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“मर्यादा रावण से भी सीख ले तो हम इंसान हो जाएं ..! भले राम बने या ना बने ” दशहरा के पावन पर्व पर हमारा दल्ली समाचार चैनल का विशेष आलेख..!

दल्ली राजहरा गुरुवार 2 अक्टूबर 2025 भोज राम साहू 98937 65541

मर्यादा रावण से भी सीख ले तो हम  मानव  हो जाएंगे ..! भले राम बने या ना बने ” दशहरा के पावन पर्व पर हमारा दल्ली समाचार चैनल का विशेष आलेख ..!
नवरात्रि में जनमानस 9 दिन तक मां शक्ति की आराधना करते हैं l मां की सेवा में कोसों दूर पद यात्रा करते हैं और अंतिम 9वे दिन कन्याओं को भोजन कर उनके सामने मां का स्वरूप मानकर शीश झुकाकर साष्टांग प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं l दसवे दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के द्वारा धर्म और अशांति के प्रतीक रावण का वध कर दशहरा मनाते हैं l यह एक परंपरा है जो उसे समय से चली आ रही है जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम रावण का वध किए थे l

नारी के सम्मान और उनकी मर्यादा के संबंध में हमारा दल्ली राजहरा का एक छोटा सा आलेख है ..! क्या वास्तव में हम नारी का पूजा कर यह प्रण ले सकते हैं कि अब आगे कन्याओं और नारीयों का अपमान नहीं होगा l धर्म की पूजा कर हम अधर्म का विरोध करेंगे l कभी अधर्म का साथ नहीं देंगे l इन्हीं शब्दों और विचारों का आलेख है..l 
हमारा भारत देश में नारी को नारायणी माना जाता है एक ओर जहां कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाने वाला आदर्श है तो दूसरी ओर इन्हीं छोटे बच्चों से लेकर बड़े बेटियों तक का भी अस्मत और इज्जत की खिलवाड़ इस देश में किया जा रहा है l क्या इस नवरात्रि पर्व से वास्तव में लोगों के विचारों और उनके भावनाओं में बदलाव आएगा यह विचारणीय है l क्या सच में हम नारी शक्ति को मां का रूप मानकर पूजा कर पाएंगे l
इसके लिए महिलाओं को उनके अधिकार और सम्मान के बारे में शिक्षित करना होगा l महिलाओं के प्रति अपराधों के लिए सख्त कानून बनाने होंगे तथा उनका पालन भी करना होगा l समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण के बदलाव के लिए हमें मिलकर काम करना होगा l महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हमें उनकी मदद करनी होगी l पुलिस और प्रशासन को महिलाओं के प्रति अपराधों के मामले में त्वरित कार्यवाही करनी होगी l
 परिवार में बच्चों को महिलाओं के सम्मान और अधिकार के बारे में शिक्षित करना होगा l खासकर मीडिया को महिलाओं के प्रति अपराधों के मामले में उजागर करने और जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी l तभी महिलाएं सुरक्षित रह सकती है और तभी उनके प्रति होने वाले अपराध में कमी आएगी l दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति और परिवार को तोड़ने में टीवी पर आने वाली धारावाहिक की बहुत बड़ी भूमिका है l सरकार धारावाहिक के लिए कड़े नियम बनाएं l उन्हें प्रस्तुति की जाने वाले सामग्री की जांच हो उसमें अश्लीलता हानिकारक सामग्री ना हो l ऐसे धारावाहिक को बढ़ावा दें जिसमें भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा मिलता हो l जिन सिलेब्रटियों के द्वारा नशीली पदार्थ का प्रचार किया जाता है l उन पर कार्रवाई करें l नशीली पदार्थों के नुकसान के बारे में शिक्षाप्रद अभियान चलाएं सरकार द्वारा सिलेब्रटियों की प्रेरक कार्यक्रम में शामिल करें l जिसे भी युवाओं को सकारात्मक संदेश दे सकें l सरकार मीडिया पर निगरानी रखें जिससे नशीली पदार्थ का प्रचार ना हो l
