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“मजदूर के पसीना सूखने से पहले उनका मेहनताना दे दो l” मजदूर दिवस पर विशेष आलेख ! हमारा दल्ली राजहरा – एक निष्पक्ष समाचार चैनल की ओर से l

दल्ली राजहरा

रविवार 4 मई 2025

भोजराम साहू 9893 765541

ईंटों में बसी है जिनके पसीने की कहानी,

लोहे में छुपी है जिनके हाथों की रवानी,

कभी सड़क, कभी इमारत, कभी खेतों की जान,

ऐसे हर मजदूर को हमारा क्रांतिकारी अभिनंदन।

मजदूर दिवस (1 मई ) हर उस मेहनत करने वालों को याद करने का दिन है l जिस पर हमारी पूरी नीव टिकी हुई है l चाहे सड़के हो कल कारखाना हो बड़ी इमारतें हो खेतों में लहरा रहे हरियाली हो सभी के पीछे मजदूरों का खून पसीना लगा हुआ है l

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस श्रमिकों के अधिकार और योगदन को समर्पित है l जो समाज और अर्थव्यवस्था का आधार है l मजदूरों के मेहनत और संघर्षों ने बेहतर परिस्थिति उसके वेतन और सामाजिक न्याय की नीव रखी l यह अवसर हमें श्रमिकओं के महत्व को याद दिलाता है और उनके हकों के लिए एकजुट होने की प्रेरणा देता है ताकि सभी को सम्मान जनक और सुरक्षित कार्य वातावरण मिल सके l

🔅मजदूर आन्दोलन की शुरुआत🔅

 मजदूर आंदोलन का शुरुआत अमेरिका के शिकागो शहर के हेमबट स्थान में हुआ था l उस समय मजदूर गुलामी प्रथा से जूझ रहे थे l उनसे 12 से 16 घंटे का काम लिया जाता था और वेतन का कोई निर्धारण नहीं था l मजदूर का शोषण हो रहा था l ईस अन्याय के खिलाफ श्रमिक ने एक होकर आवाज उठाया और आंदोलन कर दिये जिसके विरोध में मालिकों ने प्रशासन के साथ मिलकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे श्रमिकों पर बम विस्फोट किया गया l जिसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारीयो के बीच झड़प हुई l इस दिल दहला देने वाले घटना में कई लोग मारे गए l 1889 में पेरिस के श्रमिक संगठनों ने एक बैठक के दौरान यह फैसला लिया कि 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा तब से परंपरा शुरू हुई l

 

     🔅आन्दोलन का परिणाम🔅

 

शिकागो में हुए आंदोलन से जो मजदूरों को फायदा हुआ वह यह रहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक देशों ने यह कानून बनाया है जिसमें

 👉 (1 ) 8 घंटे का कार्यदिवसः

 

 सबसे बड़ा बदलाव था काम के घंटों का नियम तय होना। कई देशों में 8 घंटे का कार्यदिवस कानूनी रूप से लागू हुआ, जिसने श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाया।

👉 ( 2 )श्रम कानूनों का विकासः

मजदूर दिवस ने श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन, सुरक्षित कार्यस्थल, ओवरटाइम भुगतान, और छुट्टियों जैसे अधिकारों को लागू करने में मदद की।

👉 (3 ) ट्रेड यूनियनों का गठनः

श्रमिकों ने संगठित होकर ट्रेड यूनियन बनाए, जो उनके हितों की रक्षा करते हैं।
👉 (4 )सामाजिक सुरक्षाः
कई देशों में पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, और बेरोजगारी लाभ जैसे सामाजिक सुरक्षा उपाय लागू हुए।

👉 (5 ) जागरूकता और एकजुटताः

मजदूरों के आंदोलन ने उनमें एकजुटता और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाई।

      🔅श्रम कानून🔅

भारत सरकार ने 2020 में भारत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर चार नई श्रम संहिताएं बनाईं थीं। इनमें ये प्रमुख हैं-

 👉(1.) मजदूरी संहिता

यह संहिता मजदूरी से संबंधित कानूनों को समेकित करती है, जिसमें न्यूनतम मजदूरी, बोनस भुगतान और समान पारिश्रमिक शामिल हैंl

👉 (2.) औद्योगिक संबंध संहिता

यह संहिता औद्योगिक विवादों और श्रम संगठनों से संबंधित कानूनों को समेकित करती है.

👉 (3.) व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता

यह संहिता कार्यस्थल की सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति से संबंधित कानूनों को समेकित करती है.

👉 (4.) सामाजिक सुरक्षा संहिता

यह संहिता सामाजिक सुरक्षा से संबंधित कानूनों को समेकित करती है, जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाएं शामिल हैं.

