भगवान श्री राम मर्यादा में रहकर कार्य किया इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए और भगवान कृष्ण का मानना था धर्म की रक्षा के लिए मर्यादा तोड़ना आवश्यक है इसलिए वे कर्मयोगी बने l:— प्रवचन कर्ता सौरभ शर्मा ने कहा l

दल्ली राजहरा
गुरुवार 23 जनवरी 2025
भोज राम साहू 9893765541
वार्ड नंबर दो रामनगर चौक पंडर दल्ली, में 18 जनवरी 2025 से 24 जनवरी 2025 तक श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन वार्ड की सर्व महिला समिति रामनगर चौक की एवं नगर वासियों के द्वारा किया जा रहा है l श्रीमद भागवत कथा प्रवचन कर्ता भागवताचार्य बाल्य व्यास पंडित सौरभ शर्मा ने कथा की पांचवें दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की अयोध्या में स्थापना दिवस की पहली वर्षगांठ पर भगवान श्री राम और श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनाया l उन्होंने कहा कि आज ही के दिन भगवान राम लला की अयोध्या में मंदिर में स्थापना हुई थी साथ ही आज अष्टमी तिथि है अष्टमी तिथि को ही कृष्ण का जन्म हुआ था l
उन्होंने बताया कि राम का जन्म दिन में 12:00 बजे हुआ जबकि श्री कृष्ण का जन्म रात्रि के 12:00 बजे में हुआ l विष्णु के भगवान राम सातवें अवतार तो कृष्ण को आठवें अवतार थे l दोनों ने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है l क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में मर्यादा का पालन किया l पिता के आज्ञा का पालन कर 14 वर्ष वनवास गए अपनी पत्नी सीता के प्रति समर्पण दिखाया , भाई के प्रति प्रेम , राजा के रूप में न्याय , वनवास में भी मर्यादा , सत्य और न्याय के मार्ग पर चले , अहिंसा और करुणा का पालन किया , सेवा और त्याग , सभी का पालन किया इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है l भगवान श्री राम मर्यादा में रहकर कार्य किया इसलिए वह मर्यादा पुरुषोत्तम बने और कृष्ण का मानना था धर्म की रक्षा के लिए मर्यादा तोड़ना आवश्यक है इसलिए वह कर्मयोगी बने l
महाराजा कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करते थे l जब देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ तब वह अपने बहन को स्वयं विदा करने सारथी बनकर गए l जब वह रथ में अपनी बहन और वासुदेव को लेकर जा रहे थे l उसी समय आकाशवाणी हुआ कि जिस बहन को रथ में लेकर विदा करने जा रहे हो उसका आठवां पुत्र आपका काल बनेगा l उन्हीं के हाथों आपकी मौत होगी l तब कंस ने बहन के प्रति प्रेम को भूलकर देवकी को मारने के लिए अपना तलवार उठा लिया l वासुदेव ने पति धर्म का पालन करते हुए पत्नी देवकी की जीवन की कंश से भीख मांगी l उन्होंने कहा कि यदि आपको लगता है कि देवकी का आठवां पुत्र आपकी मौत का कारण होगा l तो मैं उनके आठवां पुत्र को जन्म लेते ही आपको सौंप दूंगा l तब कंस ने उन्हें जीवन दान दिया l लेकिन कंस ने सोचा कि देवकी का आठ पुत्र हो तो आठों पुत्र में से कौन सा नंबर का पुत्र मेरा मौत का कारण बनेगा यह आकाशवाणी ने स्पष्ट नहीं बताया l इसलिए कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके उत्पन्न होने वाले पुत्रों को मौत के घाट उतारता गया l
भाद्र पक्ष अष्टमी की मध्य रात्रि को जब उनका आठवां पुत्र उत्पन्न हुआ तो चारो ओर घोर अंधकार, और मूसलाधार बारिश हो रहा था l पहरेदार भगवान की माया से चिर निद्रा में सो गए और वासुदेव की हथकड़ी तथा सभी कारागार की द्वार खुल गए l फिर आकाशवाणी हुई और आकाशवाणी के अनुसार वासुदेव ने अपने पुत्र को यमुना पार अपने मित्र नंद बाबा के घर ले गए और वहां से उनके नवजात पैदा हुई पुत्री को लाकर कंस के हाथों में सौंप दिया l कहते हैं कि कंस ने जब उन्हें मारने की चेष्टा की तो कन्या ने उनके हाथ छुट कर आकाश में चले गए और आकाश से भविष्यवाणी हुई l हे पापी कंस ! तुझे मारने वाला तो गोकुल में पैदा हो चुका है इधर गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने लगा l
कथा में पूरा वातावरण कृष्णमय था लोग भगवान कृष्ण के जन्म उत्सव बड़े धूमधाम मनाने लगे l नंद में आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के गीत से पूरा रामनगर चौक गूंज उठा l बच्चों तथा महिलाओं ने नृत्य कर भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का आनंद लिया l भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर महाराज ने सभी माताओ को तथा बच्चों को आशीर्वाद दिया l
नंद बाबा और नवजात कृष्ण के रूप में छोटे बच्चे का व्यासपीठ पर हूबहू बालकृष्ण के रूप में टोकनी में लेकर आना एक बेहतरीन परिदृश्य निर्मित हो गया था l ऐसा लग रहा था कि सचमुच भगवान कृष्ण का जन्म हो हुआ हो और हम नंद बाबा के गांव गोकुल पहुंच गए हैं l
आज कथा के छठवें दिन रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया जाएगा l कल कथा 10:00 बजे प्रारंभ होगी कथा में तुलसी वर्षा चढ़ोतरी एवं भंडारा का आयोजन किया गया है तथा कल कथा का समापन होगा l