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साहित्यकार बंगाली प्रसाद ताम्रकार जयंती पर पारकर और प्रखर को मिला ‘ हस्ताक्षर साहित्य सम्मान 2025 ‘

दल्ली राजहरा बुधवार 3 सितंबर 2025
भोज राम साहू 98937 65541
हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा के तत्वाधान में पुत्र सुशील कुमार ताम्रकार ने पिता साहित्यकार बंगाली प्रसाद ताम्रकार के जयंती के उपलक्ष्य में निषाद भवन में साहित्यिक सम्मान समारोह तथा काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद राम वर्मा संस्थापक सदस्य हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा थे। विशेष अतिथि डॉ राजीव लोचन शर्मा प्रभारी संजीवनी अस्पताल दल्ली राजहरा , आचार्य जे आर महिलागे थे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती पूजन तथा स्व बंगाली प्रसाद ताम्रकार के चित्र पर माल्यार्पण से किया गया। समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ठाकुर सरल ने स्वागत भाषण में समस्त अतिथियों का स्वागत किया तथा समिति के संस्थापक स्वर्गीय बंगाली प्रसाद ताम्रकार के व्यक्तित्व तथा कृतित्व को याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। पुत्र सुशील कुमार ताम्रकार ने उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण संस्मरण साझा करते हुए साहित्य के प्रति उनके समर्पण और उनकी रचनाओं को याद किया।
साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए युवा साहित्यकार तामसिंग पारकर तथा अमित प्रखर का श्रीफल तथा स्मृति चिन्ह से सम्मानित कर ‘ हस्ताक्षर साहित्य सम्मान 2025’ प्रदान किया गया। इस सम्मान का मुख्य उद्देश्य अंचल के प्रतिभाशाली युवाओं को साहित्य लेखन में उत्कृष्टता को मान्यता देना, बढ़ावा देना और नए रुझानों को स्वीकार करना है । इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार गोविंद राम वर्मा ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम साहित्य के साथ महान विभूतियों को जीवित रखने का उन्नत प्रयास है। साहित्य में समाज की विविधता, जीवन दृष्टि और लोक कलाओं का संरक्षण होता है। साहित्य समाज को स्वस्थ कलात्मक, ज्ञानवर्धक मनोरंजन प्रदान करता है जिससे सामाजिक संस्कारों का परिष्कार होता है।
विशेष अतिथि डॉ राजीव लोचन शर्मा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि साहित्य समाज के मूल्यों का निर्धारक होता है। जीवन के सत्य को प्रकट करने वाले विचारों और भावों की सुंदर अभिव्यक्ति है। साहित्य के जरिए हम समाज की समस्याओं परिस्थिति और भावनाओं के बारे में जान सकते हैं। साहित्य में हमारे समाज के सुख – दुख तथा उत्थान – पतन का स्पष्ट चित्रण होता है। विशेष अतिथि डॉ शर्मा जी ने स्वरचित कविता झूठ तथा भ्रष्टाचार के माध्यम से तात्कालिक विकृत परिस्थितियों पर करारा प्रहार किया। साथ ही उन्होंने कहा कि समाज की गतिविधियों से साहित्य प्रभावित होता है। साहित्यकार में स्रष्टा और द्दृष्टा दोनों का गुण होना आवश्यक है ।स्रष्टा में वह नई रचनाओं का सृष्टि करता है। दृष्ट में वह समाज में व्याप्त सूक्ष्म से सूक्ष्म समस्याओं को देखने की क्षमता रखता है।
आचार्य जे आर महिलंगे ने स्व ताम्रकार जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे कुशल सामाजिक चिंता तथा साहित्यकार थे। समाज में होने वाली संस्कृतिक विकृति पर चिंतित रहते थे और लिखते भी भी रहते थे। उनके द्वारा रचित कई कविताओं पर चर्चा किये जैसे
बनिया साहेब बाबू जागो,
जागो कुली किसान रे !
छत्तीसगढ़ के माटी,
जागीस,जागो उठो जवान रे !!
तत्पश्चात काव्य गोष्ठी आरंभ हुआ जिसमें अंचल के समस्त साहित्यकारों ने अपने विचार रखें तथा काव्य पाठ किए।गोष्ठी में गोविंद वर्मा ने कृषक की महानता की व्याख्या करते हुए काव्य गोष्ठी का आरंभ इन शब्दों से किया l
बरसात की रिमझिम बूंद से,
प्यासी धरती तृप्ति हुई ।
सुखी झाड़ी की ओट से अब,
जो पल्लव निकली हरित हुई।।
डॉ राजीव लोचन शर्मा ने अपनी कविता के माध्यम से संदेश दिया कि देश को कुछ देने की चाह एक ऐसी देशभक्ति की भावना है जो व्यक्तियों को अपने राष्ट्र की उन्नति और समृद्धि के लिए प्रेरित करती है।
देखा था एक दिन सपना,
कुछ बनने का!
क्योंकि बचपन से ही लालसा थी,
अपने को झोंक कर ,
देश को कुछ देने का।।
आचार्य जे आर महिलांगे ने अपनी रचना में पर्यावरण संरक्षण का महत्व और चुनौतियों का मूल कारण पर प्रकाश डालते हुए काव्य पाठ किया !
मन में मंडराती उन्मुक्त हवाएं.,
वृक्षों को झूमने प्रेरित कर रही !
लताएं ,आगे बढ़ते मचलती हुई,
पेड़ों से लिपट आलिंगनरत हुई !!