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आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन (सीटू) ने सुश्री अन्नपूर्णा देवी के नाम 6 सूत्री मांगों के लिए दिया ज्ञापन l

दल्ली राजहरा शनिवार 12 जुलाई 2025 भोज राम साहू 9893 765541

आँगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका युनियन(सीटू) ने सोमनाथ राजपूत परियोजना अधिकारी दल्ली राजहरा को सुश्री अन्नपूर्णा देवी (माननीय मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार ) के नाम आंगनबड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओ के द्वारा 9 जुलाई के अखिल भारतीय हड़ताल के समर्थन करते हुऎ अपने मांगों को पुरा करने की अपील करते हुए ज्ञापन सौपा है l ज्ञापन में लिखा है की हम, लगभग 27 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाएँ, आज 9 जुलाई 2025 को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व सेक्टोरल फेडरेशनों के संयुक्त संघ के आहवान पर हड़ताल पर है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमे हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली आपकी सरकार हमारे उठाए गए मुद्दों को हल करने में विफल रही है या यहाँ तक कि हमारी बुनियादी मांगों पर ट्रेड यूनियनों के साथ संबाद शुरू करने से सरकार ने इनकार किया है।

आप भी स्वीकार करेंगी कि कुपोषण, विशेषकर बच्चों में, हमारे देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जहाँ लगभग आधे बच्चे अविकसित कमजोर और एनीमिक हैं। दुर्भाग्यवश, 2014 से लगातार तीसरे काल में सरकार ने बच्चों और माताओं में कुपोषण दूर करने वाली एकमात्र योजना समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) को मजबूत करने के बजाय, इसे कमजोर करने के कदम उठाए है, जिसमें बजट में भारी कटौती शामिल है।
इस वर्ष ICDS, जिसे अब ‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’ नाम दिया गया है, 50 वर्ष पूरे करेगा। यह योजना न केवल कुपोषण की समस्या से निपटने में महत्वपूर्ण साबित हुई है, बल्कि 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के समय विकास में भी प्रभावी मानी गई है। लेकिन 50 वर्ष बाद भी यह एक योजना ही बनी हुई है और स्कूली शिक्षा की तरह एक स्थायी व्यवस्था नहीं बन पाई है। इसमें बुनियादी ढाँचे के विकास और पोषण व प्री-स्कूल शिक्षा जैसी गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए संसाधनों की भारी कमी है।

हम, 27 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएँ, जो इस योजना की रीढ़ है, बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हालात में काम कर रहे है आत्यधिक कार्यभार के साथ, और हमे “श्रमिक” तक नहीं माना जाता। “सम्मान राशि / मानदेय के नाम पर दिया जाने वाला हमारा मेहनताना, न्यूनतम वेतन का एक तिहाई भी नहीं है, जिसमें कोई सम्मान नहीं है।
एनडीए सरकारों ने 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) की सिफारिशी को पूरी तरह नजरअंदाज किया है l जिसमे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की श्रमिक का दर्जा, न्यूनतम वेतन और ईएसआई ईपीएफ सहित सामाजिक सुरक्षा देने की बात कही गई थी। श्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में 2015 के बाद से ILC का आयोजन ही बंद कर दिया गया है।

महंगाई के इस दौर में, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के मेहनताने में 2018 के बाद से कोई वृद्धि नहीं हुई है। यहाँ तक कि आंगनवाड़ियों में पूरक पोषण के लिए लागत मानदंडों को सोपित करने का वादा भी अभी तक लागू नहीं किया गया है। आपकी सरकार ने 2022 से ही आंगनबाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं को ग्रेच्युटी देने के सर्वोच्च न्यायाली के आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया है। डिजिटलीकरण के नाम पर और लाभार्थियों की आंगनवाड़ी सेवाओं व मातृत्व लाभ योजना (PMMVY) से बाहर कर रही है, साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं / सहायिकाओं को मोबाइल फोन और नेटवर्क सुविधा उपलब्ध कराये बिना परेशान कर रही है और उनकी छंटनी कर रही है।

इसके आलावा श्रम संहिताओं के नाम पर आपकी सरकार श्रमिकों से सामाजिक सुरक्षा और संघ बनाने व हड़ताल करने के अधिकार छीन रही है। श्रम संहिताएँ आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को “श्रमिक” नहीं मानती। 
 न्यूनतम मजदूरी, नागरिकों के रूप में हम भी महगाई, बेरोजगारी, काम के ठेकाकरण कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कमी, MGNREGA में फंड कटौती, आवश्यक सेवाओं के निजीकरण और स्वास्थ्य शिक्षा आवास पर बढ़ते महंगाई जैसी समस्याओं के शिकार है।इन परिस्थितियों में, हमने आज अखिल भारतीय आंगनबाड़ी कार्यकती व सहायिका फेडरेशन और सीटू (CITU) के आह्वान पर हड़ताल की है, जो संयुक्त मंच का हिस्सा है।

हम आपसे अनुरोध काते हैं कि हमारी न्यायसंगत व बुनियादी मांगों पर तुरंत आवश्यक कदम उठाएँ, ताकि आंगनबाड़ी सेवाएँ प्रभावित न हो।

🔥🌺हमारी मांगेः🌺🔥

👉1. आंगनबाड़ी कार्यकताओं व सहायिकाओं को ग्रेड lll व IV सरकारी कर्मचारी का दर्जा दे । 45 वे ILC की सिफारिशो के अनुसार, मिलने वाली वेतन न्यूनतम वेतन 26,000 व मासिक पेंशन 10,000 प्रदान करे। तुरंत वेतन बढ़ाएं। पूरे देश में एकसमान सेवा शर्ते लागू करें।

👉2. ग्रेच्युटी पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व नियमीकरण पर गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को तुरंत लागू करें।
👉 3. श्रम संहिताएँ वापस लें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के जनवादी व ट्रेड यूनियन अधिकारों को मान्यता है।
👉4. ICDS का किसी भी रूप में निजीकरण न हो। FRS व e-KYC की अनिवार्यता वापस है। डिजिटलीकरण के नाम पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ सहायिकाओं को परेशान करना बंद करें
👉5. ICDS को संस्थागत बनाएँ: उचित बुनियादी ढाँचा, अच्छी गुणवत्ता वाला भोजन व पी-स्कूल शिक्षा उपलब्ध कराएँ। ECCE (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल व शिक्षा) के अधिकार के लिए कानून बनाएँ। NEP वापस ले।
👉 6. बढ़े हुए बजट आवंटन के साथ केंद्रों में बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण भीषण व प्री-स्कूज सेवाएँ सुनिश्चित करें

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ पदमा पटेल (अध्यक्ष ) सुनीता मंडावी (सचिव) किरण खरे (कोषाध्यक्ष) निरंजनि सदस्य लोचन सिन्हा प्रीति पिस्दा खेमिन साहू सविता टेकाम बीरम साहू , अनीता ठाकुर कुलेश्वरी मानिकपुरी गिरिजाबाई की उपस्थिति रही l

 

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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