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लौह नगरी दल्ली राजहरा शारदीय नवरात्रि -2025 में मां दुर्गा की पूजा आराधना में डूबा l

दल्ली राजहरा मंगलवार 30 सितंबर 2025 भोज राम साहू 98937 65541
विघ्नहर्ता भगवान गणेश के विसर्जन के साथ ही विभिन्न समितियों के द्वारा मां दुर्गा की स्थापना के लिए तैयारी चालू कर दी जाती है l आज देखे तो भोर से लेकर रात्रि तक जगह-जगह मां की आराधना की गीत संगीत के साथ दर्शन करने वालों की भीड़ पंडालो में लगी रहती है l विभिन्न रूपों में विराजे मां दुर्गा के रूप का तो कोई मुकाबला नहीं है l
लौह नगरी दल्ली राजहरा को बालोद जिला का सबसे अधिक दुर्गा स्थापना का दर्जा प्राप्त है l इस उत्सव में करोड़ो रुपया नगर वासी मां की सेवा में व्यय करते हैं l
➡️🔥🔅प्रथम स्थान🔥🔅⬅️
जहां नगर में सर्वप्रथम माँ दुर्गा स्थापना का श्रेय रविंद्र ग्रंथगार बंगाली समाज का राजहरा सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति को जाता है जो अपना दुर्गा स्थापना का 67 वां वर्ष मना रहा है l षष्ठी के दिन से स्थापित माँ भगवान गणेश कार्तिकेय मां सरस्वती एवं रिद्धि सिद्धि के साथ स्थापित होती है l यह स्थापना राजहरा के खदानों में काम करने आए हुए बंगाली समाज के द्वारा स्थापित किया जाता है l
जिसे देखने के लिए दल्ली राजहरा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के परिवार जो नौकरी से रिटायरमेंट होने के बाद दल्ली से जा चुके हैं वह भी सह परिवार मां दुर्गा की दर्शन करने के लिए आते हैं
➡️🔥🔅द्वितीय स्थान🔅🔥⬅️
दूसरे नंबर पर आता है सायडिंग वार्ड क्रमांक 20 का दुर्गा उत्सव जो की अपना स्थापना का 53 वां वर्ष मना रहा है l यहां दुर्गा मां की स्थापना भिलाई स्टील प्लांट ले जाने के लिए मालगाड़ी में आयरन ओर भरने वाले कर्मचारियों के द्वारा शुरूआत किया गया था l इन्हीं कर्मचारियों के द्वारा प्रतिवर्ष दशहरा उत्सव एवं 26 जनवरी का ऐतिहासिक मंडई की भी शुरुआत की गई थी l जिसे वर्तमान पीढ़ी अभी भी जारी रखे हुए हैं l
➡️🔥आकर्षण का केंद्र रहता है नौ कन्या भोज🔥⬅️
वार्ड पार्षद रोशन पटेल ने बताया कि लोडिंग सायडींग की नव कन्या भोज आकर्षण का केंद्र रहता है l जहां पर श्रद्धालुओं एवं मन्नत मांगने वालों के द्वारा जमीन पर लेटा जाता है और नौ कन्या भोज करने वाले कन्याये उनके ऊपर से गुजरते हैं l
➡️🔥🔅तीसरा स्थान🔅🔥⬅️
तीसरे स्थान पर आता है श्री श्रमिक दुर्गा उत्सव समिति कैम्प नंबर 1 जिनका स्थापना का यह 50 वां वर्ष है l जहां राजहरा के खदानों में काम करने वाले रेजीग मजदूरों के द्वारा मां की स्थापना कर पूजा अर्चना की जा रही है l श्रमिकों की एकता का या उत्सव परिचायक है जहां हर वर्ष रावण दहन का भी आयोजन होता है l जहां हर वर्ष धार्मिक ग्रंथ रामायण महाभारत एवं विभिन्न रूपों में ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद झांकियां इनके द्वारा निर्मित कर प्रदर्शन किया जाता है l
➡️🔥🔅चौथे स्थान🔅🔥⬅️
जिले का सबसे बड़ा पंडाल बनाने का श्रेय सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति पंडर दल्ली को जाता है l लगभग 100 फीट लंबाई में 50 फीट से ज्यादा ऊंचा में पंडाल बनाया गया है l जहां सबसे बेहतरीन मंदिर के रूप के आकार में भव्य साजसज्जा के साथ मां दुर्गा की स्थापना की गई है l आयोजन का 34 वा वर्ष है जिसकी शुरुआत स्वर्गीय पी यस अहलूवालिया और स्वर्गीय रंजन घोष के द्वारा किया गया था l
