शासन के निर्देशानुसार शासकीय नेमीचंद जैन महाविद्यालय दल्ली राजहरा में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के बैनर तले भारतीय संस्कृति की गुरु शिष्य परंपरा को केंद्र बिंदु पर रखते हुए गुरु पूजन/व्यास पूजन पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ. सरिता स्वामी द्वारा किया गयाl
मुख्य वक्ता के तौर पर हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. कमल बोदले ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया, कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के कार्यक्रम अधिकारी श्री राजेश ठाकुर व सहायक कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती ओमेश्वरी मंडावी ने किया, कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी और स्वामी विवेकानंद के पूजन वंदन से किया गया।
इस दौरान मुख्य वक्ता ने अपने व्याख्यान में बताया कि गुरु शिष्य का संबंध वर्तमान परिपेक्ष्य में आधुनिकता के प्रभाव से छीन हो रहा है, उन्होंने अनेक महापुरुषों के उदाहरण प्रस्तुत किये जिन्होंने अपने गुरु के सानिध्य में अपने जीवन में अलग मुकाम हासिल किया व इतिहास में अपना नाम दर्ज कियाl
साथ ही बताया कि गुरु आपको सही मार्ग पर चलने में मार्गदर्शन करता है, आपको गलतियों से बचाता है, और अपने लक्ष्य तक पहुँचाने में आपकी मदद करता है। वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अनुग्रहिता जॉन ने उद्बोधन में कहा कि कोई भी व्यक्ति जो आपको किसी भी माध्यम से शिक्षा देता है, आपको कुछ सीखाता हो, वह गुरु हो सकता है, व्यक्ति का प्रथम गुरु उनके माता-पिता होते हैं।
कार्यक्रम अधिकारी राजेश ठाकुर ने बताया कि गुरु शिष्य के संबंध का वैज्ञानिक आधार भी होता है, गुरु शिष्य का भावनात्मक संबंध, सीखने की प्रक्रिया को बढ़ाता है, मनोवैज्ञानिक कारणों से विद्यार्थी नए ज्ञान और कौशल को सीखता है और उन्हें अपने व्यवहार में शामिल करता है। कार्यक्रम के दौरान प्राध्यापकों में डॉ. अनुग्रहिता जॉन, डॉ. कमल बोदले, डॉ. देवदत्त शर्मा, श्री दिनेश माखीजा, श्रीमती ओमेश्वरी मंडावी, श्री मोहन निषाद, श्री महावीर जैन उपस्थित रहे । सफल आयोजन के लिए कार्यक्रम अधिकारी ने उपस्थित सभी प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।