जमीन देने का वचन दे दिया l भगवान विष्णु वामन अवतार में पहले पग जमीन पर का दूसरा पग आकाश पर रख दिया तथा तीसरा पग के लिए राजा बलि ने अपना सर उनके सामने रख दिया l तब भगवान विष्णु ( वामन भगवान ) ने प्रसन्न होकर उन्हें पाताल का राजा बना दिया l लेकिन राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने द्वारपाल बनने के लिए मजबूर कर दिया l कुछ समय बाद मां लक्ष्मी भगवान विष्णु को ना पाकर राजा बली के पास पाताल गए l तब उन्होंने रक्षा सूत्र राजा बलि के हाथों में बांधकर भाई बना लिया तथा रक्षाबंधन के उपहार स्वरूप भगवान विष्णु को मांग कर वापस स्वर्ग पहुंचे l उनके द्वारा कहा गया मंत्र आज भी रक्षा सूत्र का मंत्र कहा जाता है जिसमें कहा गया कि , 

येन बद्यो बलि राजा ,

दानवेनद्रो महाबला: l 

तेन तवाम प्रतिबद्धनामि ,

  रक्षे माचल माचला: ll

 जिसका हिंदी में मतलब है जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेरेंद्र राजा बलि को बांधा गया था l इस रक्षा सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं l जो तुम्हारी रक्षा करेगा l हे रक्षा सूत्र तुम चलायमान ना हो l

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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