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हिंदुओं के पितरों को याद करने का महापर्व पितृ पक्ष 21 सितंबर को अमावस्या के साथ होगी समाप्त l

दल्ली राजहरा गुरुवार 11 सितंबर 2025 भोज राम साहू 9893765541
“तू अपने जीवित पिता को पानी के लिए तरसा रहा है सत सत बार प्रशंसनीय है वो हिंदू जो अपने मृत् पितरों को जलांजलि देते हैं l” यह कहना था परतंत्र भारत में राज कर रहे मुगल शासक औरंगजेब के पिता शाहजहां का जब औरंगजेब ने सत्ता के लालच में अपने पिता को कारागार में डाल दिया था और उन्हें भोजन के अलावा पीने का पानी भी नाप कर दिया करते थे l
पितृपक्ष प्रारंभ हो चुकी है l जहां बाजारों में छत्तीसगढ़ में श्राद्ध में उपयोग होने वाले तुरई और काले रंग की बरबटी की कीमत में वृद्धि हो गई है l तुरई लगभग ₹150 किलो तो बरबटी लगभग 100 रुपए किलो मिल रहा है l
हिंदू धर्म का यह एक पौराणिक परंपरा है जहां परिजन की मृत्यु होने के बाद भी उन्हें देव मानकर पूजा जाता है l हिंदू कैलेंडर के अनुसार पितृपक्ष आश्विन कृष्ण पक्ष के प्रथम तिथि से प्रारंभ होती है l एक माह में दो पक्ष शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष होते हैं l जिसे एक्कम से लेकर चौदस तक गिनती किया जाता है l व्यक्ति (पुरुष वर्ग ) की जिस तिथि को मृत्यु होती है उस तिथि को ही उनकी पित्रदेव के रूप में पूजा की जाती है अर्थात श्रद्धा मनाया जाता है l लेकिन यदि किसी व्यक्ति की अज्ञात मौत होती है अर्थात मृत्यु की तिथि अज्ञात रहती है तो उसे पितृ मोक्ष के दिन उनकी श्रद्धा मनाया जाता है l वैसे तो पूरे 16 दिन तक पितृपक्ष में पूर्वजों को जल तर्पण किया जाता है और पूजा की जाती है l लेकिन उस दिन को विशेष माना जाता है जिस तिथि को उनकी मृत्यु हुई रहती है l महिलाओं के लिए एक दिन मात्र नवमी तिथि को ही मातृ पूजा (श्राद्ध ) किया जाता है l हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार श्राद्ध पर्व में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो इसे शुभ माना जाता है l
➡️🔥🌺कौवा को पित्र देव मानकर की जाती है पूजा🌺🔥⬅️
इस पक्ष में हमेशा तिरस्कार झेल रहे कौवा को पितृ देव के रूप में मानकर पूजा कर उन्हें भोजन कराया जाता है l
कहा जाता है कि पितृपक्ष में यमराज का दरवाजा खुला रहता है तथा इस दिन मृत्यु होने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है l पितरों को जल तर्पण घर में पुरुषों के द्वारा ही किया जाता है l उनके अभाव में घर के कोई भी सदस्य पौत्र आदि को भी तर्पण और श्राद्ध का अधिकार होता है l लेकिन वर्तमान में महिलाओं को भी यह अधिकार दिया गया है l
➡️🔥🌺 पितृ पक्ष का है पौराणिक कथा🌺🔥⬅️