साथ ही दर्शकों को बैठने के लिए वॉटरप्रूफ मंच भी बनाया हुआ है गर्मी और उमस भी परेशानी ना हो इसलिए दोनों मंच में कुलर भी लगाए गए हैं l जिसमें बंगाली समाज की तरह भगवान गणेश मां सरस्वती भगवान कार्तिकेय भी स्थापित है l
➡️🔥🔅पांचवे स्थान🔅🔥⬅️
पांचवें स्थान पर है नवदीप दुर्गा उत्सव समिति बस स्टेशन चौक के पास स्थित बजरंग मंदिर बजरंगबली मंदिर के पास स्थापित किया गया है इसका स्थापना का 39 वा वर्ष है l
दुर्गा उत्सव समिति आजाद नगर चिखलाकसा l जिनका आयोजन का यह 33 वा वर्ष है l निर्मला स्कूल के पास यह आयोजन किया जाता है l
अनिल प्रिंटिंग प्रेस के पास बैठी एक माताजी की सेवा को भी इस नवरात्रि में नकारा नहीं जाता l जो कि विगत कई वर्षों से आने वाले श्रद्धालुओं को चाय पिलाती है l
समय के साथ-साथ बहुत कुछ बदलाव आ चुका है एक समय था जब लोग पैदल शाम से ही मां दुर्गा की दर्शन के लिए जाते थे l जहां पूरा रास्ता में भीड़ रहता था आसपास के गांव वाले भी दल्ली राजहरा में मां दुर्गा के दर्शन के लिए पहुंचते थे l लेकिन अब बदलाव देखने को मिल रहा है l लोगों की पहले के मुकाबले में अब भीड़ कम हो गई है l गांव वाले भी अपने-अपने गांव में मां दुर्गा की स्थापना किए हुए हैं l दूसरा बदलाव जो देखने को मिल रहा है को भारतीय संस्कृति और धर्म की लिए एक इतिहास बनते जा रहा है वह है l रामलीला जो लगभग समाप्ति हो चुका है l दल्ली राजहरा के 6 नंबर स्कूल प्रांगण में एक समय था जब आसपास के प्रसिद्ध रामलीला मंडली के द्वारा रामलीला का मंचन होता था l लोग बड़े शौक से रामलीला देखने के लिए जाते थे उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की लीला , उनका बचपन सीता स्वयंवर ,भरत मिलाप , रावण वध जैसे विभिन्न प्रसंग को देखकर भाव विभोर होते थे l लेकिन अब यह परंपरा अब समाप्ति हो चुका है l
सबसे बड़ी बात जो आज भी परिवर्तन में नहीं आया है वह माता का भी सेवा गीत गाने वालें की शैली आज भी माता सेवा करने वाले लोग जगह-जगह दुर्गा पंडाल में जाकर सेवा गीत गाते हैं तो एक पल रुक कर सुनने का मन अवश्य करता है l शुद्ध छत्तीसगढ़ी और हिंदी भाषा में गाए गए गीत मां की आराधना का बेहतरीन उदाहरण है l दूसरा जो बदलाव देखने को मिला है वह है गुजरात का प्रसिद्ध नृत्य गरबा का जो क्रेज बन रहा है वह भी बेहतरीन है l दल्ली राजहरा के विभिन्न जगहों पर गरबा का आयोजन इस नवरात्रि में किया जा रहा है l जहां सबसे पुराने गरबा का आयोजन गुजराती समाज के द्वारा जो वर्षों पहले चिखलकसा के आरा मिल उत्तम टिम्बर में होता आ रहा है l लेकिन वर्तमान में बृहद रूप मे 6 नंबर स्कूल के मैदान में राजहरा यूथ वेलफेयर एसोसिएशन के द्वारा आयोजन का सातवां वर्ष है l जिसमें 28 सितंबर से लेकर कल 1 अक्टूबर तक गरबा प्रतियोगिता का आयोजन की जाएगी l जिसे बालोद जिले का सबसे बड़ा गरबा आयोजन कहा जा सकता है l जिसमें 900 से 1000 की संख्या में लोग गरबा करते हैं यहां पर प्रथम पुरस्कार डायमंड रिंग रखा गया है l
इस नवरात्रि में विभिन्न जगह ज्योति कलश की भी स्थापना की गई है l जहां पर नगर देव राजहरा बाबा मंदिर, शीतला मंदिर , मां काली मंदिर , झरन मैया मंदिर , दुर्गा मंदिर रेलवे कॉलोनी , दुर्गा मंदिर पहाड़ी वाली कैम्प 1, जैसे और कई अनगिनत स्थान है जहां पर मां की सेवा में ज्योति कलश स्थापना की गई है l
नगर की कई स्थानों पर स्थापित मां दुर्गा और मां सरस्वती की प्रतिमाएं l