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भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह दो विपरीत शक्तियों का मिलन का प्रतीक है l :– पंडित सौरभ शर्मा ने वार्ड नंबर 2 में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में शिव पार्वती कथा के संबंध में बताया

दल्ली राजहरा

मंगलवार 21 जनवरी 2025

भोजराम साहू 9893765541

वार्ड नंबर 2 रामनगर चौक पण्डरदल्ली दल्ली राजहरा में 18 जनवरी 2025 से 24 जनवरी 2025 तक श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन वार्ड के सर्व महिला समिति रामनगर चौक वार्ड नंबर 2 एवं नगर वासी के द्वारा किया जा रहा है l इस कथा के प्रवचन कर्ता भागवताचार्य बाल्यव्यास पंडित सौरभ शर्मा ( बाबू महाराज ) मोबाइल नंबर 7999565472 अरमरी कला वाले हैं l एवं परायणकर्ता उनके पिता श्री यज्ञाचार्य पंडित शैल शर्मा तथा सहयोगी संगीत पक्ष आर्गन पप्पू विश्वकर्मा , ढोलक कमल साहू एवं पेड चंद्र प्रकाश हैं l प्रवचन का समय दोपहर 1:00 से संध्या 5:00 तक है l कथा के दूसरे दिन कल सोमवार 20 जनवरी को शिव विवाह परीक्षित जन्म एवं परीक्षित श्राप की कथा बताई गई l

शिव विवाह के संबंध में महाराज जी ने बताया कि पहले जन्म में राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री होने पर अपने पिता के द्वारा यज्ञ में ना बुलाए जाने एवं भगवान शिव की यज्ञ में अपमान होने के कारण वह यज्ञ के अग्नि में जलकर भस्म हो जाती है l मां सती के देह त्याग करने के बाद, भगवान शिव ने अपनी तपस्या शुरू कर दी। वे इतने अधिक लीन हो गए कि उनकी तपस्या से पूरा ब्रह्मांड प्रभावित होने लगा।

इसी बीच, भगवान विष्णु के वरदान से हिमवान और मेना के घर में एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम पार्वती था। पार्वती भगवान शिव की भक्त थीं और उन्होंने भगवान शिव को अपना पति बनाने का संकल्प लिया।

पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। भगवान शिव को अपने प्रति आकर्षित किया।

भगवान शिव पार्वती की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न हुए और उनसे विवाह करने का निर्णय लिया। भगवान शिव और पार्वती का विवाह एक भव्य समारोह में हुआ, जिसमें सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि उपस्थित थे।

 

भगवान शिव के विवाह में उनके बाराती बहुत ही अनोखे और विचित्र थे। उनकी बारात में भूत-प्रेत ,पिशाच , यक्ष , गंधर्व और नंदी भगवान शिव के विश्वासपात्र और सबसे करीबी सेवक थे l

जब भगवान शिव की बारात हिमालय के घर पहुंची, तो लोगों ने उनके बारातियों को देखकर बहुत आश्चर्य और भय महसूस किया। लोगों ने भगवान शिव की बारात को देखकर कहा

“यह तो एक भूतों की बारात है! भगवान शिव के साथ इतने सारे भूत-प्रेत और पिशाच कैसे हो सकते हैं?”लेकिन भगवान शिव की पत्नी पार्वती ने अपने पिता हिमालय से कहा: “पिताजी, भगवान शिव की बारात में शामिल होने वाले ये सभी जीव उनके अनुयायी और सेवक हैं। वे भगवान शिव की शक्ति और प्रभाव का प्रतीक हैं।”

इस तरह, भगवान शिव की बारात का स्वागत हिमालय के घर में हुआ और उनका विवाह पार्वती के साथ संपन्न हुआ।

शिव पार्वती विवाह को ब्रह्मांड का अद्भुत विवाह कहा जाता है क्योंकि यह विवाह दो विपरीत शक्तियों के मिलन का प्रतीक है। भगवान शिव को विनाशक और योगी के रूप में जाना जाता है, जबकि देवी पार्वती को प्रेम, सौंदर्य और सृजन की देवी के रूप में पूजा जाता है।

इसके अलावा, शिव पार्वती विवाह को ब्रह्मांड का अद्भुत विवाह इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि यह विवाह ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विकास का प्रतीक है। यह विवाह देवी पार्वती के पूर्वजन्म में सती के रूप में भगवान शिव के साथ उनके विवाह की पुनरावृत्ति भी है।

 

श्रीमद् भागवत कथा भगवान की शक्ति , उनपर और विश्वास की कथा है l इस कथा को अनुसरण करने पर व्यक्ति की भवसागर की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है तथा भगवान स्वयं उनकी रक्षा कवच बन जाता है l भगवान वासुदेव कृष्ण की जीवन आदमी को बहुत कुछ सीखाता है l बचपन की बाल लीला , पूतना वध ,रासलीला नागलीला मित्रों के साथ माखन चोरी ,महा पापी दुष्ट कंस का वध , रुक्मणी विवाह , द्रोपदी की रक्षा करना महाभारत युद्ध l

भगवान श्री कृष्ण की नर से नारायण की कथा है l विश्व की सबसे चर्चित श्री गीता उपदेश जिसे अनुसरण करें तो जीवन सार्थक हो जाता है l

आज मंगलवार को वामन अवतार , गजेंद्र मोक्ष , समुद्र मंथन कि कथा और विदुर जी की कथा बताया जायेगा l

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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