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शिकारी बाबा वार्ड (क्रमांक 5 ) में पार्षद पूसई साहू के नेतृत्व में निकाली गई कावड़ यात्रा l

दल्ली राजहरा सोमवार 4 अगस्त 2025

भोज राम साहू 98937 65541

 

 

 दल्ली राजहरा के शिकारी बाबा वार्ड क्रमांक 5 में कल रविवार 3 अगस्त को दोपहर 12:00 पार्षद श्रीमती पूसई साहू (पूजा ) के नेतृत्व में कावड़ यात्रा निकाली गई l इस कावड़ यात्रा में वार्ड नंबर 5 के महिलाएं पुरुष और बच्चे सम्मिलित हुए l जहां सभी ने अपने-अपने घरों से बेहतरीन ढंग से सजी कावड़ लेकर शिकारी बाबा मंदिर परिसर पहुंचे जहां कांवड़ यात्रा के शुभारंभ भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री सौरभ लुनिया जी . नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष तोरण लाल साहू नगर पालिका उपाध्यक्ष मनोज दुबे एंव भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष रामेश्वर साहू शिकारी बाबा वार्ड क्र 05 पार्षद पुसई साहू वार्ड पार्षद मेवा पटेल वार्ड पार्षद बीरेन्द साहू वार्ड पार्षद निर्मल युवा नेता प्रमोद कुमार ललित जैन मनोज ने किया l

सभी ने हर हर महादेव जय शिकारी बाबा जय राजहरा बाबा के नारा लगाते हुए महादेव का जयकार करते हुए झरन माता मंदिर परिसर के झरनकुंड पहुंचे और झरण कुंड से जल लेकर अपने-अपने घर के पास स्थित शिवलिंग का जल अभिषेक कर मनोकामना पूर्ति हेतु वरदान मांगे l

➡️🔥🌺सावन का कावड़ यात्रा और उसका इतिहास 🌺🔥⬅️

कावड़ यात्रा का इतिहास पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से जुड़ा है मुख्य रूप से यह भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है कहा जाता है कि जब देव और दानव के बीच समुद्र मंथन हुआ तो उसमें निकले रत्नों में से एक हलाहल (विष ) भी निकाला था l जिसको देखकर सभी देवता और दानव घबरागये और सभी ने भगवान शिव की ओर देखने लगे l भगवान शिव ने उसे हलाहल को पी लिया और उसे अपने गले में रोक लिया l जिसके प्रभाव के कारण गले में भयंकर जलन होने लगी l तब देवताओं और दानवों सभी ने शिव जी के गले के जलन को शांत करने के लिए पानी डालने लगे तभी से भगवान शिव कर जलाभिषेक की परंपरा चालू हुई है l

साल के 12 महीना में सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है इसलिए कावड़ यात्रा इसी सावन माह में की जाती है l

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम को सबसे पहले कावड़ यात्री माना जाता है l वह गढ़ मुक्तेश्वर से गंगाजल लाकर बागपत स्थित भगवान शिव के मंदिर में अभिषेक करने पहुंचे थे l कुछ मान्यताओं के अनुसार लंका पति रावण को प्रथम कावड़ यात्री माना जाता है कहा जाता है कि रावण शिव का परम भक्त था समुद्र मंथन के बाद जब भगवान शिव हलाहल को पिया था तब उसके गले में जलन हुई थी उसे शांत करने के लिए वह गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था l

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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