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संडे मेगा स्टोरी में आज 20 जुलाई 2025 को पढ़िए दल्ली राजहरा के लोक कलाकार संगीतकार गायक और बेहतरीन गीतकार “तिलक राम साहू” की कहानी l

दल्ली राजहरा रविवार 20 जुलाई 2025 भोज राम साहू 9893 765541
“संडे मेगा स्टोरी” के इस रविवार 20 जुलाई को पढ़िए दल्ली राजहरा के लोक कलाकार संगीतकार गायक और एक बेहतरीन गीतकार जिन्होंने कला के क्षेत्र में दल्ली राजहरा को देश में एक पहचान बनाने का काम किया है l आज यह कलाकार कला के क्षेत्र में गुमनामी की अंधेरे में खो गया है l आज “संडे मेगा स्टोरी” के माध्यम से आज आपको बता रहे हैं l दल्ली राजहरा वार्ड 10 पुराना बाजर के तिलक राम साहू की कहानी !
तिलक राम साहू का जन्म और शिक्षा यही दल्ली राजहरा में हुई l वह हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर के साथ शिक्षक प्रशिक्षण व डीजल मैकेनिक में आईटीआई किया है l वर्तमान में दल्ली राजहरा के एक ऐसे स्कूल के शिक्षक हैं जहां बच्चों को निशुल्क में शिक्षा दी जाती है l आपको बता रहे हैं दल्ली राजहरा मां भवानी स्कूल के बारे में l
उन्होंने बताया कि मुझे बचपन से ही रेडियो में छत्तीसगढ़ी गाना सुनने का शौक था l संगीत में रुचि होने के कारण रेडियो के उन गीतों को सुनकर गाने का मैं प्रयास करता और इसी तरह गीतों को स्वर और ताल के साथ गाना सीखा l जब मैं कक्षा ग्यारहवीं में पढ़ता था तभी स्कूल में ही हारमोनियम बजाना सीखा और स्कूल के प्रार्थना और वार्षिक उत्सव में मुझे हारमोनियम बजाने का अवसर मिला l गीत लिखने की आदत भी मुझमें यहीं से आई और मैं गीत लिखने लगा l लोक संस्कृति मंच की कला यात्रा मेरी सन 1990 से प्रारंभ हुई जहां पर “मया के अक्षरा” नामक संस्था का संचालन की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आई l
लेकिन कुछ समय बाद किन्हीं कारणवश संस्था को बंद कर मैं 1993 से 2007 तक लोक कला मंच “माया के संदेश” नमक सांस्कृतिक संस्था का संचालन किया तथा छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत किया l
सन 1993 -94 में साक्षरता अभियान के तहत दल्ली राजहरा के मेरे अन्य कलाकार साथियों के साथ शासन द्वारा गठित कला जत्था के माध्यम से मैं संपूर्ण दुर्ग जिले में जन जागरूकता कार्यक्रम किया तथा दूसरे जिले में आए भीषण बाढ़ के समय दुर्ग जिले में आपदा प्रबंधन तथा राहत कार्य जागरूकता के कार्यक्रम दुर्ग जिले के निदेशकों के नेतृत्व में किया l जिसके लिए हमें बीएसपी द्वारा 15 अगस्त को सम्मानित भी किया गया था l उस समय साक्षरता कला जत्था द्वारा गांव-गांव में नशापान अशिक्षा अंधविश्वास जैसे कुरीतियों के बारे में लोगों को चेतना व जागरूकता फैलाने का कार्यक्रम किया l
इसी के साथ मैंने अपने संस्था “मया के संदेश “जिसमें मेरे साथ लगभग 22 कलाकार साथी जिसमें खास कर महेश सहारे भुवन साहू दिलीप दास मानिकपुरी हरिदास मानिकपुरी रामदास मानिकपुरी नरेश रजक नवीन रजक गीतांजलि बाग बीसहत बंजारे निर्मला रावटे सावित्री जांगड़े हेम प्रकाश जांगड़े संतु ठाकुर चेन प्रकाश टंडन तेजराम श्याम केसरिया हेमलता केसरिया मुरली रंगारी विष्णु मांडवी ईश्वर पटेल आदि के साथ विभिन्न संस्थानों पर कार्यक्रम के माध्यम से छत्तीसगढ़ी की संस्कृति को जनता के बीच प्रस्तुत किया l भिलाई स्टील प्लांट दल्ली राजहरा द्वारा आयोजित लोक कला महोत्सव में मेरी संस्था व मेरे गायन को प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ डॉक्टर विमल पाठक जी ने खूब सराहा l बीएसपी द्वारा आयोजित कार्यक्रम लोक उत्सव भाटापारा में मुझे श्रेष्ठ गायक का सम्मान भी प्राप्त हुआ है l
अपनी कला यात्रा के दौरान ही मैंने अपनी आवाज को छत्तीसगढ़ तथा अन्य प्रांत तक पहुंचाने के लिए सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड एवं के . के. ऑडियो कैसेट कंपनी रायपुर के माध्यम से करीब 9 ऑडियो कैसेट भी रिकॉर्ड किए l जिनकी कैसेट उस समय दुकानों के माध्यम से लोगों तक पहुंची l जिसके माध्यम से मेरा आवाज आमजन मानस तक पहुंची l
ये कैसेट है “लेड़गी टूरी पहली गवन ” “गोबर चोट्टी” “मडवा धमाका” “गंगापार रामधुनी” “गजरा” ” मैया के रूप” “चारी चुगली” “तिरछी नजरिया” आदि जिनसे राजहरा तथा छत्तीसगढ़ में मेरी पहचान बनाई l
