छत्तीसगढ़डौंडीदल्लीराजहराबालोदविविध

” अगर वीर नारायण सिंह को जानना है। तो पहले शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी को जानना होगा।” :– जनक लाल ठाकुर पूर्व विधायक एवं अध्यक्ष छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा

दल्ली राजहरा

गुरुवार 12 दिसंबर 2024

भोज राम साहू 98937 65541

शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि देने कन्दाड़ी (मानपुर) पहुंचे पूर्व विधायक जनक लाल ठाकुर सहित छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा राजहरा के पदाधिकारी l

जहाँ सभा स्थल से श्रध्दांजलि देने मूल निवासी आदिवासीयों ने रैली निकाली और वीर नारायण सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर वीर नारायण सिंह अमर रहे के गगन भेदी नारों के बीच शहीद वीर नारायण सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस सभा को सम्बोधित करते हुए

सोमनाथ उइके ने कहा

वीर नारायण सिंह, बिरसा मुंडा, गुंडा धूर, बाबूराव शेडमाके, टांटृया मामा(भील), तिलका मांझी, चांद भैरव, सिद्धू-कान्हू, गैंदसिंह नायक, महारानी रानी दुर्गावती जैसे अनेक आदिवासी महानायक हुए हैं। उनके इतिहास को जानना होगा ,मानना होगा उनके रास्ते पर चलने का जोर दिया।

राम चरण नेताम ने कहा

दिसंबर 1979 में छग० मुक्ति मोर्चा लाल हरा झंडा थामे शहीद शंकर गुहा नियोगी जी , सहदेव साहू जी अपने टीम के साथ वीर नारायण सिंह के जीवन इतिहास को खोज निकाला और नवां अंजोर सांस्कृतिक नाटक के माध्यम से जन जन तक उनके जीवन की गाथा को पहुंचाया l 19 दिसंबर 1983 में पहली बार रायपुर में शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी ने लाखों की संख्या में शहीद वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस मनाया l लगातार 19 दिसंबर को शहीद दिवस मनाता चला आ रहा है। विभिषण के साथ षड़यंत्र रच कर वीर नारायण सिंह को गिरफ्तार किया । अंग्रेजी हुकूमत वीर नारायण सिंह से इस कदर खौफ खाती थी कि कोई दूसरा आदिवासी वीर नारायण सिंह न बन जाए इसलिए आदिवासी में खौफ पैदा करने के लिए 10 दिसंबर को रायपुर के जय स्तंभ चौक पर फांसी दी गई l 9 दिन उसके लाश को पेड़ पर लटका कर रखे हुए थे और 19 दिसंबर को उनके लाश को तोप से उड़ा दिया गया था। इतनी खौफनाक मंजर की याद करते हुए रूह कंपा जाती है।

कोहका थाना प्रभारी मरावी जी

ने वीर नारायण सिंह के जीवन गाथा 1856 की भीषण आकाल और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उनके नेतृत्व में हुए संग्राम को लोगों को बताया।

पूर्व विधायक व छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा अध्यक्ष जनक लाल ठाकुर जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा

अंग्रेजी हुकूमत, जमींदारी के खिलाफ वीर नारायण सिंह के वीरता संघर्ष और कुर्बानी की आदिवासियों को गौरवान्वित करने वाली गाथा है।दबे कूचले जंगलो में बसे हजारों हज़ारों आदिवासियों का अंग्रेजी हुकूमत और जमीदारी के खिलाफ नेतृत्व किया। अगर वीर नारायण सिंह को जानना है। तो पहले शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी को जानना होगा। आदिवासियों को बचाना है तो महारानी दुर्गावती, गैंदसिंह नायक, शहीद वीर नारायण सिंह, शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी जी के संघर्ष और निर्माण की रास्ते में चलना होगा ।

जिला किसान संघ राजनांदगांव के अध्यक्ष सुदेश टीकम जी ने

किसानो को 117 रू० समर्थन मूल्य वृद्धि का लाभ देने, राजीव गांधी न्याय योजना की चौथी किश्त का भुगतान, धान खरीदी व्यवस्था में सुधार करने को लेकर अपनी बात कही।

कोहका थाना प्रभारी मरावी जी के विशेष सहयोग से यह कार्यक्रम सफल हुआ।11 गांवों के आदिवासी मूलवासी, सरपंच,सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी, पूर्व विधायक डौण्डी लोहारा व छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष जनक लाल ठाकुर जी, छत्तीसगढ़ माईंस श्रमिक संघ से सोमनाथ उइके, राम चरण नेताम, सुरेन्द्र साहू, नासिक यादव, हरिशंकर साहू विशेष अतिथि के रूप में वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर उपस्थित थे।

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!