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छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ एवं छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के द्वारा मनाया गया शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस ! जनक लाल ठाकुर ने कहा :– “शहीद वीर नारायण सिंह जनता के असली नायक है l”

दल्ली राजहरा

शुक्रवार 20 दिसंबर 2024

भोजराम साहू 98937 5541

छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ/छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा   सन 1979 से लगातार 45 वा वर्ष में शहीद हुए वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दिया । दोपहर 3:00 बजे छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा कार्यालय से शहीद शंकर गुहा नियोगी जी एवं 1977 की गोली कांड में शहीद हुए बालक सुदामा सहित 11 शहीद मजदूरों को श्रद्धांजलि देकर रैली निकाली गई । जो शहीद वीर नारायण चौंक में एक श्रद्धांजलि सभा के रूप में परिवर्तित हो गई । और शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा में पुष्पमाला अर्पण कर शहीद वीर नारायण सिंह को सलामी दी गई शहीद वीर नारायण सिंह अमर रहे शहीद वीर नारायण सिंह लाल सलाम के नारों साथ सभा स्थल गूंज उठा तथा उसके बाद श्रद्धांजलि सभा का आरंभ किया गया ।

शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत और सपनों को याद करते हुए अपने विचार रखते हुए छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक कामरेड जनक लाल ठाकुर ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह जिसकी आज छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ 187 वी शहादत दिवस मना रहा है l वह छत्तीसगढ़ के लिए एक महान क्रांतिकारी के रूप में पूजा जाता है l आज भी इस वीर की गौरव गाथा छत्तीसगढ़ के जनमानस के बीच सुनाई जाती है l प्रदेशवासियों के साथ-साथ पूरे देश में उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में माना जाता है l गरीबों के अधिकार के लिए लड़ने वाले इस वीर ने अपना जान तक निछावर कर दिए l छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के सोनाखान के लोग आज भी इन्हें देवता के रूप में पूजते हैं l जब हम गरीबों को इंसाफ और उनके अधिकार दिलाने वाली चरित्र की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में एक ही नाम आता है वह है जिसने गरीब देशवासियों की जान बचाने के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया l जमीदार होते हुए भी वह साहूकारों से देशवासियों के भूख के लिए लड़ा उनका नाम है वीर नारायण सिंह l जिन्हें 1857 के छत्तीसगढ़ के प्रथम शाहिद के रूप में जाना जाता है l वीर नारायण सिंह का जन्म छत्तीसगढ़ के सोनाखान में 1795 में एक जमींदार परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम रामसाय था l कहते हैं कि वे 300 गांव की जमींदार थे पिता की मृत्यु के बाद 35 वर्ष के 7आयु में वह जमीदार बन गए l उनका स्थानीय लोगों से अटूट लगाव था 1856 में इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था जो था वह अंग्रेज और उनके गुलाम साहूकार अपने गोदाम में भर लेते थे l भूख से जनता का बुरा हाल था अपने क्षेत्र में जनता का इतना बुरा हाल वीर नारायण सिंह से देखा नहीं गया l उन्होंने कसडोल में अंग्रेजों से सहायता प्राप्त साहूकार की गोदाम से अवैध और जोर जबरदस्ती से एकत्रित किया हुआ अनाज लूट लिया और भुखमरी से पीड़ित जनता को बांट दियाl इस कृत्य से अंग्रेज उन्हें 24 अक्टूबर को 1856 को बंदी बनाकर जेल में डाल दिया l 1857 को पूरे प्रदेश में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए ज्वाला धड़क उठा अंग्रेजों के सेवा में कार्यरत भारतीयों ने भी विद्रोह कर दी l