भगवान राम को शक्ति का प्रतीक माना जाता है मर्यादा से बंधे हुए भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है l उन्होंने हमेश आदर्शों का पालन किया भगवान राम ने अपने गुरु वशिष्ठ का सम्मान और आदर किया l भगवान राम ने गुरु के आज्ञा अनुसार असुरों का संहार कर ऋषि मुनियों के रक्षा के लिए गए ,उनके द्वारा दी गई शिक्षा को अपने चरित्र में उतारा l पिता के प्रति उनका अटूट लगाव था l उन्होंने महाराज दशरथ की आज्ञा का पालन कर वनवास स्वीकार किया l भाई भरत को उन्होंने राज सिंहासन सौंप दी l माता कैकयी के कारण ही उन्हें वनवास हुआ है यह जानने के बावजूद उन्होंने वनवास से लौटने पर सबसे पहले माता कैकई का चरण स्पर्श किये l जिसे यह प्रतीत होता है कि उन्हें मां से भी अटूट लगाव था l भगवान राम सुग्रीव और भीषण मित्रों के प्रति अटूट लगाव दिखाएं उन्होंने लंका जीतने पर विभीषण को वहां का महाराज घोषित कर राज सिंहासन दिया l
तो वही रावण रामायण का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और बहुमुखी पात्र है l रावण को सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा से अमरता का वरदान मिला था l जिससे वह लगभग अजेय था l रावण को महाज्ञानी और विद्वान माना जाता था कहा जाता था कि उन्हें वेद उपनिषद और अन्य धार्मिक ग्रंथो का ज्ञान था l रावण एक महायोद्धा था और उनकी सेवा में के शक्तिशाली राक्षस थे l रावण एक चतुर राजनीतिक था जिन्हें लंका को एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाया था l रावण महादेव का परम भक्त था रावण को महादेव से कई शक्तियां प्राप्त थी l 
 रावण की सबसे बड़ी कमजोरी थी उनका अहंकार और अभिमान इसी अहंकार के कारण उनका पतन हुआ l जो एक महत्वपूर्ण सबक है की शक्ति और ज्ञान के साथ-साथ नम्रता और विनम्रता भी लोगों में आवश्यकता है l रावण की मां एक राक्षसी थी जिसका प्रभाव रावण के चरित्र पर पड़ा l रावण अपनी बहन से अत्यंत प्रेम करता था l लेकिन उसकी प्रेम के अंधत्व उनकी कमजोरी बन गई l बहन शूर्पणखा के प्रेम उनके पतन का कारण बना l आधुनिक समय में बहन के प्रति प्रेम और सम्मान का महत्व है l बहन के प्रति सम्मान और आदर का भाव रखें l बहन को आवश्यकता पड़ने पर सहायता प्रदान करें l रावण जैसे अपनी बहन के प्रति प्रेम करने से बचे l हमेशा उच् नीच और सामाजिक मर्यादाओं पर भी ध्यान रखें l अनावश्यक बहन के परिवार या बहन के प्रति प्रेम ना दर्शाए l
 लेकिन उन्होंने इसका दुरुपयोग किया रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए मां सीता का अपहरण किया l और रावण को अंतत मृत्यु को प्राप्त हुआ l 
दोनों कहानी य़ह कह रही है भगवान राम ने मर्यादा स्थापित करने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया तो दूसरी ओर रावण ने अपने अहम और घमंड के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए l तो तीसरी सबसे महत्वपूर्ण यह है हम कि अपने आसपास घरों और समाज के बीच एक बेहतरीन उदाहरण पेश करें ! घर में बच्चों की शिक्षा को नियंत्रित करें l आधुनिकता हमारी संस्कृति और समाज में जहर घोल रही है l छोटे-छोटे कपड़े हमारे बेटियों के लिए घातक है इसके बावजूद हम उसे अपना रहे हैं l बेटियों को छोटे कपड़े पहनने के लिए मना करें l उन्हें भारतीय वस्त्र पहनने को दें l निस्वार्थ भाव से नारियों का सम्मान करें ! जिस नवरात्रि में आप बेटियों का पूजा अर्चना करते हैं पूरे साल भर अगर यही कार्य करें तो निश्चित ही फिर से भारत वर्ष में राम राज्य स्थापित होगा l भारत देश के कानून व्यवस्था को विश्व गुरु बनने के लिए भगवान राम के चरित्र नारी शक्ति का सम्मान को अपनाना होगा l हमारा धर्म ग्रंथ रामायण हमें बहुत कुछ सीखाता है l फिर से गांव-गांव शहर में रामायण की कहानियों का मंचन करना होगा l  इस संबंध में लोगों के विचार आमंत्रित किए गए थे जिसमें प्रमुख रूप से दो विचारों को प्रकाशित किया जा रहा है l
आस्था का संबंध हृदय से होता है वह दिखावा शोर शराबा नहीं मांगता l :-डॉक्टर शिरोमणि माथुर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता लेखिका समाज सेविका )

