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गायत्री शक्तिपीठ दल्ली राजहरा में सवा लाख मंत्र जाप करने वालों के द्वारा किया गया पूर्णाहुति…!

दल्ली राजहरा गुरुवार 21 अगस्त 2025
भोजराम साहू 9893 765541
अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में परम वंदनीया माता जी भगवती देवी के जन्म शताब्दी और अखंड दीप के 100 वर्ष सन् 2026 में पूर्ण होने के उपलक्ष्य में गायत्री शक्ति पीठ दल्ली राजहरा में 40 दिवसीय सवा लाख गायत्री मंत्र जाप का अनुष्ठान का आयोजन किया गया था जिसका कल समापन हुआ। इस आयोजन की पूर्णाहूति कल गायत्री शक्तिपीठ दल्ली राजहरा में संपन्न हुआ l सवा लाख जाप करने वाले साधकों को ही 2026 में विश्व गायत्री शक्तिपीठ हरिद्वार में होने वाले पूज्य माताजी की जन्म शताब्दी और अखंड दीप के हवन में बैठने की अनुमति होगी l
सवा लाख गायत्री मंत्र जाप का अनुष्ठान गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व से शुरू हुआ था, जिसमें साधकों के द्वारा प्रतिदिन 33 माला गायत्री मंत्र का जाप किया गया l इस 40 दिवसीय महाअभियान की 20 अगस्त को पूर्णाहूति की गई l
माता जी की जन्म शताब्दी वर्ष पर दल्ली राजहरा गायत्री शक्तिपीठ में सवा लाख गायत्री मंत्र जाप का 40 दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हुआ l जिसकी पूर्णाहुति कल दिनांक 20 अगस्त 2025 को गायत्री शक्तिपीठ दल्ली राजहरा में रखा गया था l यह अनुष्ठान गुरु पूर्णिमा के दिन 10 जुलाई 2025 से शुरुआत की गई थी l जिसमें साधकों के द्वारा प्रतिदिन 33 माला गायत्री मंत्र का जाप किया गया l इस अनुष्ठान पर्यवाचक पूर्णाहुति देव प्रसाद आर्य के द्वारा संपन्न कराया गया l
जहां पर त्रिभुवन राणा हीरालाल पवार दमयंती पवार रेणुका गंजीर इतवारी राम कोठारी डोमन लाल चावरे निजाम कोसमा सेवालाल नायक डिलेश्वर ठाकुर लकेश्वर नायक संगीता राणा खेलपति रावटे भुनेश्वरी रेणुका गंजीर और हूल्लास देवांगन उपस्थित थे l
दमयंती पवार ने बताया कि उन्होंने दूसरी बार सवा लाख मंत्र का जाप किया है l साथ ही देव प्रसाद आर्य रेणुका गंजीर ने भी दूसरी बार सवा लाख मंत्र का जाप किया है l
➡️🔥🔥क्या है सवा लाख गायत्री मंत्र जाप के नियम 🔥🔥⬅️
यह जाप बहुत ही कठिन माना जाता है l जिसमें नियमत: सूर्योदय से पूर्व , नित्य कर्म के बाद गुरु का ध्यान करना l साधुओं की तरह बिना गद्दे में शयन करना होता है l अपना काम स्वयं करना होता है l चमड़े आदि का त्याग करना पड़ता है l साथ ही ब्रह्मचर्य व्रत का भी पालन भी इस अनुष्ठान में आवश्यक है l एक समय का भोजन किया जाता है यदि साधक चाहे तो दो समय भी भोजन कर सकता है l लेकिन भोजन पूर्णतः सात्विक होता है जिसमें भोजन में बिना लहसुन प्याज अदरक मसाला आदि का उपयोग वर्जित होता है l भोजन स्वयं ही बनाना होता है अपना काम भी स्वयं करना पड़ता है l बाहर के भोजन को खाना नहीं होता है तथा किसी की सेवा इस साधना के दौरान नहीं लिया जाता है l इस जाप के बारे में पंडित आर्य ने बताया कि जाप के दौरान मन में भी विश्व बंधुत्व विश्व कल्याण परोपकार की भावना के साथ मानव मानव एक समान जैसी भावना रखी जाती है l तभी साधना सफल माना जाता है l इस तरह के अनुष्ठान समाज में शांति, सद्भाव और सकारात्मकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।