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सम्यक बौद्ध महासभा दल्ली राजहरा के तत्वाधान में आषाढ़ पूर्णिमा हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया।

दल्ली राजहरा शुक्रवार 11 जुलाई 2025
भोज राम साहू 98937 65541
अशोक बामेश्वर अध्यक्ष सम्यक महासभा दल्ली राजहरा ने बताया कि कल सम्यक बौद्ध महासभा दल्ली राजहरा के तत्वाधान में दिनांक 10 जुलाई 2025 को संध्या 6.00 बजे अंबेडकर मेमोरियल भवन में आषाढ़ पूर्णिमा हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सर्वप्रथम तथागत गौतम बुद्ध एवं डॉ भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया गया। तत्पश्चात त्रिशरण पंचशील एवं परित्राण पाठ किया गया।
बौद्ध धर्म में आषाढ़ पूर्णिमा का बहुत महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था यह दिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अपने गुरुओं और बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। आज के दिन ही तथागत गौतम बुद्ध ने गृह त्याग किया, ज्ञान प्राप्ति के पश्चात पांच परिवाजकों को सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया l इस उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन कहा जाता है। जिसका अर्थ है की धर्म के पहिए को लगातार चलाए मान रखना। अपने उपदेश में उन्होंने चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग का उपदेश दिया जो बौद्ध धर्म के मौलिक सिद्धांत है। सारनाथ, बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। बुद्ध ने इस स्थान पर मध्यम मार्ग का उपदेश दिया, जो अज्ञानता, तृष्णा और पीड़ा से मुक्ति की ओर ले जाता है।
इस अवसर पर धम्माचारी बी.एल.बौद्ध ने धर्म देशना दिया। साथ ही साथ सम्यक बौद्ध महासभा के अध्यक्ष अशोक बम्बेश्वर, भारतीय बौद्ध महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष हेमंत कांडे,अजय रामटेके, कमलकांत रामटेके, श्रीमती चंद्ररेखा नंदेश्वर ने अपने विचार रखे।
दान पारमिता के अग्रणी अजय रामटेके एवं श्रीमती नीतू रामटेके के द्वारा भिक्षु निवास निर्माण हेतु एक लाख रुपए की दान राशि समाज को देने की घोषणा की गई। गोरेलाल बांबेश्वर द्वारा शव स्ट्रेचर देने की घोषणा की गई। समाज ने इनके घोषणा के प्रति आभार व्यक्त किया है।
समाज के द्वारा तय किया गया है कि वर्षा वास हेतु प्रतिदिन संध्या 6:00 बजे से 7:00 बजे तक भगवान बुद्ध एवं उनका धर्म , बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की जीवनी एवं संविधान की पुस्तक का वचन किया जाएगा।
इस अवसर पर सुरेंद्र मेश्राम ,ओमप्रकाश रामटेके, भीमराव मेश्राम ,गोवर्धन रंगारी, सत्य विजय बांबेश्वर, रोशन पाटील, सत्यनारायण रामटेके, गौतम रामटेके, विनोद घनश्याम, नरोत्तम मेश्राम, विशाल दासोडे, डॉ.अजय बनसोडे,अविनाश शेंडे, जितेंद्र मेश्राम, विजय सुखदेवे, दीपक रंगारी, हरीश चंद्रिकापुरे, श्रीमती नीता कमल रामटेके ज्योत्सना मेश्राम, सीमा रामटेके, रितु बांबेश्वर, लता बोरकर, कृष्णा गजभिए, भावना दसोडे , संगीता गायकवाड,मनीषा रामटेके, माया नोनहरे, शारदा बंबेश्वर, मीरा बौद्ध प्रियंका बनसोडे, भारती दहीबेल, दिशा रामटेके,भूमि गायकवाड, निधि रामटेके, काव्या दाहिविले एवं बौद्ध उपासक उपासिकाएं उपस्थित थी।