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“संडे मेघा स्टोरी में आज पढ़िए गुरुर फागुनदाह के उभरते हुए गीतकार यशवंत साहू की कहानी l “

दल्ली राजहरा
रविवार 27 अप्रैल 2025
भोजराम साहू 98937 65541
” हमारा दल्ली राजहरा- एक निष्पक्ष समाचार चैनल ” का संडे मेघा स्टोरी के 13 वीं किस्त में आज पढ़िए ! बालोद जिले के गुरुर तहसील के ग्राम फागुनदाह के भूमि से पल बढ़कर आगे बढ़े यशवंत साहू की कहानी वह वर्तमान समय में एक उभरता हुआ गीतकार है , जिन्होंने अब तक 150 से भी ज्यादा गीतों की रचना की है l जिसमें छत्तीसगढ़िया हिंदी के अलावा अन्य गीतों की भी रचना है l उन्होंने बताया कि बचपन से कला और संगीत के क्षेत्र में जुड़े थे मां दुर्गा के भक्ति में लीन उन्होंने माता के भक्ति में कई छत्तीसगढ़ी गीतों का भी रचना किया l भक्ति गीत लिखने के साथ-साथ वे उसे गुनगुनाते भी थे l तब उनकी पत्नी देवकी साहू कहती थी कि और गीत मत लिखो जब तक गीत को दुनिया नहीं देखेंगे तब तक उसका कोई कीमत नहीं होगा l पत्नी से प्रेरणा पाकर उन्होंने एक गीत लिखा जिसका वीडियो एल्बम बना l
उन्होंने बताया कि अपने गीतों में निम्न वर्ग के छत्तीसगढ़ी परिवार को फोकस करने के लिए वह गीत लिखे थे l इस गीत में छत्तीसगढ़ी परंपरा में बिटिया जब ससुराल आती है तो साड़ी के खूँटा में बंध कर रह जाती है l चाह कर भी वह उस परंपरा को तोड़कर सलवार सूट का आनंद नहीं ले पाती l वह अपने पति से सलवार कमीज पहन कर कहीं घूमने जाने की इच्छा करती है l उन्हीं पलो को लेकर एक गीत लिखा था जिसमें दोनों कहते हैं कि
आना आना ले ना मजा ,
आनि बानी के गोठ गोठीया थस पीके आए हस का दारू
चलना एक दिन जाबो बाजार तोर बर ले देहूं मैं हर सलवार