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“अतिथि देवो भव:” के देश में अतिथि के सम्मान में थाली में भोजन कराना हमारी परंपरा रही है l :- श्रद्धा पुरेंद्र साहू

दल्ली राजहरा शुक्रवार 5 सितंबर 2025
भोजराम साहू 9893 765541
“अतिथि देवो भव:!” मेहमान को भगवान के समान मानकर पूजा करने वाले देश हमारा भारत भूमि अनेक विविधताओं से परिपूर्ण है l जहां विदेश में रहने वाले लोग भारत के परंपरा और उनके सम्मान को महसूस करने के लिए तरसते हैं l
घर , परिवार या समाज में कोई भी कार्यक्रम हो रहा हो मेहमानों के सम्मान से थाली में भोजन कराना हमारी परंपरा रही है l भोजन करना सिर्फ पेट भरना नहीं होता। यह सम्मान की बात होती है। भोजन करने वाले के लिए भी और कराने वाले के लिए भी। यह कहना है बर्तन वाली दीदी के नाम से प्रसिद्ध श्रीमती श्रद्धा पुरेंद्र साहू का जिनकी प्रेरणा से आज वर्तमान में कई जिलों में बर्तन बैंक का संचालक हो रहा है और वह दुर्ग जिला पंचायत सदस्य सभापति उद्योग एवं सहकारिता समिति के पद पर कार्यरत हैं l
बालोद के श्री तरुण साहू जी के नेतृत्व में तहसील साहू संघ के अध्यक्ष मदन सोनबरसा जी के यहां उनकी माताजी के दशगात्र कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की इस लुप्त होती परंपरा को जीवित रखा गया।
उनकी स्वर्गीय माता गुलर बाई के पंचनाहवन कार्यक्रम में हजारों लोग श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे। जिनके लिए सादा भोजन की व्यवस्था की गई थी। जहां कार्यक्रम में आए मेहमानों को बकायदा स्टील के थाली, गिलास में भोजन और पानी परोसा गया। पारिवारिक कार्यक्रम में हजारों की भीड़ जुटी, लेकिन किसी भी तरह के डिस्पोजल आइटम का प्रयोग नहीं किया गया। इस तरह पर्यावरण और धरती मां को डिस्पोजल से होने वाले कचरे से बचाया गया। श्री मदन सोनबरसा के घर विगत दस सालों से किसी भी पारिवारिक आयोजन में डिस्पोजल आइटम, प्लास्टिक और थर्माकॉल के दोना-पत्तल का इस्तेमाल नहीं किया जाता। वे मेहमानों को बर्तन बैंक की मदद से थाली में ही भोजन परोसने में विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि घर का कार्यक्रम तभी सार्थक सिद्ध होता है, जब हम पर्यावरण को दूषित न करें।
बर्तन बैंक की मुहिम से पर्यावरण के साथ-साथ धरती माता का सम्मान, अन्न का सम्मान, मेहमानों का सम्मान, संस्कृति और संस्कार का सम्मान होगा। मेहमानों को बैठाकर, सम्मानपूर्वक भोजन कराना हमारी भारतीय संस्कृति का असली स्वरूप है। हर बार सामूहिक कार्यक्रमों में सिर्फ थाली और गिलास का उपयोग यह न सिर्फ परंपरा को जीवित रखता है, बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण और कचरे से भी बचाता है।
आज बालोद जिले के लिए श्री तरुण साहू जी और मदन सोनबरसा जी एक प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए कि सच्ची सेवा सिर्फ भोजन कराना नहीं, बल्कि मेहमानों का सम्मान, संस्कृति और धरती माता को संजोना भी है। मदन साहू जी के यहां दुर्ग जिला पंचायत सदस्य श्रद्धा पुरेंद्र साहू की टीम तरुण साहू, कांति साहू, राजेश साहू, खेमलाल साहू, सोमेश साहू, चेतन साहू,भोलाराम साहू, जागेश्वरी साहू, छत्रपाल साहू और अन्य सदस्यों ने बर्तन बैंक की सेवा दी। कार्यक्रम को सफल बनाया।