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सम्यक बौद्ध महासभा दल्ली राजहरा के तत्वावधान में विश्व शांति के अग्रदूत महाकारुनिक तथागत गौतम बुद्ध की जयंती समारोह हर्षो उल्लास साथ मनाया गया l

दल्ली राजहरा
सोमवार 12 मई 2025
भोजराम साहू 9893765541
दल्ली राजहरा के सम्यक बौद्ध महासभा के तत्वावधान विश्व शांति के अग्रदूत महाकारुनिक तथागत गौतम बुद्ध की जयंती समारोह अंबेडकर मेमोरियल हॉल दल्ली राजहरा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम धम्म ध्वज पंचशील झंडे का ध्वजारोहण संस्था के अध्यक्ष अशोक बांबेश्वर के द्वारा किया गया। तदपाश्चात्य तथागत गौतम बुद्ध एवं बोधिसत्व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर बुद्ध,धम्म, संघ एवं परित्राण पाठ किया गया। इस अवसर पर भारतीय बौद्ध महासभा के उपाध्यक्ष हेमंत कांडे, श्रीमती नीता कमल रामटेके, किशोर बांबेश्वर, गोवर्धन रंगारी, कमलकांत रामटेके,अजय रामटेके, चंद्रशिला बांबेश्वर, कृष्णा गजभिए, सुमिता रामटेके, अशोक बांबेश्वर आदि वक्ताओं ने धम्म देशना दिया।
बौद्ध धर्म का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना और निर्वाण को प्राप्त करना है। ऐसा माना जाता है कि निर्वाण केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब मनुष्य के भीतर सभी प्रकार के द्वेष, मोह,लोभ, लालच, घृणा और अज्ञानता को समाप्त कर दिया जाए। बुद्ध ने मध्यम मार्ग सिखाया है जिससे अज्ञानता, लालसा, पुनर्जन्म, और पीड़ा से मुक्ति का रास्ता बताया है बुद्ध ने पंचशील का पालन करने को कहा हत्या न करना, चोरी ना करना, यौन शोषण न करना, मिथ्या भाषण ना देना और मादक पदार्थों का सेवन न करना । इन पांचो बातों का पालन करके मनुष्य अपना और अपने परिवार का उद्धार कर सकता है । मनुष्य को कभी भी क्रोध की सजा नहीं मिलती बल्कि क्रोध से सजा मिलती है मनुष्य तब तक जीत नहीं सकता जब तक वह अपने ऊपर विजय प्राप्त नहीं कर लेता। गौतम बुद्ध ने कहा कि अतीत में मत रहो, भविष्य के सपने मत देखो, मन को वर्तमान समय पर केंद्रित करो। विगत दिनों बोधगया के महाबोधि महाविहार के मुक्ति आंदोलन में शामिल हुए हेमंत कांडे, अनिल रामटेके, नीता रामटेके, ज्योत्सना मेश्राम, सीमा रामटेके को समाज के द्वारा शॉल भेंट करके सम्मानित किया गया। श्याम राव दसोडे के द्वारा तथागत की त्रिडी छाया चित्र समाज को भेंट किया गया।
इस कार्यक्रम का मंच संचालन संस्था के संरक्षक बी.एल. बौद्ध एवं आभार प्रदर्शन सुरेंद्र मेश्राम के द्वारा किया गया। इस अवसर पर भीमराव मेश्राम,ओम प्रकाश रामटेके, संतोष मेश्राम, रोशन पाटील, संतोष सहारे, सत्यनारायण रामटेके, डॉ अजय बनसोडे, रमेश भगत, डॉक्टर सुरेश ठावरे, विजय सुखदेवे, विनोद घनश्याम, राधेलाल मेश्राम,मोहनलाल मेश्राम, देवानंद दहिविले, किशन खोबरागड़े ,विशाल दसोडे ,रतन जामुलकर,विनोद घनश्याम,श्रीमती ज्योत्सना मेश्राम, शारदा बाम्बेश्वर, भूमिका पाटिल अनीता ऊके,
रितु बांबेश्वर, माया नोंहारे, विद्यावती सहारे,रंजीता मेश्राम,उमा रंगारी, सिम्पा लाऊत्रे,उषा मेश्राम, कौसल्या बनसोडे, भारती दाहिविले एम.एम.सोमकुवर, अनीता रामटेके, भावना दसोडे,अनीता मेश्राम, संध्या रामटेके, रंजीता मेश्राम, ममता गजभिए, अनीता बाबेश्वर, देवकी रामटेके, सीता गोंडाने सावित्री रामटेक, ललिता वासनिक, मंजीता डोंगरे ,मीरा मेश्राम, उषा गायकवाड, मंजू गायकवाड, एवं सैकड़ो की संख्या में बौद्ध उपासक एवं उपसिकाए उपस्थित थे l