 हर वर्ष हम विजयदशमी पर रावण का पुतला जलाते हैं और विजय जुलूस निकाल कर खुशियां मनाते हैं l जब रावण को जला दिया तो उस रावण को खत्म हो जाना चाहिए और हम सब फिर वैसे ही की वैसे ही रह जाते हैं l प्रश्न य़ह है कि बुराई जलता है कि नहीं ऐसे ही क्यों रह जाता है ..? प्रश्न य़ह है बुराई जलती क्यों नहीं ..? इसी तरह गरबा देवी मां की स्तुति और आराधना के नृत्य कला है l परंतु उसमें भी फुहारता पाश्चात्य संस्कृति अश्लील फिल्में गाने का घालमेल हो गया है l यह दोनों कार्यक्रम अध्यात्म से जुड़े हैं अध्यात्म को लोग समझने की कोशिश ही नहीं करते l आध्यात्म हमारे मन मस्तिष्क व हृदय से जुड़ा हुआ सात्विक भाव है l इस आध्यात्मिक भाव को जागृत करने के लिए हमारे पूर्वज ने देवी पूजन घट स्थापना कन्या भोज रावण दहन जैसे कार्यक्रम रखे थे l जिसे परंपरागत रूप से आज भी मानते आ रहे हैं l यह सारे कार्यक्रम विधि विधान मातृशक्ति की महत्व को स्थापित कर स्वीकार करने हेतु प्रस्तावित रहे हैं l परंतु आज के समय में कर्मकांड या दिखावे की पूजा पद्धति पर लोग का ध्यान अधिक रहता है l मातृ शक्ति की महत्व सम्मान भाव बदलते जा रहा है l लोगों के मन में सात्विक भाव जागृत होने की बजाय दिखावा के पीछे भाग रहे हैं l पर यह पूरे पर्व भक्ति परंपरा संस्कृति कला का संगम है l परंतु लोग पूजा परंपरा से दूरी बनाकर भड़कीले रंगीन पोशाक रंग-बिरंगे रोशनी मधुर संगीत पर दोस्तों से मिलने जुलने फोटोशूट कराने रील बनाने लाइव वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल कर छाए रहते हैं l ऐसे में श्रद्धा की भावना कहां रह पाती है l जो आध्यात्म मन को शक्ति दे वह भाव ही नहीं रहता l ब्लकि भड़कीली वेशभूषा से तो भौतिकता हावी हो जाती है l जो कार्यक्रम देवत्व जागने के लिए आयोजित हुए उनमें द दैहिक सौंदर्य आकर्षक व भौतिकता छा जाती है l दशहरे पर तो रावण जलते हैं परंतु रूप बदलकर रावण फिर बड़े रूप में आ खड़ा होता है l इन आयोजकों में गहरी संशोधनों की आवश्यकता है इसलिए पूरे समाज में सभी को प्रयास करने होगे l
 आप देखिए मंदिरों की अपेक्षा गरबा नृत्य पंडालो में युवक युवतियों की भीड़ ज्यादा रहती है l सामूहिक रूप से निर्णय लेना इस विशाल धार्मिक पर्व को शालीनता से मनाने के लिए सभी वचनबद्ध हो तभी हमारे मन में वर्षों से बसा रावण मर सकेगा और हम अपनी आने वाली पीढ़ियां को अच्छे संदेश दे सकेंगे l अन्यथा यह महान पर्व भौतिकता और विलासिता के रूप में रह जाएगा l आस्था का संबंध हृदय से होता है वह दिखावा शोर शराबा से नहीं मांगता l अध्यात्म अंदर का सौंदर्य निखारता है l

