“आंखों में कई ख्वाब, दिल में कई हसरतें बाकी है ! मैं कैसे थक जाऊं, अभी कई मंजिलें बाकी है ll संडे मेघा स्टोरी में आज रविवार 22 दिसंबर को पढ़िए ! दल्ली राजहरा की बेटी हरबंश कौर की कहानी l”

दल्ली राजहरा
रविवार 22 दिसंबर 2024
भोज राम साहू 9893765541
संडे मेघा स्टोरी में आज रविवार 22 दिसंबर को पढ़िए म्यूथाई खेल को नई ऊंचाई पर पहुंचने वाली कोच ,अंतर्राष्ट्रीय रेफरी एवं जज दल्ली राजहरा की बेटी हरबंश कौर पिता स्वर्गीय महेंद्र सिंह की कहानी जो आज खेल के क्षेत्र में अपना अपना एक वर्चस्व बनाया है l केरल का आत्मरक्षा का खेल कलारीपट्टू को दल्ली राजहरा में लाने का श्रेय भी इन्हें जाता है l इस खेल से राजहरा की कई लड़कियों ने आत्मरक्षा के गुर सीखें l तथा राजहरा के बाहर भी इस खेल के माध्यम से राजहरा का नाम रोशन किए हैं l
खेल के क्षेत्र में हरबंश कौर को आगे बढ़ाने में उनका पारिवारिक सपोर्ट भी बेहतरीन रहा l वे बालोद जिले के अलावा छत्तीसगढ़ राज्य , राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेकर दल्ली राजहरा का नाम रोशन किया है l
वर्तमान में कार्यकारी सदस्य छत्तीसगढ़ एमेच्योर मय म्यूथाई एसोसिएशन, छत्तीसगढ़।
ट्रेजर एवं कोच छत्तीसगढ़ म्युथाई एसोसिएशन, बालोद।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ द्वारा मान्यता प्राप्त म्युथाई खेलों में उनकी प्रतिभा को देखकर अंतर्राष्ट्रीय रेफरी एवं जज बनाया गया l वे 2019 में अबू धाबी में अंतर्राष्ट्रीय रेफरी सेमिनार पास किया है । म्युथाई खेलों में ए ग्रेड राष्ट्रीय रेफरी हैं l हरबंश कौर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कई बार राष्ट्रीय रेफरी के रूप में भाग लिया।
अंतर्राष्ट्रीय खेल उपलब्धियां
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1. 2009 में थाईलैंड में प्रथम एशियाई मार्शल आर्ट खेलों में भाग लिया।
2. 2007 में थाईलैंड में विश्व मुझे म्युथाई चैंपियनशिप (वरिष्ठ) में भाग लिया।
3. 2018 में बैंकॉक, थाईलैंड में विश्व युवा म्युथाई चैंपियनशिप में भारतीय प्रतिनिधि/प्रबंधक के रूप में।
4. एशियाई म्युथाई चैंपियनशिप 2019 में रेफरर एवं भारतीय प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
5. विश्व युवा म्युथाई चैंपियनशिप के लिए भारतीय प्रतिनिधि के रूप में दो बार थाईलैंड गए l
खेलों इंडिया में 3 बार कलारीपट्टू कोच बनी एक बार नेशनल गेम गोवा में भी कोच बनाकर गई है l
आज लौह नगरी दल्ली राजहरा की बेटी हरबंश कौर की खेलों की दुनिया में अपना अलग पहचान बनाने के लिए आज भी उनका सफ़र जारी है !
उनके तमन्ना को देखकर ऐसा लगता है कि राजहरा वासियों से वह कह रही है कि
“आंखों में कई ख्वाब ,
दिल में कई हसरतें बाकी हैं l
मैं कैसे थक जाऊं… ,
अभी कई मंजिलें बाकी हैं ll
कहाँ कुछ आसान है ,
राह में कई मुश्किलें बाकी हैं l
कैसे छोड़ दूं अधूरा ये सफ़र ,
मेरी कहानी के ,
अभी कई पन्ने बाकी हैं !l
खेलों का सफर आज भी जारी है…….! दल्ली राजहरा की बेटी हरबंश कौर की कहानी आज इतना ही ! पूरे देशवासियों की ओर से वे नित नये ऊंचाई पर पहुंचे यही हार्दिक शुभकामनाएं !
आगामी संडे मेघा स्टोरी में आप पढ़ेंगे कराटे और म्युथाई गेम में राजहरा का अलग पहचान बनाने वाले खिलाड़ी और कोच लखन लाल साहू की कहानी l
आपके पास भी ऐसा कोई व्यक्ति या संस्था हो जिन्हें संडे मेघा स्टोरी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया जाए तो आप अवश्य संपर्क करें !
भोजराम साहू
संपादक
“हमारा दल्ली राजहरा ”
9893765541