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संडे मेगा स्टोरी में आज रविवार 24 अगस्त 2025 को पढ़िए दल्ली राजहरा के महान अद्वितीय कलाकार “अंकुश देवांगन” की कहानी ..!

 दल्ली राजहरा रविवार 24 अगस्त 2025 भोज राम साहू 98937 65541

 

 

आज संडे मेगा स्टोरी में एक ऐसे शख्सियत की कहानी को आपके सामने ला रहे हैं l जिन्हें चावल के दाने के 100 वे हिस्से से लेकर विशाल भीष्म रथ के अलावा भारत में विभिन्न जगहों पर महापुरुष देवी देवताओं एवं लुफ्त प्राय प्राणी डायनासोर साइकोसोरस जैसे बड़े-बड़े मूर्तियों का निर्माण किया है l इस कलाकार की जन्मस्थली और प्रारंभिक कर्मभूमि लौह नगरी दल्ली राजहरा के 256 चौक का रहा l कला उन्हें विरासत में नहीं मिली की जबकि स्वयं उनकी सीखने की कला ,क्षमता और सिखने कीललक ने उन्हें एक महान अद्वितीय कलाकार बना दिया l 

 इस महान कलाकार की जन्मस्थली रही लौह नगरी दल्ली राजहरा के 256 चौक का कस्बा रहा जहां बीएसपी के द्वारा खदानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 256 जी आई सीट के घर बनाए गए थे l उसी के नाम पर इस जगह का नाम 256 चौंक पड़ा l

उनके पिता देवांगन होटल के नाम से एक नाश्ता के होटल का संचालन करते थे l इनकी प्रारंभिक शिक्षा दल्ली राजहरा में ही हुआ l बीएसपी में नौकरी लगने के बाद वह आगे पढ़ाई के लिए भिलाई चले गए l कला के क्षेत्र में आगमन के बारे में उन्होंने बताया कि बचपन में वे आसपास के बच्चों के साथ भगवान गणेश की स्थापना मां दुर्गा की स्थापना करते थे l वह अपने हाथों से मूर्ति बनाया करते थे तथा उनका सजाने के लिए दल्ली राजहरा के पहाड़ी की तरह छोटे-छोटे पहाड़ी आदि का निर्माण करते थे l 

शिक्षा के विषय में उन्होंने बताया 10 विषय में उन्होंने एम ए किया है l पर्सनल मैनेजमेंट ला वकालत फाइन आर्ट में डिप्लोमा पीएचडी डायरेक्टर कुल मिलाकर 16 डिग्रियां उनके पास है l 

सुक्ष्म मूर्ति के निर्माण के संबंध में उन्होंने बताया कि बड़े-बड़े मूर्तियां बनाते-बनाते उन्होंने सोचा कि छोटा मूर्तियां बनाया जाए l इसके लिए उन्होंने दल्ली राजहरा के खदानों से निकलने वाली विभिन्न रंग के लाल पीला सफेद काला कठोरमिट्टी इसे आम भाषा में छुही कहा जाता है का चुनाव किया और उन्हें बारीकी से कुदेरकर छोटी मूर्ति बनाने लग गए l छोटा से छोटा करते-करते सबसे छोटा मूर्ति जो उन्होंने बनाया है चावल के 100 वा हिस्से के बराबर भगवान गणेश की मूर्ति बना चुके हैं l अभी तक चावल के दाने और पत्थर से उन्होंने विश्व के कोई भी ऐसा देवी देवता या महापुरुष नहीं बचा है जिसे इन्होंने अपने कला के माध्यम से नहीं समेटा है l प्रमुख रूप से इन्होंने गांधी नेहरू सुभाष चंद्र बोस रानी लक्ष्मीबाई शिवाजी मां काली गणेश कृष्ण राम शंकर ईसा मसीह जैसे सभी देवी देवताओं और महापुरुषों को अपनी कला के माध्यम से उकेरा हैं l 

