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शहीदों के चिताओं पर , लगेंगे हर बरस मेले l वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशा होगा ll संडे मेघा स्टोरी में आज रविवार 1 जून 2025 को पढ़िए दल्ली राजहरा के “अमर शहीदों की कहानी”

 दल्ली राजहरा

रविवार 1 जून 2025

भोज राम साहू 9893765541

 

संडे मेघा स्टोरी पर आज रविवार 1 जून को 2025 को “हमारा दल्ली राजहरा – एक निष्पक्ष समाचार चैनल” के सीरीज के 18 वी कहानी में पढ़िए आज से 48 वर्ष पूर्व की घटना जब दल्ली राजहरा में राजहरा खदान समूह में काम करने वाले अधिकतर कर्मचारी मजदूर हुआ करता था l उनका काम था मानवीय रूप में खदानों से रापा , गैती और झौंहा से लौह अयस्क को ट्रकों में भरना तथा प्लांट में ले जाकर खाली करना l

उस समय खदानों में महिला एवं पुरुष दोनों ही वर्ग के श्रमिक काम करते थे l जो लोडिंग से राशि मिलती थीं , उसे उस दिन काम करने आए हुए मजदूर में बराबर गैंग के हिसाब से बांटा जाता था और उसमें उनकी पहचान गैंग नंबर से होती थी l

खदानों में काम करने वाले मजदूर झुग्गी झोपड़ी बनाकर अपने परिवार के साथ रहते थे l उस समय छत के नाम पर सीमेंट या लोहे की सीट होती थी l तथा चारों तरफ बॉस से बने हुए चटाई का उपयोग होता था l माइंस ठेकेदार की ओर से बरसात आने से पहले झुग्गी झोपड़ी मरम्मत के नाम से मजदूरों को कुछ राशि दी जाती थी l

 

लेकिन 1977 में माइंस ठेकेदार झुग्गी झोपड़ी मरम्मत की राशि देने में आनाकानी कर रहा था l मजदूर शांतिपूर्ण ढंग से जो राशि मिलती थी वह लेना चाहता था इसके लिए उन्होंने अपनी बात प्रबंधक के सामने रखा l

 

केंद्रीय सहायक श्रम आयुक्त माइंस ठेकेदार और मजदूरों के बीच झुग्गी मरम्मत के नाम पर ₹100 देने के लिए 31 मई 1977 को शाम 5:00 बजे समझौता हुआ था l लेकिन 1 मई को ठेकेदार के द्वारा समझौता से मुकर गया l इसके विरोध में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के मजदूर शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ ऑफिस के पास एकत्र होकर प्रदर्शन कर रहे थे l लगभग 4000 मजदूरों के बीच 2 जून और 3 जून के मध्य रात्रि लगभग 2:45 बजे स्थानीय पुलिस प्रशासन के द्वारा उस प्रदर्शन स्थल से शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी को जबरदस्ती उठा कर ले जाया गया और कुछ समय बाद प्रदर्शन स्थल पर बैठे मजदूरों पर अंधाधुंध गोली बरसा दी गई l दूसरे दिन दोपहर को फिर प्रशासन के द्वारा गोलीबारी की गई l इस गोली कांड से एक बालक सुदामा सहित 11 लोग शहीद हुए हैं l

 

जिनमें है अनुसूईया बाई ,बालक सुदामा ,जगदीश , टीभु राम ,सोनउराम , रामदयाल, पूनउराम. ,समारू राम , हेमनाथ , डेहर लाल और जय लाल l

 

वही हुआ जो मजदूरी के साथ होता आया है प्रशासन के द्वारा रज्जाक आयोग की गठन की गई इस आयोग के द्वारा गोली कांड के लिए राज्य सरकार के निर्णय की आलोचना की गई तथा अपने निष्कर्ष में संदेहजनक तौर पर यह उल्लेख किया गया कि क्या नियोगी जी को गिरफ्तार करने गई पुलिस गोली चालन का मजिस्ट्रेट आदेश लेकर गई थी l 2 जून रात को गोली चालन का मजिस्ट्रेट आदेश आयोग के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेज में उपलब्ध नहीं है l 2 जून के गोली चालन पश्चात गोली चालन रोकने का आदेश भी नहीं है l परिणाम स्वरूप 3 जून को भी गोली चलाना निरंतर जारी था l यह सरकार के गंभीर लापरवाही को दर्शाता है l तथा रज्जाक आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि गोली कांड का मुख्य वजह नियमित कर्मचारी और ठेका कर्मचारियों के बीच वेतन और सुविधाओं में असमानता होना था l

 

