1 जुलाई 1992 में भिलाई पावर हाऊस पर शांति पूर्ण तरीके से अपने जायज मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे निहत्थे मज़दूरों पर पूंजीवाद सरकार की इशारे में पुलिसकर्मियों द्वारा गोली चलाया गया l जिसमें 17 मजदूर साथी शहीद हुए और बाद में 2 साथी में (इलाज के दौरान) शहीद हुए l जिसकी याद के जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ हर वर्ष शहीदों की याद में शहीद दिवस मानते आ रहे है l यह आंदोलन नियोगी जी की हत्या के बाद जो लोग (पूंजीपति वर्ग) सोचते थे कि अब मजदूरों की आवाज को कोई नही उठा सकता (दबा दिया गया) उनके मुंह मे तमाचा था और पूंजीपति के इरादे (सोंच) पर मुंह तोड़ जवाब भिलाई के मजदूरों ने यह आंदोलन कर दिया था….l
जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ के सैकड़ों कार्यकर्ता साम 5 बजे जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ के कृषि कार्यालय में एकत्रित हुई और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत किया गया और उसके बाद कॉ. बसन्त रावटे ने अपनी बात रखी इस शहीद दिवस के कार्यक्रम में जन मुक्ति मोर्चा छत्तीसगढ़ के बसन्त रावटे, याद राम कोर्राम, पवन विश्वकर्मा, रूपा साहू, पुसाउ साहू, भागवत दास, भोमराज, के साथ सैकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित थे l
🔥आखिर क्या था हुआ 1 जुलाई 1992 को…? 🔥
छत्तीसगढ़ में भिलाई का वह काला दिन आज भी भिलाईवासी इस दिन की घटना को भूल नहीं पाते हैं lइस घटना ने ना केवल भिलाई को बल्कि देश को झंकझोर कर रख दिया था lबात हो रही है साल 1992 के मजदूर आंदोलन की जब उस समय दुर्ग और भिलाई एक साथ संयुक्त था और छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था l दुर्ग के तत्कालीन SP सुरेंद्र सिंह और कलेक्टर प्रह्लाद सिंह तोमर हुआ करते थे l
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के शीर्ष नेता शहीद शंकर गुहा नियोगी ने भिलाई में मजदूरों के हक के लिए आवाज बुलंद की थी lउन्होंने जीने लायक वेतन और निकाले गए श्रमिकों को काम पर लेने समेत कई मांगों को लेकर 1991 में प्रदर्शन किया था l इस दौरान मजदूरों के शीर्ष नेता शंकर गुहा नियोगी की 28 सितंबर 1991 की रात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी l
इसके बाद देशभर में विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए थे l नियोगी जी की हत्या के बाद मजदूरों का आंदोलन और तेज हो गया l प्रदर्शनकारी श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी की हत्या के आरोपियों को सजा दिलाने और मजदूरों की लंबित मांगों को लेकर रेलवे ट्रैक पर हजारों की तादाद में बैठ गए थे l सुबह 9 बजे श्रमिकों ने सारनाथ एक्सप्रेस को रोक दिया था l बड़ी तादाद में श्रमिकों के रेलवे ट्रैक पर बैठने की खबर फैलते ही शहर में सनसनी फैल गई l उसके बाद अधिकारी और नेताओं के बीच बातचीत हुई फिर भी कोई हल नहीं निकला lसवा महीने से मजदूर अपने परिजनों को छोड़कर आंदोलन कर रहे थे l तत्कालीन मंत्री मुरली मनोहर जोशी उस दौरान रायपुर भी आए थे, लेकिन जिम्मेदारों ने मजदूर नेताओं से नहीं मिलाया l जिसकी वजह से मजदूरों को रेलवे ट्रैक पर आना पड़ा था l
1 जुलाई 1992 को हजारों की तादाद में मजदूर भिलाई पावर हाउस के रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर एक पर बैठ गए थे l लंबे समय से मांगें पूरी नहीं होने से मजदूर आक्रोशित थे l मजदूरों को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो गया था l उस दिन मजदूर सुबह 9 बजे अपनी मांगों को लेकर रेलवे ट्रैक पर बैठ गए थे l दोपहर के 3 बजे तक प्रशासन और मजदूर नेताओं के बीच लगातार बैठकें हुईं उसके बावजूद कोई निष्कर्ष नहीं निकला l उसके बाद तत्कालीन सरकार व कलेक्टर के आदेश के बाद पुलिस ने मजदूरों पर लाठीचार्ज कर दिया आंसू गैस के गोले छोड़े गए l इससे भी जब बात नहीं बनी तो तत्कालीन कलेक्टर ने भूखे प्यासे निहत्थे मजदूरों पर गोलियां चलाने के आदेश दे दिए l फिर पुलिस ने अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी l अचानक अंधाधुंध गोलियां चलने से अफरा-तफरी का माहौल हो गया था. मौके पर ही 17 मजदूर मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए दो व्यक्ति की बाद में मौत हो गई l