दल्ली राजहरा के लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज भीष्म रथ का निर्माण भी इन्होंने किया है रथ की कल्पना के संबंध में उन्होंने बताया कि राजहरा के महाप्रबंधक जब एस के साहा थे l उन्होंने भिलाई में मुलाकात के दौरान कहा कि आपकी जन्म स्थली राजहरा है आप इधर-उधर रायपुर भिलाई अन्य शहरों में अपनी कला को उपयोग कर रहे हैं आप विभिन्न जगहों में मूर्ति वगैरह बना रहे हैं तो राजहरा के लिए भी कुछ करिए l लेकिन शर्त यह है कि मेरे पास ना फंड है और ना मजदूर दोनों की कमी है l सभी कुछ आपको स्वयं करनी होगी l उसके उपयोग होने वाले समान जो प्लांट से अनुपयोगी रूप में है बस मैं आपको यही दे सकता हूं l इसके लिए हम लोगों ने भूमि चयन के लिए व्यू प्वाइंट को चुना रॉ मैटेरियल तो मिल गया l लेकिन वेल्डर के लिए हम लोगों ने एक रास्ता निकाला l

पास ही बालोद के आईटीआई स्कूल में बात किया कि आपके पास वेल्डर ट्रेड में जो वेल्डर हैं l उनको प्रैक्टिकल करने के लिए आपके पास जगह नहीं है तो राजहरा के आसपास जो भी बच्चे वहां जाते हैं उनको ट्रेनिंग के लिए हमारे पास भेजिए l हम उनको सिखाएंगे बच्चे और संस्था दोनों तैयार हो गए l दो-तीन बच्चे प्रतिदिन हमारे पास आते हम लोग उनको सिखाते और वह वेल्डिंग भी करते हैं l इस प्रकार राजहरा में रथ का निर्माण लगभग डेढ़ से दो साल में बनकर तैयार हुआ l यह कलाकृति अभूतपूर्व कलाकृति है जिसे निशुल्क इतना बड़ा बनाया गया है जिसे लिम्का बुक का रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है l 

देश के अनेक जगह में मेरे द्वारा कलाकृति बनाया गया l छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 2015 में सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेला हरियाणा दिल्ली एनसीआर में मुझे भेजा गया l जो कि विश्व का सबसे बड़ा क्राफ्ट मेला है l जहां प्रतिदिन डेढ़ लाख से 2 लाख तक दर्शक आते हैं l जिसमें 15000 से 20000 विदेशी सैलानी होते हैं l वहां हम लोगों ने पूरे छत्तीसगढ़ के लोक कला और संस्कृति को डेढ़ सौ एकड़ क्षेत्र में उकेरा है l जिसे मेरे मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ के 200 कलाकारों ने निर्माण किया है l जिसे 50 वर्ष के इतिहास से सर्वश्रेष्ठ सजावट का पुरस्कार मिला है l हरियाणा सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह थे उन्होंने यहां पुरस्कार प्राप्त किया l

 उनके मार्गदर्शन में काम हुआ था और मुझे तथा पूरे टीम को बहुत सम्मान मिला l प्रहलाद सिंह पटेल तत्कालीन संस्कृति मंत्री ने कलाकृति को देखा तो इतने प्रभावित हुए उन्होंने 2019 में ललित कला अकादमी का मुझे सदस्य बनाया l जो कि केंद्र सरकार संस्कृति मंत्रालय दिल्ली के अंतर्गत आता है l उन्हीं के अंतर्गत मैं काम कर रहा हूं l

 

 छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ ललित कला अकादमी का पहला बोर्ड मेंबर बना उसका सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ l इसी तरह भिलाई दुर्गापूर स्टील प्लांट में भी बहुत सारे मूर्तियों का निर्माण किया हूं l रायपुर का पुरखौती मुक्तानंद का फाउंडर मेंबर हू जहां पर छत्तीसगढ़ के लोक गाथाओं को लेकर मूर्तियां बनाई हैंl उसे समय के तत्कालीन संस्कृति सचिव ए के चक्रवर्ती थे l जो दल्ली राजहरा विजिट पर आए थे उन्होंने सप्तगिरि पार्क के कलाकृति को देखा तो वे बहुत7 प्रभावित हुए l दल्ली राजहरा के सप्तगिरि पार्क में बना हाथी बाड़ी के आर्ट गैलरी की मूर्तियों का निर्माण भी उन्होंने किया है उस समय उनके कला का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत प्रदर्शनी हुए l