हमारे पास कितना भी ज्ञान बल शक्ति क्यों ना हो यदि अहंकार हो तो हमारा पतन तय है l :-दामिनी साहू समाज सेविका

दशहरा जिसे विजयादशमी के दिन मनाया जाता है,यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। माना जाता है कि इसी दिन पाप और बुराई के दो प्रतीक रावण और महिषासुर का अंत क्रमशः भगवान राम और मां दुर्गा ने किया था। एक सामान्य मानव के रूप में जब भगवान श्री राम ने रावण का वध किया तो इससे यह संदेश गया कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो अंत में जीत अच्छाई की होती है। रावण के दस सिर, हमारे भीतर की दस बुराईयों के प्रतीक हैं _काम ,क्रोध,लोभ,मोह, अंहकार, ईर्ष्या, आलस्य,मद,मत्सर और हिंसा, रावण रूपी पुतला दहन करने से पहले हमें अपने अंदर की इन बुराईयों को जलाकर अपने भीतर से नकारात्मकता को समाप्त करना है।यह पर्व हमें सिखाता है कि कितना भी ज्ञान,बल, शक्ति क्यों न हो अंहकार के साथ उसका पतन तय है। दशहरा हमें धर्म, सत्य और सदाचार का पालन करने कि प्रेरणा देती है।जीवन में विजय तभी मिलती है जब हम अपने भीतर के रावण को हराते है।
 रामायण के दो प्रसंग है जो हमें भारतीय संस्कृति और मर्यादा की ओर ले जाता है पहले प्रसंग है जब भगवान राम ने रावण का वध किया तब रावन मृत्यु सैया में थे l मंदोदरी राम से मिलने आई जैसे ही मंदोदरी की छाया राम जी के पीठ पर पड़ी तो वे उठ खड़े हुए और मंदोदरी से बोले माता आप यहां कैसे आई..
मंदोदरी ने कहा मैं इसलिए नहीं आई कि मैं तुझे कोसू, मैं देखने आई कि जिसने पूरी दुनिया पराजित कर दी जिसने तेरे इंद्र तक को स्वर्ग में जाकर चुनौती दी l उस महापराक्रमी को हराया उसमे ऐसा उसमें क्या है जो मेरे पति में नहीं था l

राम ने पूछा माता आपको पता चल गया की क्या अंतर है ..?

मंदोदरी ने कहा पता चल गया एक मेरा पति था जो मेरी जैसी सुदर्शना होते हुए भी तेरी पत्नी चाहता था और एक तू है की पीठ पर भी परस्त्री की छाया पड़ी तो तू उठकर खड़ा हो गया यह अंतर है उसमें और तुझ में।
अगर फिर से हमें राम राज्य की कल्पना करनी है तो हमें भगवान श्री राम जैसे मर्यादा का पालन करना होगा आज के इस युग में सिर्फ राम ही प्रासंगिक नहीं है रावण का भी प्रशंसा होना आवश्यक है l इसलिए तो भगवान श्री राम ने भाई लक्ष्मण को मृत्यु सैया पर पड़े रावण से ज्ञान सीखने को के लिए भेजा था l रावण में अहंकार था तो उसमें ज्ञान भी था रावण में मां सीता के हरण करने की शक्ति थी तो बिना अनुमति के स्पर्श न करने की मर्यादा भी थी l राम ने अपनी शक्ति से मां सीता को वापस लाया था तो वह रावण थे जो मां सीता को पवित्र रखा था l 

मर्यादा हम रावण से भी सीख ले  तो मानव हो जाएगे , भले राम हो या ना हो l आज बस इस प्रासंगिक युग में इतना ही l

दशहरा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ..!

आपका

भोज राम साहू

संपादक

( हमारा दल्ली राजहरा -एक निष्पक्ष समाचार चैनल)

9893765541

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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