इस समय आजादी के आग की लपटे छत्तीसगढ़ में भी आई l जिससे सोनाखान भी अछूत नहीं रहा l इस कारण 18 अगस्त 1857 को भारतीय सेवा में कार्यरत स्थानी लोग लोगों ने वीर नारायण सिंह को जेल से मुक्त कर लिया और अपना नेता मान लिया जन समर्थन पाने के बाद उन्होंने 500 लोगों की एक बंदूकधारी सेना बनाया l जो अंग्रेजों के दांत खट्टे कर सके और अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया शहीद वीर नारायण सिंह कोरपट की दुर्गम पहाड़ियों को अपना केंद्र बनाया था l वह यहां अपनी कुलदेवी मां दंतेश्वरी के साधना करते थे और गुफाओं पहाड़ी दरों में सैन्य अभियान की अभ्यास किया करते थे l अनेक जमीदार इनसे बदला लेने के लिए अंग्रेजों के साथ देने लगे l वह अपने धन के साथ सैन्य संसाधनों की सहायता भी वीर नारायण सिंह के विरुद्ध करने लगे जब अंग्रेज अपनी चाल पर कामयाब नहीं हो सका तब अंग्रेजों ने वीर नारायण सिंह की डूबती रंग पर हाथ रखकर स्थानीय निवासियों के घर जलाकर उन पर अत्याचार करने लगे l वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया उनका आत्मसमर्पण का मूल उद्देश्य था कि उनके कारण किसी गरीब जनता को हानि न पहुंचे l यह युद्ध उनके और अंग्रेजों के बीच है तो इसका भुगतान एक गरीब जनता क्यों करें अंग्रेजों के द्वारा वीर नारायण सिंह पर राजद्रोह का आरोप लगाकर कोर्ट में पेश किया गया l जज ने उन्हें 10 दिसंबर 1857 को फांसी देने का फैसला सुनाया उन्हें जहां फांसी दी गई वह जगह आज राज भवन के सामने शहीद वीर नारायण सिंह चौक के नाम पर है l वंशज राजेंद्र सिंह के अनुसार वीर नारायण सिंह से अंग्रेज इतने खौफ खाते थे कि फांसी देने के बाद के शव को अंग्रेजों ने जेल परिसर में 6 दिन तक फांसी पर लटका कर रखा और सातवें दिन जय स्तंभ चौक पर तोप से उड़ा दिया l

भारत सरकार ने उनके बलिदान को सम्मान देने के लिए इनकी 130वीं बरसी पर सन 1987 में 60 पैसे का डाक टिकट जारी किया है l जिसमें अंग्रेजों के द्वारा उन पर किए गए अत्याचार को दिखाया गया है l छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने उनके सम्मान में आदिवासी उत्थान के लिए शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान प्रतिवर्ष देते हैं l

कामरेड सोमनाथ उइके बस्तर में नक्सलवाद के नाम पर आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कुछ लोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए मूल निवासियों और भोले भाले आदिवासियों के ऊपर अत्याचार कर रहे हैं उनसे दमन पूर्वक अपना बात मनवाना चाहते हैं l नहीं मानने पर नक्सलवाद के नाम पर अत्याचार करवा रहे हैं सरकार संज्ञान में लेकर बस्तर के मूल निवासियों के साथ न्याय करें l

कॉमरेड राम चरण नेताम ने कहा कि दल्ली राजहरा में नियमित कर्मचारी की संख्या में कमी होती जा रही है जिसका स्थान पर ठेका श्रमिक ले रहे हैं लेकिन देखा जा रहा है कि ठेकेदारों के द्वारा मनमानी करते हुए बाहर से मजदूर लाकर काम कराया जा रहा है l जिसके कारण स्थानीय युवक बेरोजगार होते जा रहे हैं l इसे समाप्त कर बीएसपी प्रबंधन के द्वारा स्थानीय युवकों को रोजगार दें ताकि राजहरा उजड़ने से बच सके स्थानीय लोगों को रोजगार देना चाहिए l

कामरेड शैलेश ब बंबोड़े ने अपने उद्बोधन में कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह को जानना है तो पहले नियोगी जी को जानना होगा l नियोगी जी ने शहीद वीर नारायण सिंह के रास्ते पर चलकर मजदूरो को उनका हक दिलाने के लिए अपने जीवन निछावर कर दिए l

