“दल्ली राजहरा में हुआ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रचारिका श्रीश्वरी देवी का दिव्य दार्शनिक प्रवचन एवं मधुर संकीर्तन सत्संग का आयोजन l”

दल्ली राजहरा
गुरुवार 9 जनवरी 2025
भोज राम साहू 9893 765 541
दिनांक: 23 दिसम्बर 2024 से 05 जनवरी 2025 तक हॉस्पिटल सेक्टर मैदान सूजन ग्राउंड वार्ड क्रमांक 8 दल्ली राजहरा में जगद्गुरु कृपालु संघ कल्याण समिति के द्वारा किया गया था l जहां हजारों की संख्या में सभी वर्ग के लोग प्रतिदिन जाकर सुमधुर प्रवचन का आनंद लिया l
श्रीश्वरी देवी ने अपने प्रवचन के अंतिम दिन कर्म सन्यास की साधना और कर्मयोग की साधना के बारे में व्याख्यान दिए l उन्होंने कहा आपका जीवन सफल तभी होगा जब लोगों की पीड़ा को आप अपना समझेंगे l आप अपना जीवन ईश्वर को समर्पित कर दें और सत्कर्म करें तथा अहंकार का त्याग करें l उन्होंने कहा कि आप इस बात का हमेशा ध्यान रखें आप अकेले नहीं है आपके साथ मेरे श्याम हमेशा है l मैं अकेला या अकेली नहीं हूं मेरे श्याम गुरु मेरे साथ है जब भी आप कहीं जाएं उनका मनन आवश्यक करें l आप कुछ भी कार्य करें मन में श्याम को याद कर करें, आपका काम अवश्य पूरा होगा l उन्होंने कहा कि नित्य चिंतन करें , आप श्यामा श्याम के साथ मन से कर्म से और तन से जुड़े l अर्जुन युद्ध करते हुए भी मन भगवान के चरणों में लगाए रखा था l जिससे उन्हें महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त हुई l
अहंकार हमें ईश्वरीय जगत में प्रवेश करने नहीं देता l इस संसार में किसी को धन का अहंकार है कि हम बहुत बड़े धनवान हैं क्या आपके पास कुबेर से भी ज्यादा धन है …? , किसी को ज्ञान का अहंकार है क्या आपके पास मां सरस्वती और गुरु बृहस्पति से भी ज्यादा ज्ञान है …?
किसी को रूप का अहंकार है तो क्या वो कामदेव से भी रूप वान है …..? किसी को साधना का भी अहंकार है ….? तो क्या आपको हमारे वैदिक ऋषि मुनियों की तरह साधना की प्राप्ति है……?
हमें अहंकार को समाप्त कर अपने जीवन में दिनता और नम्रता लानी होगी तभी आप ईश्वरीय जगत में आगे बढ़ सकते हैं l मानव का , अहंकार सबसे बड़ा शत्रु है l इसलिए अहंकार को समाप्त कर उनके जगह पर दिनता, नम्रता और सहनशीलता अपने जीवन7 में आपको लानी होगी l जैसे-जैसे आपके ऊपर यह सब आते जाएंगे आप नम्र होते जाएँगे l जैसे पेड़ों में फल लगता है तो वह अपने आप झुक जाता है आप में जितना नम्रता आएगी आप श्याम सुंदर के करीब होते जाएंगे l
हम दूसरों के दोष को देखने में अपना समय बर्बाद कर देते हैं l पद्म पुराण के अनुसार हम दूसरे के दोष को देखते हैं , उसे धिक्कारते हैं ,उसकी निंदा करते हैं l तो हम उसकी दोष , दुर्गुण को उनसे ले लेते हैं और अपना पुण्य उनको दे देते हैं l हमको प्रयत्न करना चाहिए जितना समय मिले हरी और गुरु को मन में लगाये l ईर्ष्या ,द्वेष करके हम अपना मन को बिगाड़ लेते हैं l भगवान ने हमें मानव देह एक उद्देश्य के लिए दिया है उसे सकारात्मक पहलू में लगाएं l
बिन अभ्यास के आपने संसार में कुछ नहीं पाया..! हर चीज जब आपने परिश्रम से सीखा है तो भगवान प्राप्ति भी आप परिश्रम से प्राप्त कर सकते हैं l संसार में किसी चीज को सीखने के लिए आपको परिश्रम करना पड़ेगा l जब बचपन में हमने चलना सीखा और हमने डगमगाते हुए एक कदम जमीन पर रखें , फिर गिरे फिर उठे l दो कदम चले फिर गिरे फिर उठकर चार कदम चले फिर गिरे l इस तरह गिरना और उठना लग रहा l बार-बार गिरे चोट लगी l मन ने माना बस यही करना है एक दिन आपको सफलता अवश्य प्राप्त हुआ आप चलना सीख गए l
भगवान प्राप्ति में जहां बन जाए वही अपने मन को सौंप दे एक दिन आपको सफलता अवश्य प्राप्त हो जाएगी l