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” संडे मेंघा स्टोरी में आज पढ़िए हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को जन जन तक पहुंचने वाले आयुर्वेदाचार्य , बैदराज महेंद्र कुमार साहू की कहानी l”

दल्ली राजहरा

रविवार 19 जनवरी 2025

भोज राम साहू 9893765541

 

संडे  मेघा स्टोरी में आज 19 जनवरी 2025 को पढ़िए बालोद जिले गुरूर तहसील से 2 किलोमीटर दूर ग्राम ठेकवाडीह के वैद्य राज महेंद्र कुमार साहू पिता श्री कोदू राम साहू की कहानी !

जिन्होंने आयुर्वेद एवं स्थानीय जड़ी बूटी के प्रचार में अपना जीवन लगा दिया l इस कार्य में उनके पूरे परिवार का भी सहयोग है l उन्होंने बताया कि अब तक उनके इलाज से हजारों मरीज लाभ प्राप्त कर चुके है तथा 50 से 60 व्यक्ति जड़ी बूटी प्रशिक्षण लेकर आयुर्वेद के प्रचार में लगे हुए है। साहू वैद्य के नाम से प्रसिद्ध ग्राम ठेकवाडीह के महेन्द्र कुमार साहू ने बताया कि वे जब आठवीं की पढ़ाई कर रहे थे तब से आयुर्वेद एवं जड़ी बूटी में विशेष रुचि था l उसी समय से आचार्य बालकृष्ण का आस्था चैनल में जड़ी बूटी के बारे में बताया जाता था l उसी को देख कर आयुर्वेद का प्रयोग अपने घर के लोगो के साथ करते हुए तथा अनेक आयुर्वेदिक पुस्तको का अध्ययन किया। जड़ी बूटी के माध्यम से जब लोग ठीक होने लगे तो रुचि आयुर्वेद के बारे में और बढ़ने लगा तब आगे की पढ़ाई के लिए आयुर्वेदिक फार्मेसी के लिए बाहर जाकर पढ़ाई की उन्होंने कई आयुर्वेदिक पुस्तको का अध्ययन किया तथा दवाई का निर्माण कैसे किया जाता है l ये सब सीखने के बाद उन्होंने कई बीमारियों का जड़ी बूटी से दवाई बनाकर अनेक लोगों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया । जब उनके द्वारा बनाए गए दवाई से मरीज जल्द ही ठीक होने लगे तो उनका मनोबल और बढ़ता गया। उन्होंने बताया कि उनके इलाज से अभी तक हजारों मरीज लाभान्वित हो चुके हैं।जिनकी बीमारी पूर्णतः ठीक हो चुके हैं।

 

साहू जी हर घर आयुर्वेद एवम् अपना वैद्य स्वयं बने संकल्प को लेकर अभी तक 60 से अधिक लोगों को जड़ी बूटी में प्रशिक्षण देकर लोगो को आयुर्वेद में पारंगत कर रहे है। साथ ही लोगों को स्वालंबी एवं स्वरोजगार प्रदान कर रहे है। प्रतिदिन 90 से 100 के लगभग मरीज आसपास के अलावा पूरे छत्तीसगढ़ से तथा अन्य प्रदेशों से जिसमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हैदराबाद, जम्मू कश्मीर, मद्रास तथा विदेश से भी मरीज मिलने के लिए आते है l एक मरीज जिनका इलाज चल रहा है वह न्यूयार्क से है उन्होंने बताया कि उनके द्वारा कई बीमारियों का इलाज किया जाता है।

उनके द्वारा आवासीय प्रशिक्षण दिया जाता है जो कि पूर्णतः निःशुल्क है। प्रशिक्षण में जड़ी बूटी से औषधि निर्माण तथा घरेलू उपयोगी सामान बनाकर लोगो को स्वालंबी एवं स्वदेशी घरेलू समान जैसे साबुन, निरमा अमृतधारा ,बाम चवनप्राश,बालों का तेल दर्द निवारक तेल,हर्बल चाय इत्यादि बनाया सिखाकर स्वरोजगार भी दे रहे हैं।लेकिन प्रशिक्षार्थी के ड्रेस कोड जिसमें लोवर ,टी शर्ट ,बैग प्रमाण पत्र वो खाने एवं उनके ठहरने की व्यवस्था तथा जंगल भ्रमण जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था के लिए सेवा शुल्क 5 हज़ार से 6 हजार  लिया जाता है l प्रशिक्षण 3-4 माह के अंतराल में निश्चित संख्या होने पर दिया जाता है जो कि प्रशिक्षण 5 दिवसीय होता है l उन्होंने कहा कि यदि आपके पास भी 15 से 20 परीक्षार्थी हो और उनके रहने व खाने की व्यवस्था की जाए ,तो वे आकर निःशुल्क प्रशिक्षण भी दे सकते हैं।

सरकारी सहयोग के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अभी तक कुछ नहीं मिला है। अगर सरकारी मदद मिल जाता तो उनके साथ और भी कई लोग जुड़ेंगे l जिससे कई लोगों को प्रशिक्षित करके उन्हें रोजगार का अवसर दिया जा सकता हैं।उन्होंने बताया कि हमारे आस पास बहुत सारे औषधी पौधे मौजूद है l जिन्हें हम खरपतवार समझ के नष्ट कर देते है जिनके उपयोग से अनेक असाध्य रोगों का इलाज किया जा सकता है l इस आयुर्वेद के इलाज से प्रकृति का संरक्षण एवं संवर्धन तो होगा , ही साथ ही लोगों को पुराने ऋषि परम्परा एवं ऋषि मुनियों की दवाई के भी जानकारी होगी ।

उन्होंने आयुर्वेद के प्रचार का उद्देश्य बताया कि मेरा मानना है कि हर घर तक आयुर्वेद एवं ऋषि परम्परा को जोड़ना है जिससे वे अपने छोटी मोटी समस्याएं का समाधान कर सके तथा अपना वैद्य स्वयं बने तथा लोगो को आयुर्वेद जड़ी बूटी की खेती से एवं आयुर्वेद घरेलू उत्पाद बनाना सिखाकर रोजगार के अवसर प्रदान करना है l

मै लोगो को रोजगार देने के लिए आयुर्वेद का प्रचार निःशुल्क करना चाहता हूं ताकि लोग च्यवनप्राश ,अमृतधारा, बाम, बालों का तेल, दर्दनिवारक तेल, दंत मंजन , साबुन सर्वरोग हर आयुर्वेदिक चाय,जैसे 300 से अधिक उत्पाद बनाना सिखा सकता हूं l जिससे आम आदमी अपना स्वरोजगार चला सके।

अंत में उन्होंने बताया कि ऐसे कई जड़ी बूटी है जो कि जानकारी के अभाव में लोगो द्वारा नष्ट किया जा रहा है l जिनके संरक्षण एवं संवर्धन का आवश्यक हैं जैसे दहीमन, मैदा,महमेदा,कलिहारी, इत्यादि। छत्तीसगढ़ के जंगलों में औषधि का भंडार है लेकिन इनका उपयोग कैसे करना है ये नहीं पता।

संडे मेघा स्टोरी में आज बस इतना ही आपके पास भी संडे मेंघा स्टोरी के योग्य कहानी या ऐसे व्यक्तित्व हो जिसकी प्रतिभा को निखारा जा सके तो आप अवश्य संपर्क करें !

“संपादक”

हमारा दल्ली राजहरा

भोज राम साहू

98937 65541

 

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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