पितृपक्ष में पिंडदान के लिए हिंदू धर्म के अनुसार बिहार के गया को सर्वोत्तम स्थान माना गया है l पौराणिक कथा अनुसार कहा जाता है कि ब्रह्मा जी जब सृष्टि की रचना कर रहे थे उस दौरान उनसे असुर कुल में गया नामक असुर की रचना हो गई l गया असुरों के संतान के रूप में पैदा नहीं हुआ था इसलिए उसमें आसुरी प्रवृत्ति नहीं थी l वह देवताओं का सम्मान और आराधना करता था l लेकिन ब्रह्मा जी के मन में एक खटक था भले ही वह संत प्रवृत्ति का है लेकिन असुर कुल में पैदा होने के कारण उसे कभी सम्मान नहीं मिलेगा l इसलिए क्यों ना उन्हें अच्छे कर्म से इतना पुण्य अर्जित करवाया जाए ताकि उसे स्वर्ग में जगह मिले l गयासुर ने कठोर तप से भगवान श्री विष्णु को प्रसन्न किया और वरदान में मांगा कि आप मेरे शरीर पर वास करें l मुझे जो भी देखे उसके सारे पाप नष्ट हो जाए l वह जीव पुण्यात्मा हो जाए और उसे स्वर्ग में स्थान मिले l वरदान पाकर गयासुर घूम घूम कर लोगों के पाप दूर करता गया जो भी उसे देख लेता वह पाप मुक्त हो जाता और स्वर्ग का अधिकारी बन जाता l यमराज ने ब्रह्मा जी से कहा कि अगर गयासुर को ना रोका गया तो विधि का विधान समाप्त हो जाएगा l आपने जिस कर्म के अनुसार फल भोगने की व्यवस्था दी है अब पापी भी गयासुर के प्रभाव से स्वर्ग चले जाएंगे l ब्रह्मा जी ने उपाय निकाला और गयासुर से कहा कि तुम्हारा शरीर सबसे ज्यादा पवित्र है इसलिए तुम्हारे पीठ पर बैठकर मैं सभी देवताओं के साथ यज्ञ करूंगा l सभी देवताओं के भार के बावजूद गयासुर अचल नहीं हुआ और वह घूमने फिरने में तब भी समर्थ था l देवताओं को चिंता हुई तब उन्होंने श्री हरि को भी देवताओं के साथ उनके पीठ पर आकर बैठने को कहा l गयासुर को श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त था l उन्होंने वहीं पर पत्थर के रूप में स्थापित होने की वरदान मांगा l नारायण मेरी इच्छा है कि आप सभी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इस शिला पर विराजमान रहे हैं और यह स्थान मृत्यु के बाद किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी तीर्थ स्थान बन जाए l श्री हरि गयासुर को कहा कि तुम धन्य हो ! जीवित अवस्था में रहकर तुमने लोक कल्याण का वरदान मांगा था और मृत्यु के बाद भी मृतक आत्माओं के कल्याण के लिए वरदान मांग रहे हो l तुम्हारी इस कल्याणकारी भावना से हम सब बंध गए हैं l भगवान ने आशीर्वाद दिया जहां गयासुर स्थापित है वहां पितरों के श्राद्ध तर्पण आदि करने से मृतक आत्माओं को पीड़ा से मुक्ति मिलेगी l इस क्षेत्र का नाम गयासुर के अर्धभाग के नाम से तीर्थ के रूप में विख्यात होगा l मैं स्वयं वहां पर विराजमान होऊंगा l
➡️🔥🌺पिंडदान की शुरुआत🌺🔥⬅️
पिंडदान की शुरुआत कब और कहां से हुआ यह बताना मुश्किल है l लेकिन रामायण काल में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने महाराजा दशरथ का पिंडदान गया में किया था ऐसा माना जाता है l
➡️🔥🌺श्राद्ध -2025🌺🔥⬅️
जाने कब किस तारीख को कौन सा श्राद्ध होगा l
11.09 गुरुवार चतुर्थी श्राद्ध
12.09 शुक्रवार पंचमी/ षष्ठी श्राद्ध
13.09 शनिवार सप्तमी श्राद्ध
14.09 रविवार अष्टमी श्राद्ध
15.09. सोमवार मातृ नवमी श्राद्ध
16.09 मंगलवार दशमी श्राद्ध l