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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में “हमारा दल्ली राजहरा -एक निष्पक्ष समाचार चैनल ” की ओर से मात् शक्तियों के विचार आमंत्रित किए गए थे उन्हीं को समर्पित लेख !

दल्ली राजहरा
शुक्रवार 7 मार्च 2025
भोजराम साहू 9893765541
“अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष”
आज देश केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से महिलाओं की दशा सुधारने में एक नई शुरुआत हुआ है l आज देखे तो पहले के मुकाबले महिलाएं की दशा बेहतर हुई है l महिलाओं को अब सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है l आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना सफलता की झंडा गाड़ रही है, चाहे विज्ञान के क्षेत्र हो राजनीति की क्षेत्र हो , रक्षा का क्षेत्र हो, प्रशासनिक सेवा का क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र और कोई क्षेत्र नहीं बचा जहाँ महिलाओं की कदम न पड़ा हो l एक ओर महिलाएं दिन-ब-दिन प्रगति कर रही हैं तो दूसरी ओर शोषण का शिकार भी हो रहे हैं l आज भी दहेज प्रताड़ना और महिलाओं पर शोषण के समाचार आए दिन अखबारों के माध्यम से पढ़ने और सुनने को मिलता रहता है l देश के कई अंदरूनी इलाके हैं जहां आज भी महिलाएं को शोषण और हेय की दृष्टि से देखा जाता है l
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जर्मनी के महिला नेता समाजवादी क्लारा जेटकिन को नहीं भूलाया जा सकता है l क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी l जिसने दुनिया भर की महिलाओं के हक की लड़ाई तेज कर दी उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए ताकत दी l जिसके कारण महिलाएं रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ते हुए खुद को साबित करने लगी l अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत उन्हीं के विचारों से सहमत होकर संयुक्त राष्ट्र ने 1975 को आधिकारिक तौर पर 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए मान्यता दी थी l विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए महिलाओं की आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियां को सम्मान करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है l आज से 119 वर्ष से पहले सन 1908 में महिलाओं के हक एवं अधिकार को लेकर करीब 15000 कामगार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली थी l जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रयास था l
भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का स्वरूप माना गया है, और आज की नारी घर की जिम्मेदारियों से लेकर हर क्षेत्र में देश की प्रगति में योगदान दे रही है। इस विशेष दिन पर हम उन सभी महिलाओं को सलाम करते हैं ! जिन्होंने अपने साहस, समर्पण और मेहनत से समाज में एक मिसाल कायम की है। चाहे वह रानी लक्ष्मीबाई का साहस हो, कल्पना चावला की उड़ान हो l महिला सशक्तिकरण का अर्थ सिर्फ शिक्षा और नौकरी तक सीमित नहीं है lये महिलाओं को अपने फैसले खुद लेने, आत्मनिर्भर बनने और समान अवसर प्राप्त करने का अधिकार देने से जुड़ा है l एक शिक्षित और सशर्त महिला न केवल अपना जीवन संवारती है, बल्कि पूरे समाज को समृद्ध बनाती है l हमें ये समझना होगा कि सशक्त महिला ही एक सशक्त समाज की नींव रखती है l इसलिए, महिलाओं को आगे बढ़ाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व हम सभी का है l हम अक्सर कहते हैं “नारी शक्ति का सम्मान करो.” लेकिन सम्मान केवल शब्दों में नहीं, बल्कि हमारे विचारों और कार्यों में भी दिखना चाहिए l महिलाएं समाज को आगे बढ़ाने में उतना ही योगदान दिया है जितना पुरुषों ने l फिर भी, आज भी वे कई तरह के भेदभाव और अन्याय का सामना कर रही हैं l अगर एक महिला शिक्षित होगी, तो वह पूरे परिवार और समाज को शिक्षित करेगी l अगर उसे अवसर मिलेगा, तो वह देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी l इसलिए, इस महिला दिवस पर हम सिर्फ उनकी तारीफ करने तक सीमित न रहें, बल्कि ये प्रण लें कि हम उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे, उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे और उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का हौसला देंगे l क्योंकि जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो समाज भी आगे बढ़ता है l अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर ” हमारा दल्ली राजहरा – एक निष्पक्ष समाचार चैनल ” की ओर से मात् शक्तियों का विचार आमंत्रित किए गए थे उनके विचार उन्हीं के शब्दों में आपके सामने हैं !
