” पुत्र का दायित्व है की यदी उनके पिता कुमार्ग पर चले तो उसे सू -मार्ग पर लाने का प्रयास करें l ” :– पंडित विजय शर्मा

दल्ली राजहरा
मंगलवार 14 जनवरी 2025
भोज राम साहू 9893765541
वार्ड क्रमांक 25 अनिल प्रिंटिंग प्रेस के पास रेलवे कॉलोनी दल्ली राजहरा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है l जिसमें प्रवचन कर्ता पंडित विजय शर्मा ने कथा के चौथे दिन भक्त प्रहलाद की कथा सुनाई है l उन्होंने कहा की इस मृत्यु लोक में जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है l
राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया l उन्होंने ब्रह्मा जी से सदैव अमर रहने का वरदान मांगा l ब्रह्मा जी ने कहा कि जो इस धरती पर जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है l इसके बदले आप दूसरा वरदान मांग लो l तब दैत्य हिरणयकश्यप ने वरदान स्वरुप उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि मैं ना दिन में मरू ना रात में मरू, ना कोई हथियार मुझे काट सके और ना आग जला सके l ना घर के अंदर मरू और ना घर के बाहर मरू , ना मानव के हाथों मरू और ना ही पशु के द्वारा मारा जाउ l ब्रह्मा जी के एवमस्तु कहते ही हिरण्यकश्यप का मनमनी बढ़ता गया और वे प्रजा पर अत्याचार करते गए l उन्हें पूरा विश्वास हो गया था कि वह अब अमरत्व का वरदान पा चुके हैं l इसके विपरित उनका पुत्र भगवान विष्णु का परम भक्त था l वह हमेशा श्री हरि के भक्ति में लगा रहता और लोगों को भी प्रेरित करता था l यह बात जब राजा हिरण्यकश्यप को पता चला l तब उन्होंने भक्त प्रहलाद को समझाने की कई बार कोशिश की अंत में नहीं मानने पर हार कर उसे मारने की भी कोशिश की l कभी पहाड़ से फेंका तो कभी खूंखार जानवरों के बीच छोड़ दिया, कभी हाथी के पांव तले दबाकर मारने कोशिश की l हर बार हिरण्यकश्यप प्रहलाद को मारने की कोशिश करता और प्रहलाद श्री हरि भगवान विष्णु का नाम लेते हुए बच जाता l हारकर उन्होंने अपनी बहन पूतना से मदद मांगी l पूतना भी जल के मर गई लेकिन भक्त प्रहलाद श्री हरि का नाम लेते हुए बच गया l हारकर अंत में हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के लिए जैसे ही तलवार उठाया l पास में खंबा दो टुकड़ा में बट गया और वहां से भगवान श्री हरि विष्णु नरसिंह अवतार में प्रकट हुए l जिनके सर तो सिंह का था और धड मानव का ,हाथ में हथियार के बजाय नाखून थे l हिरण्यकश्यप के पाप का घड़ा भर चुका था l भगवान श्री हरि ने उनके पेट को फाड़ कर उन्हें इस पापी जीवन से मुक्ति दिलाया l
बेहद राक्षसी प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप के पुत्र होने के बावजूद भक्त प्रहलाद ने श्री हरि की भक्ति नहीं छोड़ी प्रह्लाद ने पुत्र होने का दायित्व निभाया पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उनके पिता कुमार्ग पर चले तो उन्हें सुमार्ग पर लाने का सदैव प्रयास करें l भक्त प्रहलाद ने बिना किसी भय के अपने पिता हिरण्यकश्यप को भगवान विष्णु के शरण में लाने का प्रयास किया l राक्षसी प्रवृत्ति के होने के कारण हिरण्कश्यप ने प्रहलाद की बात नहीं माना और अन्त में उनका संहार हुआ l
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कथा के छठवें दिन कल 15 जनवरी को बाल लीला गोवर्धन पूजा रुक्मणी विवाह , 16 जनवरी को सुदामा चरित्र 17 जनवरी को परीक्षित मोक्ष भागवत चढ़ोतरी एवं शोभायात्रा तथा 18 जनवरी को गीता सार तुलसी वर्ष एवं हवन तथा पूर्णहूती का आयोजन किया गया है l समस्त वार्ड वासी ने पूरे दल्ली राजहरा वासियों को इस भागवत कथा का आनंद लेने के लिए आमंत्रित किया है l