किसान संघ के अध्यक्ष गैंद सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार के द्वारा धान खरीदी में ₹3100 की राशि तो तय की गई है l लेकिन भुगतान अभी ₹2300 का कर रहा है l यदि सरकार एक मुश्त राशि दे तो किसानों के द्वारा कृषि कार्य में ली गई कर्ज का भुगतान भी जल्दी हो पाएगा l साथ ही उस राशि का उपयोग वह अपने अन्य काम के लिए कर पाएंगे l

श्रद्धांजलि स्थल में नवा अंजोर सांस्कृतिक कार्यक्रम के देव प्रसाद भंडारी ,पन्ना साहू और उनके कलाकारों द्वारा तोर सुरता हा आथे वीर नारायण जिंदगी के बीच-बीच मा इस गीत के साथ श्रद्धांजलि सभा की शुरुवात की गई और बाहर से आए हुए वक्ताओं ने शहीद वीर नारायण सिंह की जीवनी के बारे में बताते हुए श्री गैंद सिंग ठाकुर अध्यक्ष किसान संघ देवेंद्र सिंदरामें अध्यक्ष सरपंच संघ डौंडी ब्लाक नवाब जेलामी अध्यक्ष युवा मुक्ति मोर्चा डौंडी लोहारा, हेमंत कांडे अध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा , लैलन साहू पूर्व अध्यक्ष माइंस श्रमिक संघ , सुरेन्द्र साहू , शैलेश बांबोड़े, नासिक यादव, कृष्णा यादव, सोमनाथ उईके, जनक लाल ठाकुर अध्यक्ष छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा एवं पूर्व विधायक डौंडी लोहारा वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया l और इस मंच में देश और प्रदेश स्तर पर बेरोजगारी के वैकल्पिक व्यवस्था व किसानों को फसल उपज एम एस पी का पूर्ण रूप परिपालन करने और किसानों के ऊपर दमन कारी नीतियों पर रोक लगाने और लौह नगरी दल्ली राजहरा में बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने ,देश में प्रीपेड मीटर लगाने पर तत्काल रोक लगाकर मीटर रीडर को स्थाई रोजगार देने , सौर ऊर्जा को तेजी से लागू कर बिजली की अधिभार से राहत देने ,एवं माववादी नक्सल वादी के नाम पर आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमा व जेल में बंदी बनाने पर तत्काल रोक लगाने ,ओबीसी को 27% आरक्षण देकर क्रीमीलेयर की अवधारणा को खत्म करने की मांग की गई और आदिवासियों के ऊपर हो रहे अत्याचार तथा भ्रष्टाचार्यों के विरुद्ध कार्यवाही ,के संबंध में अनुविभागीय दंडाधिकारी दल्ली राजहरा जिला बालोद छत्तीसगढ़ को नौ सुत्रीय मांग पत्र सौपा गया l

इस कार्यक्रम का पूरा संचालन रामचरण नेताम द्वारा किया गया।

कार्यक्रम में संगठन के घनाराम, कवाची सरपंच , महमूद बक्स, कुलदीप नोनहारे , बिहारी ठाकुर , फुलेश्वरी , बसंती बाई, जोहतरीन बाई, देवेंद्र उईके ,रमेश यादव , मुरारी लाल प्रजापति, भूषण लाल, सुरेश कोरेटी , नारायण , वाशु देव गंधर्व , सोमन मरकाम , श्रवण, महेश भारती, प्रेम लाल , राजा, बबलू , राजा राम, तुलसी कोला , इंद्रपाल, मोहनू , ओमप्रकाश देवांगन, ओमप्रकाश रामटेके, हरिशंकर , ताराचंद , विजय, राजकुमार, योगेश यादव, सीता राम पथराटोला , डिकेंश ,यशवंत, पुरुषोत्तम , जगमोहन , संतोष ,आदि प्रमुख साथी लोग उपस्थित हुए।

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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