 बालक सहित 11 मजदूर इस मजदूर आंदोलन में शहीद होकर अमर हो गए l छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के द्वारा उन शहीदों की याद में कार्यालय के सामने एक स्तंभ बना है शहीद हुए बालक सुदामा सहित 11 लोगों के नाम लिखे हुए हैं l

कवि जगदंबा प्रसाद मिश्र की कविता लिखा है l

कभी वो दिन भी आएगा

जब अपना भी राज देखेंगे

अपनी ही जमी होगी

अपना ही आसमान होगा l

शहीदों के चिताओं पर

लगेंगे हर बरस मेले

वतन पर मरने वालों का

बाकी यही निशा होगा l”

इस घटना के लिए प्रशासन का इतना उग्र होना बहुत बड़ी साजिश है क्या मजदूर का अपने हक के लिए लड़ना गलत बात था l जिसके लिए उस समय के तत्कालीन प्रशासन ने मजदूरों पर गोलियां चला दी l

छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के द्वारा उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए हर वर्ष दो-तीन जून को शहीद दिवस मनाया जाता है l जिसमें आसपास के विभिन्न जिलों से लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचते हैं l
 छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ यह ऐसा संगठन है ,जो राजनीति से दूर कल कारखाने खेत खलियान बड़े बांधों से उजड़े लोग वनों की रक्षा करने वाले और आदिवासी जीवन संस्कृति के लिए लड़ने वाले संगठन है l
इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी सहित सभी 11 शहीदों को शहीद बेदी पर जाकर फूल और गुलाल अर्पित कर उनकी याद में आमसभा भी रखा जाता है lछत्तीसगढ़ में मजदूरों के मसीहा कहे जाने वाले शहिद कामरेड शंकर गुहा नियोंगी ने कई पुस्तक लिखी उनके विचार अमर थे l

  वे कहते थे कि “शहीद मरते नहीं अमर हो जाते हैं l “इनकी शहादत ने हमारे लिए संघर्ष का रास्ता खोल दिया है l यह तो तय है कि जब तक हम संघर्ष नहीं करेंगे हमें हमारा हक और अधिकार नहीं मिलेगा l” “निर्माण के लिए संघर्ष और संघर्ष के लिए निर्माण ” जब तक आप इनमें सामंजस्य नहीं बनाएंगे तब तक आप अपना अधिकार नहीं पा सकते l
बहुमुखी प्रतिभा के धनी शहिद कामरेड शंकर  गुहा नियोगी एक समाज सुधारक के रूप में मजदूरों को शराब और फिल्म  से भी दूर रखना चाहते थे उनका मानना था कि शराब इंसान के शरीर के साथ परिवार के पृष्ठभूमि को भी खराब करता है तो सिनेमा चरित्र निर्माण में दोषी है l अब मजदूरों को अपने मेहनत से कमाए हुए पैसे का उपयोग बच्चों के भविष्य सुधारने के लिए पढ़ने लिखने के लिए तथा सिनेमा से बचकर अपने परिवार में सामंजस्य बनाने की शिक्षा देते थे l
छत्तीसगढ़ के अस्मिता बचाने के लिए वे लोगों को जागरूक करते थे l उनका कहना था जल जंगल और जमीन पर यहां के मूल निवासियों का अधिकार है l यदि इसका दोहन सरकार करती है l तो यहां के निवासियों को इसका लाभ मिलना चाहिए lदो-तीन जून के शहादत को यादगार रूप में मनाने के लिए, उन शहीदों को सम्मान देने और शहीद कामरेड शंकर गुहा नियोगी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने एशिया का सर्वप्रथम मजदूरों के द्वारा निर्मित और मजदूरों के द्वारा संचालित मजदूरों का अपना शहीद अस्पताल के द्वारा विभिन्न कुरीतियों से बचने के लिए वहां कार्यरत नर्सिंग बहनों की मदद से जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है l
एक छोटी सी कविता के साथ आज का संडे मेगा स्टोरी यहीं समाप्त होता है आज भी यह कविता छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के कार्यालय में लिखा है l

 

 राख होगे रे कमाइया

 तोर सपना के कुरिया गा

, चलदेव हमला छोड़के

तूमन अड़बड़   दूरिया गा l

 

 

शहीदों की कुर्बानी खाली नहीं जाएगी इन्हीं शब्दों के साथ छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के सभी कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता एवं शहीद अस्पताल के सभी स्टॉप उनके सपनों को पूरा करने के लिए आज भी शहीद दिवस मना रहे हैं और उनके विचारों को जन-जन पहुंचने का कार्य भी कर रहे हैं l

Bhojram Sahu

प्रधान संपादक "हमारा दल्ली राजहरा: एक निष्पक्ष समाचार चैनल"

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