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लौह नगरी हुआ गणेशमय 27 अगस्त को विराजेगें , गणपति बप्पा ..!

दल्ली राजहरा सोमवार 25 अगस्त 2025 भोज राम साहू 9893 765541

लौह नगरी दल्ली राजहरा हो गई है गणेशमय ,आज देखें तो नगर के विभिन्न चौक चौराहे पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की तैयारी चल रही है l वहीं कई जनमानस भी अपने घरो में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की स्थापना की तैयारी में जुटे हुए हैं l 

मूर्ति बनाने वाले कलाकारों के पास मूर्तियां खरीदने वालों की भीड़ लगी हुई है l कई लोग मोह मांगे नाम पर मूर्तियां खरीद भी रहे हैं तो कुछ लोग बढ़ते हुए महंगाई को देखकर मायूस हो रहे हैं l 

 कोलकाता से 2 घंटे की दूरी नादिया जिले से आए मूर्तिकार के. पी. पाल ने बताया कि वो और उनके साथी जून से दल्ली राजहरा आए हुए हैं तथा दुर्गा पूजा समाप्ति तक यहां मूर्ति बनाएंगे l प्रमुख रूप से उनके द्वारा गणेश चतुर्थी के लिए भगवान गणेश , भगवान विश्वकर्मा मां दुर्गा मां सरस्वती की मूर्तिया बनाकर बेची जाती है l 

उन्होंने बताया कि हर साल मूर्तियों में लगने वाले सामान की कीमत में इजाफा होती जा रही है इसलिए रेट भी बढ़ाते जा रहें है l मूर्तियां पिछले वर्ष 300 से 400 में मिलती थी वह इस वर्ष ₹500 की शुरुआती कीमत से बिक रही है l उनके पास 500 से लेकर 20000 तक की भगवान गणेश की मूर्तियां है l 

मूर्तियां को इस तरह से बनाई गई है कि खरीदार भी सोचेंगे कौन सा मूर्ति खरीदे और कौन से ना खरीदें l भगवान गणेश की छोटी मूर्ति लगभग 9 इंच से लेकर 5 से 6 फीट तक बनी हुई है l छोटी मूर्तियां साधारण रूप में है तो बड़ी मूर्तियां कही पर भगवान शिव की तरह नंदी में बैठे हैं तो कहीं सन्यासी मुद्रा में ध्यान मग्न है तो कहीं पर चूहा पर बैठे हुए नजर आ रहे हैं l कुछ मूर्तियां में भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के साथ दिख रहे हैं तो किसी पर मां पार्वती के गोद में बैठे नजर आ रहे हैं l

मूर्ति स्थापना के समय के बारे में पंडित जी ने बताया कि गणेश चतुर्थी दिन बुधवार 27 अगस्त को भगवान गणेश की स्थापना का सुबह 11:05 से 1:40 तक शुभ मुहूर्त है तथा हवन 5 सितंबर दिन शुक्रवार को होगा l एवं भगवान गणेश की विसर्जन अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर शनिवार को किया जाएगा l

➡️🔥🌺कब और कैसे हुई गणेश पूजा की शुरुआत 🌺🔥⬅️

कहा जाता है कि उन दिनों जब देश अंग्रेजों के हाथों गुलाम था l तब अंग्रेजों ने लोगों को एक जगह एकत्र होने और सभा करने के लिए प्रतिबंध लगा दिए थे l इसके लिए क्रांतिकारी बाल गंगाधर तिलक ने बेहतरीन विकल्प निकाला l उन्होंने गणेश पूजा के बहाने लोगों को एक जगह एकत्र करने लगा l देश को आजादी कराने की छोटी सी पहल ने आज गणेश पूजा का बृहद रूप ले लिया l वैसे तो भगवान गणेश की पूजा बहुत पहले से मानी जाती है l लेकिन बाल गंगाधर तिलक ने 1893 ईस्वी में महाराष्ट्र से की थी l

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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