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“दुनिया में कोई रिश्ता छोटा या बड़ा नहीं होता , लेकिन माँ की जगह कोई दूसरा खड़ा नहीं होता l ” संडे मेघा स्टोरी में आज मदर्स डे पर पढ़िए दल्ली राजहरा की एक मां स्वर्गीय इंद्रावतीन बाई की कहानी l

दल्ली राजहरा
रविवार 11 मई 2025
भोजराम साहू 9893765541
“दुनिया में कोई रिश्ता
छोटा या बड़ा नहीं होता!
लेकिन मां की जगह
कोई दूसरा खड़ा नहीं होता !!”
कहते हैं माँ किसी भी जीवात्मा की की प्रथम गुरु होती है l माँ दुनिया के हर बच्चे के लिए सबसे खास और सबसे प्यारा रिश्ता है l मां और बच्चों का रिश्ता ऐसा अनूठा और भावनात्मक रिश्ता है जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है l मां त्याग स्नेह एवं प्रेम की प्रतिमूर्ति होती है l मां के बिना जिंदगी वीरान होती है l कहा जाता है मां का स्थान सर्वोपरि है l मां का ममत्व को जीवन में कभी भूलाया नहीं जा सकता l
मां भले भूखी रह जाती है लेकिन अपने बच्चों को भरपेट खाना खिलाती है उनकी भूख उनकी इच्छाएं और हर खुशी वह सिर्फ अपने बच्चों के लिए त्याग देती है l
आज मदर्स डे पर आपको दल्ली राजहरा के वार्ड नंबर 11 बजरंग चौक में रहने वाली इंद्रावतीन बाई की कहानी बता रहे हैं l जो आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन अपने तीन बेटियों और एक बेटे को पति की मृत्यु हो जाने के बाद भी जीवन जीने लायक बनायी l आज उनकी एक बेटी कांकेर में शिक्षा कर्मी है बेटा मोहला के पास बिजली विभाग में संविदा कर्मी तो दो बेटियां अपने गृहस्थ जीवन जी रही है l उनके तीसरी बेटी अन्नपूर्णा ने बताया कि मेरी मां ने बहुत मेहनत मजदूरी कर हम लोगों को जीवन जीने लायक बनायी l पिताजी के बारे में बताते हैं कि वह महामाया खदान में ड्राइवर थे किसी कारणवश उनकी लगभग 40 – 45 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई l पिताजी जब गुजरे तो भाई मां के गर्भ में तीन माह का था और मैं डेढ़ वर्ष की थी l
मां ने हम लोगों के लालन- पालन करने के लिए जंगलों से सूखी लकड़ी लाकर आसपास के मोहल्ले में बेचती थी l उससे जो पैसा मिलता था वह घर चलाने का काम आता था l साथ ही वह घरों में जाकर काम भी करती थी l मां स्वाभिमानी थी मेहनत मजदूरी करने से कभी हार नहीं मानी पैसे के लिए किसी के सामने हाथ भी नहीं फैलाई l माँ संघर्ष करके हम भाई-बहनों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी बड़ी दीदी शकुन आठवीं तक पढ़ी l छोटी दीदी मीणा 10वीं तक की पढ़ाई की l मैं जब दसवीं में थी तब सप्लीमेंट्री आई थी मेरा मन पढ़ाई में नहीं था घर की स्थिति खराब थी मां के भी तबीयत खराब होते रहते थे l मैं भी दीदीयों के साथ जंगल लकड़ी लाने जाती थी l
मां के कामों में मदद करना चाहती थी लेकिन मां ने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने मुझे फिर पढ़ने के लिए जोर दिया 10 वीं पास कर मैं 12वीं पढ़ाई की और एम ए तक पढ़ाई किया l
सन 2012 में मां की मृत्यु हो गई भाई छोटा था l मां की मृत्यु हो जाने पर हम तीनों बहनों ने भाई का 2020 विवाह करवाया l आज भाई मोहल्ला के पास बिजली विभाग में संविदा कर्मी है l
आज इस दुनिया में माँ नहीं है l लेकिन मां के दिए संस्कारों उनका समर्पण और हम लोगों के लिए किए उनके कार्य जीवन में भूलाया नहीं जा सकता l पापा की मृत्यु हो जाने पर मां ने हमें बिखरने नहीं दिया l उन्होंने हमें मेहनत मजदूरी कर शिक्षित बनाई मां हमारे लिए प्रेरणा स्वरूप बनी l