 फील्ड गैरेज का राधा कृष्ण मूर्ति भिलाई सिविक सेक्टर में कृष्ण अर्जुन की प्रतिमा सेक्टर 1 के श्रम वीर चौक जिसमें सभी धर्म केअनुयायी मिलकर भिलाई स्टील प्लांट में काम करते हैं उसे दर्शाया गया है l इसी तरह समृद्धि विज्ञान सेक्टर 8 का जिसमें आंखों के सिंबल से हाथों के द्वारा क्या-क्या मुद्राएं प्रकट की जाती है उसको लेकर 10 से 12 मूर्तियां बनाई गई है l बोरिया गेट में प्रधान मंत्री ट्रॉफी का स्टेचू बनाया गया है l मैत्री बाग में भी बहुत सारी मूर्तियां बनी है l

 

 इसी तरह दुर्गापुर स्टील प्लांट में सैकड़ो की तादाद में मूर्तियां बनी है l वसुंधरा उद्यान में 500 एकड़ में मूर्तियां बनी है जिस तरह हमारे धरती से कई प्राणी विलुप्त हुए हैं जैसे डायनासोर साइकोसरस जैसे सभी की मूर्तियां के माध्यम से उकेरा गया है l जो की 80 फीट से लेकर 100 फीट तक ऊंचाई का है l उन्होंने बताया कि इस मूर्तियों का बनाने का उद्देश्य यह है कि मानवीय सभ्यता को संभाल कर रहना चाहिए l प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए l जिस तरह बड़े-बड़े जीव विलुप्त हो चुके हैं l इसी तरह मानव भी विलुप्त हो सकता है l वहां के 8_ 10 चौक चौराहा में भी मूर्तियां बनी है जैसे स्वामी विवेकानंद दीनदयाल उपाध्याय पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का भी विशाल मूर्तियां बनी है l 

सम्मान के बारे में उन्होंने बताया कि बीएसपी से नेहरू अवॉर्ड स्थानीय स्तर पर कर्म शिरोमणि पुरस्कार राज्य शासन से राज्यपाल मुख्यमंत्री के हाथों भी सम्मानित किया जा चुके हैं तथा राष्ट्रपति ने भी उनके कला को सम्मान दिया दे चुके हैं l अनेकों केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल के द्वारा भी अनगिनत सम्मान मिल चुके हैं l

लोगों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे उस संबंध में उन्होंने बताया कि “कला आनंदम प्रादामि” अर्थात कला आनंद देता है ..! आजकल बच्चे गुमराह होते हैं कि कला से हमें पैसे प्राप्त होंगे l इस कारण वह दुख में भटकते हैं l जिस दिन उन्हें यह ज्ञान प्राप्त होगा कि कला आनंद देता है l तब वह कला से प्रेम करने लगेंगे l कलाकृति बनाते वक्त कलाकार आनंद में डूबा रहता है वही उसका सच्ची प्रतिफल है l इससे उसको इनाम मिल जाए उसको रोजगार मिल जाए यह सेकेंडरी चीज है l यदि वह उसी के पीछे पड़ा रहेगा तो कलाकार सदैव दुखी रहेगा l यह साधना का विषय वस्तु है l जिसमें आदमी जितना डूबता है उतना ही अपने आप को उथला मानता है l कला के सभी विधाओं में जो नहीं जानते वह बोलते हैं कि मैं बहुत ज्यादा जानता हूं और जब बहुत ज्यादा जानने लग जाते हैं तो कलाकार को लगता है कि मैं कुछ नहीं जानता l यही बड़ी अजीब चीज है कला के साथ l एक कलाकार को कला से कभी संतुष्टि नहीं मिलती l ऐसा लगता है कि मैं इसे और अच्छा बना सकता हूं यही संतुष्टि ही कलाकार को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है l 

दल्ली राजहरा के इस महान कलाकार अंकुश देवांगन के सम्मान में आज बस इतना ही.i आपके पास भी ऐसी कलाकार हो तो हमें अवश्य बताएं आपकी कहानी निःशुल्क हमारा दल्ली राजहरा के संडे मेगा स्टोरी के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाया जाएगा l

धन्यवाद !

भोज राम साहू 

संपादक ( हमारा दल्ली राजहरा -एक निष्पक्ष समाचार चैनल)

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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