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हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा ने शरद पूर्णिमा पर कविगोष्ठी का किया आयोजन l

दल्ली राजहरा  बुधवार 8 अक्टूबर 2025 भोज राम साहू 98937 65541

शरद पूर्णिमा का नाम सुनते ही हर किसी के मन में चंन्द्र की स्निग्ध,शीतल रौशनी आंखों में तैरने लगती है।मान्यता भी है कि इस दिन चंन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ अपने पूरे शबाब में रहता है। शरद पूर्णिमा पर चंन्द्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर चंन्द्रमा की रोशनी में रखा जाता है,जो औषधि की तरह कार्य करता है। इस खीर के सेवन से व्यक्ति पूरे वर्ष निरोगी रहता है,अतः चंन्द्रमा के सौन्दर्य,उसकी तेजस्विता से कवि हृदय ज्यादा प्रभावित होते हैं ,और अपनी कल्पनाओं को मूर्त रूप देने शरदोत्सव मनाते हैं।।कल 6 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को यादगार बनाने के ध्येय से नगर की सबसे पुरानी संस्था हस्ताक्षर साहित्य समिति ने काव्य गोष्ठी का आयोजन निषाद भवन में किया गया।
         गरिमामय कार्यक्रम के मुख्यअतिथि आचार्य जे० एल० महिलांगे, अध्यक्षता संतोष कुमार ठाकुर ‘सरल’ विशेष अतिथि के रूप में सरिता गौतम’मधु’ शमीम अहमद सिद्दिकी उपस्थित थे।   कार्यक्रम की शुरुआत में गोविंद कुट्टी पणिकर ने ,एवं आचार्य जे आर महिलागें ने शरद पूर्णिमा पर अपने विचार रखें।
संतोष ठाकुर ‘सरल’ ने शरद पूर्णिमा के महत्व को अपनी कल्पना से उकेरते हुए यूँ पंक्ति पढ़ी –

चाँदनी रात है,

चाँद का उजाला है,

*महफिल सजी है ,

सामने खीर का प्याला है “ll

 शमीम अहमद सिद्दीकी ने अपनी ओर ध्यान इस तरह खींचा-
हम नीर देखते है हम पीर देखते है,

आहत हृदय की हम पीर देखते हैं।

जब बैठकर अंतस निहारते हम,

रैदास देखते हैं कबीर देखते हैं ll

सरिता गौतम ने अपनी कविता के माध्यम से अपने भाव इस तरह से प्रगट की-

मां शारदे क्यों हो गई रूष्ट

दो कल्पना को उड़ान,

शब्दों को आधार

मन की पावनता।

मनोरम न सहीं कर सकूं

यथार्थ चित्रण ही,

उठाओ सुख दुख से ऊपर,

रख दो शीश शरद हस्त दो

जीने की उमंग,
सृजन कर सकूं बेहतर

भले ही न बन सकूं महान,

बना दो बस सच्चा इंसान।।

गोविन्द कुट्टी पणिकर ने प्रकृति का सुंदर चित्रण अपनी कविता के माध्यम से इस प्रकार किया-

ऐ उतुंग शिखर चूमते कपासी बादल

ऐ कृष्णा, कावेरी, गोदावरी की

हरी-नीली जलराशि,

क्यों मुझे..!

जल-क्रीड़ा का देते हो आमंत्रण

 तुम कुछ तो बता दो न ll

कार्यक्रम के अध्यक्ष आचार्य महिलांगे ने नारी सशक्तिकरण पर सशक्त रचना का पाठ किया- नारियों को सम्मान दे –

यत्र नार्यन्तु पूज्यंते,रमंते तंत्र देवता

इस वाक्य को शाश्वत सत्य करें..!

नारी सम्मान में निहित है मानवता

के एल चोपड़े ने श्रंगार रस की सुंदर रचना से सबका मन मोह लिया –

मया के पिंजरा में तैं आ जाबे ना

का कहंव तोला संगी,

अंतस मा समा जाबे ना

तामसिंग पारकर ने हिंदी भाषा की महिमा का छत्तीसगढ़ी भाषा में बहुत ही सुन्दर ढंग से बखान किया-

गुरतुर मीठा भाखा हमर,

सब ले हावय महान

अलंकार,रस छंद मां,

बांटते सब ला ज्ञान

 

कामता प्रसाद देशलहरा ने दीपावली उत्सव पर छत्तीसगढ़ी में सुंदर रचना सुनाई-

अब तिहार अवईया हे देवारी
जेकर भर जोरा करव संगवारी
इस कार्यक्रम में हास्य व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर घनश्याम पारकर ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से समाज को संदेश दिया। इस कार्यक्रम में … श्रोता उपस्थित थे। कार्यक्रम देर रात चला,सभी कवियों ने अपनी उम्दा रचनाओं का पाठ किया। तत् पश्चात सभी को खीर का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में निजाम भाई,राजेन्द्र साहू सहित कई काव्य रसिक श्रोता उपस्थित थे।

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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