” सम्यक बौद्ध महासभा महिला मंडल दल्ली राजहरा के तत्वाधान में अंबेडकर मेमोरियल भवन में मातोश्री सावित्री बाई फुले जी की जयंती हर्षौल्लास के साथ मनाया गया l”

दल्ली राजहरा
शनिवार 4 जनवरी 2025
भोज राम साहू 9893765541
सम्यक बौद्ध महासभा महिला मंडल दल्ली राजहरा के तत्वाधान में अंबेडकर मेमोरियल भवन में दिनांक 03 जनवरी को मातोश्री सावित्री बाई फुले जी की जयंती हर्षौल्लास के साथ मनाया गयाl
सर्वप्रथम समाज के अध्यक्ष अशोक बांबेश्वर एवं बौद्ध उपासक उपासिकाओं ने मातोश्री सावित्री बाई फुले के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया गया।
समाज के मुख्य वक्ताओ ने माता सावित्री बाई फुले के जीवनी पर प्रकाश डाला। सावित्री बाई फुले का जन्म 03 जनवरी 1831 को हुआ और 10 मार्च 1897को उनका निधन हुआ था।
भारत की प्रथम महिला अध्यापिका, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री के रूप में जाना पहचाना जाता है।उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर महिला अधिकारों और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।
वह पहली महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी कविता का प्रणेता माना जाता है। 1852 में उन्होंने लड़कियों के लिए कई स्कूल स्थापित किये। उस समय कई परेशानियों का सामना करते हुए, उन्हें धार्मिक अनुयायियों और उनके अपने परिवार द्वारा समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था।लेकिन उन्होंने शिक्षा के प्रचार प्रसार का रास्ता नहीं छोड़ा।
इसीलिए सावित्री बाई फुले ने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के प्रथम गुरु पेरियार रामास्वामी नायकर को अपना आदर्श मानकर तथागत बुद्ध की शरण ली। उनका स्कूल सभी जातियों की लड़कियों के लिए खुला था। जब वह स्कूल जाती थीं तो पुणे में महिला शिक्षा के विरोधी उन पर गोबर कचरा छींटाकशी करते थे। सावित्री बाई फुले हर दिन अपने बैग में एक अतिरिक्त साड़ी रखती थीं। वह स्कूल पहुंचकर अपनी साड़ी बदलती थी। उन्होंने बाल विवाह का पुर जोर विरोध किया, और विधवा विवाह का समर्थन किया।
सन् 1897 ई. में महाराष्ट्र में प्लेग की बीमारी फैल गई, लोग गाँव छोड़कर जंगलों में चले गये।सावित्री बाई मरीजों को लेकर आईं और अपने बेटे यशवन्त के अस्पताल में उनका इलाज करवाया।
एक अछूत बालक प्लेग से पीड़ित था। सावित्री बाई फुले उस बच्चे को अपने कंधे पर उठाकर अपने बेटे के हस्पताल में ला रही थी। वह भी प्लेग की शिकार हो गईं और 10 मार्च 1897 को सावित्री बाई फुले की मृत्यु हो गई। इस प्रकार नारी समाज को धर्म की गंदगी से ऊपर उठाकर नया जीवन देने वाली महान नारी का अंत हो गया। आज हर घर में लडकियां पढ़ लिख रही हैं यह फुले दम्पति की ही देन है। हम सब मिलकर संकल्प लें कि माता सावित्री बाई फुले की जयंती के अवसर पर समाज के सभी वर्गों के गरीब एवं शोषित बच्चों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने में महती भूमिका अदा करे।इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय बौद्ध महासभा हेमंत कांडे,बी.एल.बौद्ध, दिलीप सुखदेवे, ओमप्रकाश रामटेके,गोवर्धन रंगारी, कृष्णामूर्तिरामटेके,सुरेंद्र मेश्राम,गोरेलाल बंबेश्वर, अजय रामटेके,संतोष मेश्राम,कमल कांत रामटेके,जयनंदा, किशोर बांबेश्वर,गौतम रामटेके, देवेश मेश्राम,अनिल रामटेके, जितेन्द्र मेश्राम , रोशन पाटील, एलेक्स मानवटकर,दिलीप रंगारी, नरोत्तम मेश्राम विशाल दसोडे,जिला महिला अध्यक्ष नीता कमल रामटेके,सम्यक बौद्ध महासभा महिला अध्यक्ष चन्द्ररेखा नंदेश्वर, चंद्र शीला बांबेश्वर,कृष्णा गजभिए,ज्योत्सना मेश्राम,शारदा बांबेश्वर,सीमा रामटेके, रितु बांबेश्वर,नीतू रामटेके, विद्यावती सहारे, इमला कांडे,ज्ञानेश्वरी खोबरागड़े, भुनेश्वरी बांबेश्वर,भूमिका पाटील,अनीता ऊके, ममता वाहने, बिना बोरकर, पूनम वासनिक,निर्मला भगत,उमा रंगारी,भावना दसोडे,भुनेश्वरी बांबेश्वर ,शालिनी रंगारी,शीला दासोंडे, सिम्पा लाऊतारे, संध्या नायक,शकुन सुखदेवे,तृप्ति कांडे, सीता गोंडाने, भूमि गायकवाड़ ,माहेश्वरी नंदा, एवं बौद्ध उपासक एवं उपाशिकाओं उपस्थित थे।