दल्ली राजहरा के राजहरा खदान समूह के अधिकारियों की पत्नियों के द्वारा संचालित राजहरा महिला समाज महिलाओं के उत्थान में कार्य करने वाली एक बेहतर संस्था है l जिनके माध्यम से विभिन्न क्षेत्र में इनके द्वारा सहयोग किया जाता है lअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर क्या कहती हैं दल्ली राजहरा के मात् शक्तियां
राजहरा महिला समाज की अध्यक्षा श्रीमती रेखा गहरवाल 
ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की सभी महिलाओं को हार्दिक शुभकामनाए दी उन्होंने कहा यह दिन समूचे विश्व में महिलाओं के त्याग, साहस और सम्मान को समर्पित है। किसी भी देश के आबादी का आधा हिस्सा महिलाएं की होती है । उस अनुपात में उनके ऊपर खर्च होने वाले संसाधनों के पुरुषों के मुकाबले कमी देखी जाती है l जिससे वे उपेक्षित व वंचित रहती है। उन्हें बराबरी का दर्जा देने के लिए हमारे देश में केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न योजनाओ का संचालन कर रही है l जैसे- बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, समान कानूनी अधिकार उज्जवला योजना, महिला आरक्षण, महतारी वंदन योजना , सुकन्या योजना इत्यादि । निश्चित रूप से विभिन्न सरकारी संस्थानों और सरकारी योजनाओं तथा जागरूकता से महिलाओ की दशा में तेजी से सुधार हो रहा है। उनमे आत्मविश्वास बढ़ा है।महिलाओ के अधिकारों तथा सुरक्षा के लिए सरकार ने जो उचित कदम उठाए है उसमे और तेजी लाने को आवश्यकताहै। महिलाओं का सबसे उत्कृष्ट रूप मातृत्व का है और यह बहुत हो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है l ‘माँ’ बच्चो की प्रथम शिक्षक होती है l बेटी- बेटे में भेदभाव न करते हुए उन्हें सभी क्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करे। सम्मान परिवारों से हो बनता है, जब परिवार से ही भेदभाव खत्म हो जाएगा तो उसका अच्छा असर समाज पर स्वतः हो जाएगा।
डॉ शिरोमणि माथुर( समाजसेवी एवं राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार)
प्रतिवर्ष 8 मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। वर्षों से हम महिला दिवस मनाते आ रहे है, परन्तु चिन्तनीय यह है कि क्या वास्तविकता में घर, परिवार, समाज, देश व विश्व में महिलाओं की स्थिति अनुकूल है ? यदि वे आज भी हवस का शिकार होती है, आज भी उन पर अत्याचार या जुल्म ढ़ाये जाते है या आज भी गर्भमें लैंगिक जाँच करायी जा रही ह तो “बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं” व ” यत्र नार्यस्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता” जैसे नारों का क्या औचित्य है ?