इन चार श्रम संहिताओं का उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना, श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और एक समान कार्यस्थल बनाना l

एक ओर सरकारी तंत्र इस कानून को मजदूर हितैषी मान रहे हैं दूसरी ओर श्रमिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं इस कानून लागू करने से मालिकों को मजदूरों को शोषण करने का अधिकार मिल जाएगा l मजदूर अपने हक और अधिकार के लिए कभी विरोध नहीं कर पाएंगे तथा मजदूरों की रोजगार सुनिश्चित नहीं हो पाएगी l

 🔅दल्ली राजहरा का आंदोलन🔅

दल्ली राजहरा आंदोलन की नगरी रही है l सर्वप्रथम आंदोलन शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में हुआ था जब खदान में काम करने वाले लोग झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते थे l प्रबंधन ठेकेदार और मजदूरों के बीच झुग्गी झोपड़ी मरम्मत के नाम से ₹100 देने का करार हुआ था l लेकिन ठेकेदार के द्वारा मुकर जाने के कारण छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के बैनर तले मजदूरों ने आंदोलन कर दिया य़ह ऐतिहासिक आंदोलन था l इस आंदोलन के नेतृत्व कर रहे कामरेड शंकर गुहा नियोगी को प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया l मजदूर उग्र हो गए और परिवार सहित इस आंदोलन में बैठ गए प्रशासन ने आंदोलनरत मजदूरों पर 2 -3 जून 1977 को गोली चला दी l जिसमें बालक सुदामा सहित 11 लोग शहीद हुए थे l छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ श्रमिक के आंदोलन के बदौलत ही ₹ 2 प्रति टन का जो ट्रैकों में लोडिंग करने वाले श्रमिकों को मेहनताना मिलता था l वह 237 रुपए प्रति टन हुआ था l इन्हीं आंदोलन के बदौलत 31 मई 1996 को 3300 श्रमिकों का डिपार्टमेंटल हुआ था l जो की मजदूरों के हित में ऐतिहासिक फैसला था l

 श्रमिक संगठनों के नेतृत्व में और कई आंदोलन भी हुए जिसमें मजदूरों को इसका फायदा भी हुआ l वर्तमान में मिलने वाले मेडिकल सुविधा माइंस भत्ता रात्रि कालीन भत्ता जैसे सुविधा भी आंदोलन के बदौलत श्रमिकों ने प्राप्त की है l लेकिन आज भी श्रमिक को निश्चित समय मिलने वाली वेतन से वंचित है l ना उन्हें समय पर दीपावली का बोनस मिल पाता है और ना ही अन्य सुविधाएं l

          🔅उदाहरण🔅

नगर प्रशासक के अंदर कार्य करने वाले सुरक्षा गार्ड का मामला है जहां केंद्र से मिलने वाली वेतन की जगह पर उन्हें राज्य सरकार का वेतन दिया जाता था l इस संबंध में सुरक्षा गार्ड ने यूनियन के बैनर तले लेबर कोर्ट में अपील की थी l फैसला पक्ष में आया परिणाम स्वरूप उनका वेतन दोगुना हो गया l साथ ही इनके द्वारा द्वारा श्रम न्यायालय में वेतन विसंगति संबंधित अपील की गई थी य़ह भी फैसला सुरक्षा गार्ड के पक्ष में आया l लेकिन फैसल को आए हुए 16 महीने हो चुके हैं l आज भी सुरक्षा गार्ड को भुगतान नहीं हो पाया है जो कि प्रत्येक सुरक्षा गार्ड लगभग ₹ 2 लाख 70 हज़ार की राशि का हकदार होता है l वहीं पिछले ठेके में सुरक्षा गार्ड को मिलने वाली माइंस अलाउंस रात्रि कालीन भत्ता दीपावली बोनस अन्य राशि जो लगभग 60 हज़ार की बनती है वह भी अभी तक उनके हाथ नहीं आया है l जबकि ठेका समाप्त हुए 14 माह हो चुके हैं l यदि सभी राशि सुरक्षा गार्ड को मिले तो लगभग प्रत्येक सुरक्षा गार्ड लगभग साढे तीन लाख रुपए के हकदार होंगे l

हज़रत पैगंबर मोहम्मद साहब ने मजदूरों को उनकी मेहनत का उचित मेहनताना समय पर देने पर बहुत ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा कि “मजदूर का पसीना सूखने से पहले उसका मेहनताना दे दो।”

 चाहे कोई भी क्षेत्र हो कृषि के क्षेत्र हो भवन निर्माण कारखाना मजदूर वर्ग शोषित वर्ग के रूप में उभरकर आ रहे हैं l सरकार को इस  ओर उचित कदम उठाना चाहिए l ताकि मजदूरों को सही समय पर उनका सही वेतन का भुगतान हो सके l सरकार योजना ऐसे बनाएं जिसमें कंपनी मजदूर वर्ग सभी के हक और अधिकार सुनिश्चित हो जिससे विवाद की स्थिति ना बने l

 

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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