मेरे कई गीतों का वीडियो रूपांतर भी हुआ l मेरे लिखे और गाए गीत “गोल-गोल चेहरा” “हिरनी कश आंखि ” और “पहले गवन में आए हो बहिनी” जैसे गीतों को हिंदी फिल्म के कलाकार छत्तीसगढ़ी फिल्म “जय महामाया” और “मोर सजना के गांव ” में विनोद राठौड़ एवं साधना सरगम जी ने मेरे बंदिश धुन में गाया l
एक छोटी सी मेरी उपलब्धियां थी गंगा मैया झलमला के ऊपर लिखे मेरे गीत को भी सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड द्वारा मुझ पर मंदिर में शूटिंग कर वीडियो में उपलब्ध कराया गया l सुंदरानी वीडियो के ही मोहन सुंदरानी जी ने भी मुझे कई गीत लिखने के लिए प्रेरित किया तथा मेरा मार्गदर्शन भी किया l उनके साथ भी मेरे बहुत अच्छे संबंध थे उस समय मेरी पत्नी मेरे परिवार व मेरे मित्रों ने भी मेरा साथ दिया यह दौर ऑडियो टेप कैसेट का था l वीडियो का चलन और छत्तीसगढ़ी राज्य बनने के बाद कलाकार को आगे आने का अच्छा अवसर मिला l
स्वास्थ्य खराब हो जाने से मुझे रात्रि का मंच संचालन का कार्यक्रम बंद करना पड़ा l लेकिन फिर भी लोक कला मंच से हटकर मैंने कुछ मानस मंडली से जुड़कर कई स्थानों पर रामचरितमानस के भजनों के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी l जीवन निर्वाह का उचित साधन नहीं होने व अपने शैक्षणिक कार्य में जिम्मेदारी के कारण मुझे मंच का बाहर का कार्यक्रम भी बंद करना पड़ा और एक तरह से मेरे कलाकारी जीवन थम सी गई l
मेरे मन में एक कसक और पीड़ा हमेशा से अपनी आवाज व गीत लोगों तक पहुंचाने की रही l अपनी पत्नी व बच्चों की प्रेरणा से पिछले 6 माह से कुछ गीत यूट्यूब पर अपलोड किया और शायद इसी से मंच पर रात्रि कार्यक्रम ना कर पाने का मेरी पीड़ा कम हुआ l
➡️🔥🌺कला के क्षेत्र में आप लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे ..!🌺🔥⬅️
उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ी कला हमारी संस्कृति है, हमारी धरोहर है, इसे हमेशा संभाल कर रखें ! अपनी इस संस्कृति में कितनी विकृति आ गई है पहले के वह सुवा दरिया के और संस्कृति के गीत अब नहीं गाये जा रहे हैं l छत्तीसगढ़ी भाषा में एक गीत था l
भारत माता ला बंदउ,अउ पदुमा पैया लागो l
ना रे सुवा हो, जे हर आजादी में होंगे बलिदान ll
जैसे देशभक्ति गीत भी अब सुनने को नहीं मिलते l छत्तीसगढ़ी बोली में जो फिल्म निर्माता के द्वारा बनाई जा रही है वह अपनी संस्कृति भूल रहे हैं घर बैठ कर परिवार के साथ फिल्म देखने लायक नहीं है l इसमें फुहड़ता का समावेश हो रहा है l हमारी संस्कृति में नये बालीवुड और पाश्चात्य का समावेश होना बहुत ही दयनीय है l हमारी धरोहर में ममता चंद्राकर बैतल राम साहू जैसे पुराने कलाकार को सुनिए l यहां कहीं भी फुहड़ता नहीं है l लोग अपने आप को हाइलाइट करने के लिए कुछ भी कर रहे हैं l
➡️🔥🌺 उनसे जब पूछा गया कि सरकार की ओर से आपको क्या सम्मान मिला l🌺🔥⬅️
तब उन्होंने कहा कि आजीविका के समस्या के कारण कला के क्षेत्र सम्मान के बारे में कभी नहीं सोचा l सम्मान प्राप्त करने के लिए सरकार से अप्लाई करना पड़ता है l वह मैंने कभी नहीं किया l हम लोग रोजी-रोटी के लिए अपने जीवन में व्यस्त रहे गए l सरकार की ओर से कलाकारों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि वह सम्मानपूर्वक जीवन जी सके l अभी मैं अपनी कला को बच्चों के बीच बाटता हूं l सुबह से शाम तक स्कूल ही मेरा ठिकाना है l इससे मुझे आत्मीय संतुष्टि मिलती है l
वास्तविकता में सच है दल्ली राजहरा कलाकारों की भूमि रही है l हमारे बीच ऐसे कलाकार हुए जो अभाव में जी रहे हैं यदि उन्हें सरकार की ओर से मदद मिलती तो कला के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ी परंपरा और विरासत को बहुत आगे ले जा सकते थे l एक विशेष कार्यक्रम के माध्यम से एक मंच बनाकर ऐसे कलाकारों का सम्मान अवश्य करना चाहिए l आज दल्ली राजहरा में देखे तो लोक कला महोत्सव जो बीएसपी के द्वारा मई के माह में 2 दिन का विशेष कार्यक्रम होता था l जहां तीजन बाई रितु वर्मा बैतल राम साहू जैसे कलाकार यहां कार्यक्रम देते थे l आज वह सब समाप्त हो गया है l छत्तीसगढ़ी परंपरा को लोगों तक पहुंचने के लिए इस तरह के कार्यक्रम की फिर से आवश्यकता है l
आपके आसपास भी ऐसे कलाकार हो जिनकी प्रतिभा को “संडे मेगा स्टोरी” के माध्यम से आगे लाया जा सके l तो आप अवश्य संपर्क करें !
भोज राम साहू संपादक “हमारा दल्ली राजहरा- एक निष्पक्ष समाचार चैनल “98937 65541