महिलाओं के हित में बनायी गई योजनाय तब खोखली लगती हैं जब किसी बेटी के साथ हुये अन्यायी को बचाने का प्रयास हमारे ही नीति निर्माता या समाज के ठेकेदार करने लगते है। जब सफल व कर्मठ महिला व्यक्तित्व को तरह-तरह के वृथा आरोप लगाकर कर्तव्यच्युत किया जाने लगता है। चाहें वह महिला राजनीति में प्रशासन, विज्ञान में, कला में, खेलों में, या अन्य किसी क्षेत्र में आगे हो तो उसे गिराने के षड़यंत्र होते है और उन अततायियों पर त्वरित निष्पक्ष कार्यवाही नहीं होती, तो महिलाओं के हित में बनाये सारे कानून शो पीस बनकर रह जाते है।
हमारें देश में महिलाओं के साथ अपराधों के मामले प्रतिवर्ष बढ़ते जा रहे है। मेडिकल छात्रा की हत्या, निर्भया कांड जैसे मामले बढ़ते जा रहे है, सड़कों पर बच्चियों क साथ छेड़छाड़, कार्यक्षेत्र पर उनके साथ भेदभाव या घर परिवार में बेटी, बहू में अन्तर तथा गर्भ निर्धारण में जाँच और ऐसे ही कितने मामले है। बेटियाँ सामाजिक व्यवस्थाओं से लाचार बना दी जाती है। उन्हें वो सम्मान व अधिकार नहीं मिलते, जिसकी वे हकदार है।
राजनीति में महिलाओं को आगे बढ़ाने की बातें तो होती हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। वोट बैंक के लिए लुभावनी योजनायें बनती है, क्या उन पर सहीं अमल हो पाता है, क्या उनका वास्तविक लाभ वे ले पाती है? यह प्रश्न ह। आज भी परिवार के या समाज के लोग उन्हें चलाते है।
जब तक घर समाज और कार्यक्षेत्र पर महिलाओं को समानता, सुरक्षा और सम्मान नहीं मिलता, तब तक महिला दिवस मनाना कितना सार्थक है ? सिर्फ औपचारिकता निभाने की बजाय असली बदलाव और सामाजिक सोंच में बदलाव लाने की महत्ती आवश्यकता है। उनके सम्मान सुरक्षा की गारंटी देनी होगी, महिला दिवस एक दिन का उत्सव न हो वरन् निरन्तर संकल्प हो, घर में, समाज में महिला को सम्मान, सुरक्षा दिया जाय । बढ़ते वृद्धाश्रम हमारी चिंता के विषय बनते जा रहे है। पुत्र के होते हुए वृद्ध महिलाओं को वृद्धाश्रम में रखने पर पाबंदी लगाना अति आवश्यक है। यह दंडनीय अपराध भी होना चाहिये। महिला घर की धुरी होती है, वृद्ध महिला को सुरक्षा मिलनी चाहिये।
हमारी हर बेटी सुरक्षित होनी चाहिये, महिलाओं को हर स्तर पर बराबरी का स्थान देना होगा। महिलाओं के प्रति अपराधों पर तत्काल व उचित कार्यवाहो से समाज में बदलाव लाया जा सकता है तभी महिला दिवस की सार्थकता है।
श्रीमती पुरोबी वर्मा पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष भाजपा नेत्री
आपको एक ऐसे दिन की बधाई जो आपके जैसे ही मजबूत, सुंदर और अपूर्व हो, नारीत्व तुम हो l कोई भी तुम्हारी सहमति के बिना तुम्हें कमतर महसूस नहीं करवा सकता l अपनी परिवार के साथ सामंजस्य में रहने वाली एक महिला बहती नदी की तरह होती है। महिलाओं के हित में तथा उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिये केन्द्र तथा राज्य शासन ने महत्व पूर्ण भूमिका निभाई है l जिससे महिलायें और सशक्त हुई है।
हम वह प्रकाश पूंज बने जो, आशा लेकर आये जो समान और शांतिपूर्ण भविष्य की दिशा को गति दे सके।
द्रौपदी साहू के जिला सचिव जिला साहू संघ बालोद
हर दुख दर्द सहकर वो मुस्कुराती है,
पत्थर की दीवारों को औरत ही घर बनाती है।
हर दिन होना चाहिए नारी के नाम,
बिना रुके करती हैं वो हर काम।
उनके लिए न करो समर्पित सिर्फ एक दिन,
नारी को करो नमन प्रतिदिन।
नारी जो सृजन और ममता की प्रतिमूर्ति है। जब आत्मनिर्भर और सशक्त बनती हैं तो वह न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को सकारात्मक दिशा देती है।आज महिलाएं विज्ञान, राजनीति व्यापार और खेल के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही हैं। समाज की उन्नति और देश की विकास का मार्ग है नारी, आइए हम सब मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाए, जहां नारी सम्मान और समान अवसरों के साथ अपने सपनों को साकार कर सके।
बीजेपी सरकार ने महिलाओं की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए महतारी वंदन योजना के तहत 1000 रु. हर माह महिलाओ के खाते में डाल रही है। इससे महिलाओं को काफी मदद मिल रही है। केंद्र और राज्य सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है जैसे राशन कार्ड महिला के नाम से ही है।
श्रीमती वीणा साहू समाजसेवी